तीन बीमार बच्चों को सरियों से दागा:सर्दी-जुकाम हुआ तो तांत्रिक के पास ले गए परिजन; फिर अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा
झाबुआ ~~ये तीनों बच्चे जिला अस्पताल के पीआईसीयू वार्ड में भर्ती हैं। इनके अलावा दो बच्चे अलग-अलग वार्ड में हैं। इन सभी के सीने और पेट पर गर्म सलाखों से दागने के निशान हैं। आदिवासी बोली में इसे डामना कहा जाता है। ये दर्द इन बच्चों को इनके ही परिवार वालों ने दिलाया।
बच्चों को सर्दी, जुकाम हुआ तो घर पर इलाज किया, जब सर्दी बिगड़ गई और निमोनिया हो गया तो इलाज के लिए अस्पताल ले जाने की बजाय तांत्रिक के पास ले गए। तांत्रिक ने भी गर्म लोहे के सरियों से दाग दिया और लौटा दिया। जब बच्चे मौत के करीब पहुंच गए तो परिवार वाले अस्पताल लेकर आए।
30 से अधिक केस हर साल आते हैं
जिला अस्पताल में ऐसे 30 से अधिक केस हर साल आते हैं। खासतौर से सर्दी, जुकाम के सीजन में। ये बच्चे निमोनिया के मरीज होते हैं। एसएनसीयू प्रभारी डॉक्टर आईएस चौहान ने बताया, बच्चों को जब निमोनिया बढ़ जाता है, तब कफ के कारण सांस लेने में दिक्कत होती है। बच्चा हाफने लगता है। इसे गांवों में हाफलिया कहते हैं और इसका उपचार कराने तांत्रिक के पास जाते हैं। जब तक इन बच्चों को जिला अस्पताल लाते हैं, तब तक उनकी स्थिति काफी खराब हो जाती है। सबसे पहले उन्हें ऑक्सीजन की जरूरत होती है। उपचार मिलने पर वो ठीक होने लगते हैं।(भास्कर से साभार)