5 लाख पेंशनर्स के लिए बड़ी खबर, DR वृद्धि के लिए करना होगा इंतजार, फिर अटका मामला, लाखों रुपए का नुकसान
मध्य प्रदेश के 5 लाख पेंशनर्स को एक बार फिर से महंगाई राहत में वृद्धि के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। दरअसल सिस्टम में फंसे पेंच की वजह से लगातार पेंशनर्स को नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं प्रदेश सरकार द्वारा महंगाई राहत में वृद्धि के लिए दो बार छत्तीसगढ़ सरकार को पत्र लिखा जा चुका है। बावजूद इसके अब तक यह मामला अधर में अटका हुआ है। मध्य प्रदेश के कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में जल्द बढ़ोतरी की जाएगी। उनके DA को 4 फीसद बढ़ाकर 42 फीसद किया जाएगा। इसका लाभ 7 लाख से अधिक अधिकारी कर्मचारियों को मिलेगा। बता दे कि अभी मध्य प्रदेश के कर्मचारियों को 38 फीसद की दर से महंगाई भत्ता का लाभ दिया जा रहा है। वहीं केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनरों को जनवरी से 42% की दर से महंगाई भत्ता और महंगाई राहत उपलब्ध कराई जा रही है। 5% महंगाई राहत का मामला एक बार फिर से अटक गयाहालांकि मार्च महीने में मध्यप्रदेश के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते को बढ़ाया जा सकता है। वहीं प्रदेश के 5 लाख पेंशनर्स को बड़ा झटका लग सकता है। दरअसल प्रदेश के 5 लाख पेंशनर्स की 5% महंगाई राहत का मामला एक बार फिर से अटक गया है। मध्य प्रदेश सरकार पेंशनर्स की महंगाई राहत बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार को दो बार पत्र लिख चुकी है। हालांकि अब तक पत्र पर कोई भी स्पष्टीकरण सामने नहीं आया है।
पेंशनर्स को हर महीने 400 से 4000 रूपए तक का नुकसान
इधर मध्यप्रदेश में पेंशनर्स लगातार महंगाई राहत में वृद्धि की मांग कर रहे हैं। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के मुताबिक छत्तीसगढ़ से जवाब आते ही तत्काल प्रदेश के पेंशनर्स के लिए महंगाई राहत को बढ़ा दिया जाएगा। वहीं महंगाई राहत ना पढ़ने से पेंशनर्स को हर महीने 400 से 4000 रूपए तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
दरअसल मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में दोनों राज्य की सहमति के बाद ही पेंशनर्स को महंगाई राहत का भुगतान किया जाता है। यह वजह है कि राज्य में पेंशनर्स के महंगाई राहत हर 6 महीने में एक साथ मिलती है। दोनों राज्य में 600000 पेंशनर्स इस व्यवस्था से प्रभावित हो रहे हैं। राज्य पुनर्गठन की धारा 49 के तहत पेंशनर्स के महंगाई राहत पर खर्च होने वाली राशि का 76% हिस्सा मध्य प्रदेश के हिस्से आता है जबकि 24% हिस्से का भुगतान छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किया जाता है। 32 महीने का एरियर का भुगतान भी अभी अटका
बता दे वर्ष 2000 के पेंशनर्स के 32 महीने का एरियर का भुगतान भी अभी अटका हुआ है। हाई कोर्ट द्वारा भुगतान के आदेश दिए जा चुके हैं। बावजूद इसके अब तक पेंशनर्स को भुगतान नहीं किया गया है। प्रत्येक पेंशनर्स को 32 महीने के एरियर के रूप में कम से कम डेढ़ से 2 लाख का भुगतान किया जाना है। हर पेंशनर्स के खाते में 3 से 4 लाख रुपए तक की राशि मिलेगी
इसके साथ ही सातवें वेतनमान के लिए कर्मचारियों को 27 महीने के एरियर का भुगतान किया जाना है। हालांकि अभी तक इस पर कोई भी फैसला नहीं हो पाया है। अगर 27 महीने के एरियर का भुगतान पेंशनर्स को किया जाता है तो ऐसे में हर पेंशनर्स के खाते में 3 से 4 लाख रुपए तक की राशि देखने को मिलेगी।
वहीं प्रदेश के वर्ष 2000 के कर्मचारियों को 32 महीने के एरियर का भुगतान किया जा चुका है जबकि सातवें वेतनमान के 27 महीने के लिए कभी भुगतान किया जा चुका है जबकि पेंशनर्स के मामले में अभी भी दोनों राज्यों में सहमति नहीं बनने के कारण यह मामला अभी भी अधर में अटका हुआ है। 140 करोड़ रुपए का भुगतान GPF के तहत
इससे पहले मध्य प्रदेश सरकार को वर्तमान में 140 करोड़ रुपए का भुगतान GPF के तहत करना पड़ा है वहीं हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता सहित मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बीके बख्शी का कहना है कि राज्य सरकार अनुपयोगी हो चुके कानून की समीक्षा कर रही है। इस मामले में महत्वपूर्ण कदम उठाए जाने चाहिए ताकि मामले का निराकरण किया जा सके। इससे संबंधित धारा 49 महज औपचारिकता है। वही उनका कहना है कि इसके हटते ही राज्य सरकार अपने अपने पेंशनर्स के मामले का निराकरण कर सकेंगे।
फिलहाल कानूनी दांवपेच में खासा नुकसान पेंशनर्स को उठाना पड़ रहा है। उनके महंगाई भत्ते में वृद्धि न होने से उन्हें लगातार नुकसान झेलना पड़ रहा है। वही सिस्टम में पेंच की वजह से 5 लाख से अधिक पेंशनर्स को फिलहाल महंगाई राहत में वृद्धि के लिए इंतजार करना पड़ सकता है।