झाबुआ

श्री मेढ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज झाबुआ ने पद्मश्री परमार दंपत्ति का किया आत्मीय स्वागत । परम्परागत तरिके से आदिवासी अंचल की थाती को विश्वस्तर पर पहचान मिलना हम सबके लिये गौरव की बात है– पदमश्री रमेश परमार

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श्री मेढ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज झाबुआ ने पद्मश्री परमार दंपत्ति का किया आत्मीय स्वागत ।
परम्परागत तरिके से आदिवासी अंचल की थाती को विश्वस्तर पर पहचान मिलना हम सबके लिये गौरव की बात है– पदमश्री रमेश परमार

झाबुआ । मेढ़ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज झाबुआ द्वारा पद्मश्री रमेश परमार व शांतिबाई परमार का सम्मान किया गया। समाज के श्री सत्यनारायण मंदिर पद्मश्री परमार दंपति के हाथो श्री सत्यनारायण भगवान की आरती की गई पश्चात प्रसादी का वितरण किया गया। समाज के योगेन्द्रसोनी ने जानकारी देते हुए बताया कि झाबुआ के कलाकार रमेश परमार को मिला पद्मश्री पुरस्कार, – प्रदेश के साथ ही आदिवासी अंचल झाबुआ जिले के लिए गौरव का अवसर है । उन्होने बताया कि झाबुआ के गौरव, कलाकार रमेश परमार जी एवं शांति परमार जी को कला क्षेत्र में पद्मश्री पुरस्कार मिलने पर समुचे स्वर्णकार समाज की ओर से आत्मीय बधाईयाएवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि।परमार दंपत्ति ने कला के माध्यम से झाबुआ अंचल सहित मध्यप्रदेश को विश्व पटल पर मान बढ़ाया और नई पहचान दी। आज कला जगत ही नहीं, बल्कि संपूर्ण अंचल एवं प्रदेश हर्षित है। जिले के रमेश परमार और उनकी पत्नी शांति परमार को भी कला के क्षेत्र में बेहतरीन कार्य के लिए पद्मश्री सम्मान मिलना हम सभी के लिये भी गौरव का क्षण है। ये दोनों कपडे की गुड़िया बनाते हैं, जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध हैं, इनकी गुड़ियां कई देशों में जा चुकी हैं।

मंंिदर में सम्मान कार्यक्रम आयोजित कर समाज के उपस्थित सभी सदस्य के बीच शॉल श्रीफल की साथ व फुलमालाओ के साथ इनका सम्मान किया गया। समाज के सचिव प्रवीण सोनी ने स्वागत भाषण दिया तत्पपश्चात पद्म श्री रमेश परमार द्वारा संबोधित किया गया। जिसमे उन्होने अपनी कला साधना का जिक्र करते हुए कहा कि परम्परागत तरिके से आदिवासी अंचल की थाती को विश्वस्तर पर पहचान मिलना हम सबके लिये गौरव की बात है । उन्होने बताया कि दोनों पति पत्नी 30 वर्षों से आदिवासी गुड़िया बना रहे हैं। श्रीमती शांति परमार ने कहा कि कि जनजातीय परियोजना के तहत आदिवासी गुड़िया बनाने का प्रशिक्षण दिया जाता था इसके बाद ससुर और अन्य स्वजन के सहयोग से उन्होंने यह विधा सीखी। बाद में यही विधा परिवार की आजीविका का साधन बन गई। अपनी कला को निखारने और उसे लगातार आगे बढ़ाने में ही परमार दंपत्ति लगे हुए थे। पदमश्री रमेश परमार का कहना हैं कि उन्हें सरकारी विभागों से मोबाइल पर पद्मश्री मिलने की सूचना मिली , जिसके बाद परिवार में काफी खुशी का माहौल होगया, । उक्त सम्मान को उन्होने झाबुआ की माटी की देन बताया ।

इस अवसर पर प्रवीण सोनी, चेतन सोनी, बाबुलालजी, योगेंद्र सोनी, भरत सोनी, वीरेंद्र सोनी, मदन लाल सोनी, रवि सोनी, प्रवीण सोनी पत्रकार, अमित सोनी, ओम प्रकाश सोनी, पूजारी पण्डित प्रदीप भट्ट के साथ ही समाज की वरिष्ठ महिलाओ ने भी सहभागिता की । श्रीमती कृष्णा जवडा, कृष्णा सदेवड़ा, भारती सोनी, राधा सोनी, पप्पी सोनी, निर्मला सोनी, दीपा सोनी, बरखा सोनी, कु. हितैषी, मोक्षिका, चैरि सोनी साथ ही विशेष आमन्त्रित प्रमोद तिवारी, शशिकांत त्रिवेदी, ज्योति त्रिवेदी, आशा त्रिवेदी, अनीता जाखड़ आदि ने सहभागीता की तथा पदमश्री परमार दंपत्ति का आत्मीय स्वागत कर उन्हे शुभकामनाये दी । कार्यक्रम का संचालन पत्रकार प्रवीण सोनी ने किया। कार्यक्रम के अंत मे आभार चेतन जवडा ने व्यक्त किया।

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