थांदला

रेबीज इंजेक्शन नहीं मिलने से ग्रामीण होते परेशान
कुत्ते काटने के इंजेक्शन लगाने के लिए जाना पड़ता मिलो दूर
मरीजों का नही होपाता इलाज

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शासकीय अस्पतालों में मरीज दवाई के लिए भटक रहे हैं लेकिन जरूरतमंदों को दवाई उपलब्ध नहीं है
स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों रुपए की दवाई मेडिसिन शासकीय हॉस्पिटल से सप्लाई के लिए मरीजों के लिए आती है मगर झाबुआ जिले में मरीजों को दवाई हेतु बाहर भटकना पड़ रहा है।
ऐसा ही मामला आज देखने को मिला। एक चौदह वर्षीय बालक जिसको कुत्ते ने काट लिया परिजन द्वारा उसे निजी चिकित्सालय खवासा ले जाया गया वहां पर इलाज के अभाव में इलाज नहीं हुआ वहां से उन्हें बामनिया जाने को कहा वहा पर भी कुत्ते के काटने का कोई किसी प्रकार का इलाज नहीं था वहां से उन्होंने पेटलावद सिविल हॉस्पिटल भेजा पेटलावद सिविल हॉस्पिटल जाते जाते हैं करीबन 3 घंटे बीत जाने के बाद मरीज का इलाज प्रारंभ हुआ जहा पर कुत्ते काटने का इंजेक्शन लगाया गया। स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था के कारण मरीजों को अपनी जान गवानी पड़ सकती है।
ज्ञात रहे कि झाबुआ जिले में कई ऐसे आवारा पशु, कुत्ते जो कि ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में घूमते रहते हैं कभी भी किसी भी बच्चों को कुत्ता काट ले मगर उसका उपचार करते-करते हॉस्पिटल पहुंचते-पहुंचते समय बीत जाता है क्योंकि प्रशासन द्वारा लाखों रुपए की दवाई मरीजों को वितरण करने के लिए आती है मगर वह दवाई कहां जाती है उसका कोई पता नहीं मरीज के परिजन द्वारा जिला चिकित्सालय एवं बीएमओ को इस बारे में अवगत करवाया मगर उन्होंने कहा कि सिर्फ सिविल हॉस्पिटल में ही कुत्ते के इंजेक्शन रखने का नियम है ग्रामीण क्षेत्र के हॉस्पिटल कुत्ते काटने का इलाज नहीं है अगर ग्रामीण क्षेत्रों में आवारा कुत्ते किसी को भी काट जाते हैं तो उसका भगवान मालिक है प्रशासन के पास उसका किसी प्रकार का इलाज नहीं है उसको लेकर सिविल हॉस्पिटल तक ले जाते ले जाते हैं घंटो बीत जाते हैं मगर जब तक मरीज किस हालत में होगा उसका तो भगवान ही मालिक है। प्रशासन को चाहिए कि ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य विभाग पर रेबीज इंजेक्शन जल्द ही भिजवाए जाएं जिससे ग्रामीणों का इलाज हो सके

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