पूरी तरह काम बंद कर देंगे सरकारी डॉक्टर:मेडिकल कॉलेज में पर्चा बनाने से भी आनाकानी एमसीएच में इंतजार में बैठी रहीं गर्भवती महिलाएं
रतलाम~~डॉक्टर मंगलवार को सुबह काम पर नहीं आए… मरीज परेशान होते रहे। लेकिन, यह डॉक्टर्स की हड़ताल का सिर्फ ट्रेलर ही था… पिक्चर अभी बाकी है। जी हां, बुधवार से सरकारी डॉक्टर पूरी तरह काम बंद करने वाले हैं। ऐसे में बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है। डॉक्टर अपनी मांगों को लेकर चरणबद्ध आंदोलन कर रहे हैं। सोमवार को काली पट्टी बांधकर विरोध जताया था, तो वहीं, मंगलवार को दो घंटे काम बंद रखा। सुबह से ही डॉक्टर ओपीडी में नहीं बैठे। इधर, मरीज डॉक्टर्स के आने का इंतजार करते रहे लेकिन, जवाब ये ही मिलता रहा कि डॉक्टर नहीं आएंगे।
हड़ताल पर चले गए हैं। जिला अस्पताल में डॉक्टर्स ने नारेबाजी की। डॉक्टर्स ने बुधवार से काम पर नहीं आने की चेतावनी दे दी है।
ये हैं मांगें
{डीएसीपी लागू करना।
{पुरानी पेंशन बहाली। {मेडिकल वर्क में अधिकारियों की दखलंदाजी।
इमरजेंसी से भी सिर्फ एक गोली देकर रवाना किया
एमसीएच में भीड़ को कम करते रहे कर्मचारी:इधर, मातृ एवं शिशु चिकित्सा इकाई में भी परेशानी बढ़ गई। शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों से भी यहां गर्भवती आती हैं। लेकिन, मंगलवार को गर्भवती महिलाओं को इंतजार करना पड़ा। डॉक्टर के केबिन में कुछ नर्सें बैठी थीं। वहीं, डॉक्टरों और डिलीवरी के इंतजार में महिलाएं जमीन पर बैठी रहीं। अस्पताल में भीड़ लगातार बढ़ रही थी, ऐसे में वहां के कर्मचारियों ने महिलाओं को बाहर भी किया। इधर, जिला अस्पताल में भी ऐसे ही हाल थे, डॉक्टर्स ने अस्पताल के बाहर नारेबाजी की।
मेडिकल कॉलेज में मरीजों की परेशानी बढ़ गई, क्योंकि इमरजेंसी चालू थी, लेकिन काउंटर से पर्चा बनाने में ही आनाकानी हो रही थी। कर्मचारियों का कहना था कि पर्चा क्यों बनवा रहे हो, डॉक्टर नहीं है। पर्चा नहीं बनेगा, हालांकि, बहस और इमरजेंसी बताने के बाद पर्चा तो बन गया। लेकिन, इमरजेंसी में जूनियर ही मिले। इलाज के लिए पहुंचे मरीज ने बताया सिर्फ एक गोली देकर इमरजेंसी से रवाना कर दिया। प्राइवेट में गए, तब वहां भर्ती कर लिया। कर्मचारी यह जवाब भी नहीं दे पाए कि डॉक्टर कब तक आएंगे।
इसलिए हो रही है दोबारा हड़ताल इससे पहले 17 फरवरी को डॉक्टर्स की हड़ताल हुई थी। हाल बिगड़े थे, दूरस्थ क्षेत्र से जिले में इलाज की आस से आए लोगों को परेशान होना पड़ा था। दोपहर 12 बजे हड़ताल खत्म हो गई थी। फैसला हुआ था कि उच्च स्तरीय समिति एक महीने में अपना प्रतिवेदन मुख्यमंत्री को देगी। दो महीने बीत जाने पर भी कुछ नहीं होने पर दोबारा हड़ताल हो रही है।
हड़ताल करना हमारी मजबूरी हम हड़ताल नहीं करना चाहते हैं, लेकिन हमारी मजबूरी है। सरकार हमारी बात ही नहीं सुन रही। बुधवार से पूरी तरह काम बंद हो जाएगा। – डॉ. भरत निनामा, अध्यक्ष, मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन
सरकार को लोगों की परवाह नहींहम हड़ताल से बच रहे हैं, ताकि लोगों को परेशान ना होना पड़े। लंबे समय से चेतावनी दे रहे हैं, लेकिन सरकार नहीं सुन रही। सरकार को लोगों की परवाह नहीं है। बुधवार से काम नहीं करेंगे। – डॉ. प्रवीणसिंह बघेल, अध्यक्ष, मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन(भास्कर से साभार)