RATLAM

पारस सकलेचा की याचिका पर शासन को नोटिस:मंदसौर गोलीकांड की जांच रिपोर्ट पर उच्च न्यायालय का आदेश, उच्च न्यायालय ने शासन से पूछा- अब तक क्यों पटल पर नहीं रखी जांच रिपोर्ट

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पारस सकलेचा की याचिका पर शासन को नोटिस:मंदसौर गोलीकांड की जांच रिपोर्ट पर उच्च न्यायालय का आदेश, उच्च न्यायालय ने शासन से पूछा- अब तक क्यों पटल पर नहीं रखी जांच रिपोर्ट

रतलाम~~रतलाम के कांग्रेस नेता पारस सकलेचा की जनहित याचिका पर माननीय उच्च न्यायालय ने शासन को मंदसौर गोलीकांड की जांच के लिए गठित , जैन आयोग की रिपोर्ट अभी तक पटल पर क्यों नहीं रखी गई , इस बारे में चार हफ्तों में जवाब न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत करे । गौरतलब है कि जून 2017 में मंदसौर में हुए गोलीकांड की जांच जैन आयोग द्वारा की गई थी और जून 2018 में यह रिपोर्ट शासन को सौंप दी गई थी। लेकिन विधानसभा के पटल पर जांच रिपोर्ट अब तक नहीं रखे जाने को लेकर रतलाम के कांग्रेस नेता पारस सकलेचा ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका लगाई थी।

दरअसल इस मामले में दिनांक 14.02.2023 को शासन की ओर से इस याचिका पर प्रारंभिक आपत्ति उठाते हुए यह तर्क प्रस्तुत किया गया था कि याचिका न्यायालय के समक्ष प्रचलन योग्य नहीं है । बहस का मुख्य आधार यह था कि न्यायालय द्वारा जांच आयोग अधिनियम की धारा 3 (4) के अंतर्गत शासन को विधानसभा के समक्ष जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु आदेशित नहीं किया जा सकता है। जिसपर याचिकाकर्ता की ओर से भी बहस करते हुए यह तर्क प्रस्तुत किया कि न्यायालय द्वारा धारा 3(4) का उल्लंघन होने पर शासन को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु उचित आदेश प्रदान किया जा सकता है। माननीय न्यायालय द्वारा याचिका को प्रचलन योग्य मानते हुए शासन को नोटिस जारी कर 4 हफ्तों में याचिका का जवाब प्रस्तुत करने हेतु आदेशित किया है।

याचिकाकर्ता एवं पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने आज यहां जारी बयान में बताया कि याचिका मे माननीय उच्च न्यायालय से प्रार्थना की , कि शासन को मंदसौर गोलीकांड की रिपोर्ट विधानसभा मे पेश करने हेतू आदेश करे ।शासन द्वारा किसान आंदोलन के दौरान दिनांक 06.06.2017 को मंदसौर मे हुये गोलीकांड , जिसमे 5 किसानो की मृत्यु हुई थी , की जाँच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश, न्यायमूर्ति जे.के. जैन की अध्यक्षता में “जैन आयोग” का गठन किया था । आयोग द्वारा अपनी अंतिम रिपोर्ट शासन को 13 जून 2018 में प्रस्तुत कर दी गई थी। लेकिन आयोग की रिपोर्ट तथा रिपोर्ट की अनुशंसा अनुसार की गई कार्यवाही 6 माह के भीतर विधानसभा में प्रस्तुत नहीं की गई। जिसके बाद इस मामले में न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविन्द धर्माधिकारी तथा न्यायमूर्ति प्रकाश चंद्र गुप्ता की युगल पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए शासन को नोटिस जारी किया एवं चार हफ़्तों में जवाब प्रस्तुत करने हेतु आदेशित किया है । याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी अधिवक्ता प्रत्यूष मिश्र द्वारा की गई ।

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