झाबुआ

प्राकृतिक खेती अपनाना कृषिगत समस्याओं के सर्वोत्तम उन्मुलन- कलेक्टर

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सीमांत किसान और पशुपालक सम्मेलन

प्राकृतिक कृषि एवं पशु पालन के लोक आधारित प्रयासों द्वारा ग्रामीणों की आजीविका उन्नयन



झाबुआ 4 मई, 2023। मौजूदा समय में प्राकृतिक खेती अपनाना कृषिगत समस्याओं के सर्वोत्तम उन्मुलन के रूप में देखा जा रहा है। किसान यदि गौ आधारित प्राकृतिक खेती करेगे तभी वास्तविक कृषि कल्याण हो सकेगा। उपरोक्त विचार जिलाधीश सुश्री तन्वी हुड्डा ने संपर्क म०प्र० द्वारा आयोजित सीमांत किसानों और पशुपालकों के सम्मेलन में व्यक्त किये। प्राकृतिक कृषि एवं पशु पालन के लोक आधारित प्रयासों द्वारा ग्रामीणों की आजीविका उन्नयन विषय पर जिलेभर के विभिन्न विकासखंडों में राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जुडे स्व-सहायता समूह के किसानों एवं पेटलावद तथा रामा विकासखंड में संपर्क समाजसेवी संस्था द्वारा अभिप्रेरित फार्मर, पशु सखी, पशु मित्र तथा ग्रामीण महिलाओं उ़द्यमियों ने एकत्र होकर छोटे पशुओं के पालन की तकनीक तथा जैविक कृषि के पारंपरिक तौर तरीकों पर गंभीर विचार विमर्श करते हुए अपने अनुभवों का आदान प्रदान किया। कलेक्टर सुश्री हुड्डा ने महिला उद्यमियों तथा पशुपालकों से मिलकर उनकी आजीविका के बारे में जानकारी प्राप्त की तथा कृषि विज्ञान केंद्र, राज्य आजीविका मिशन, कृषि विभाग, पशु चिकित्सा, उद्यानिकी तथा मत्स्य पालन विभाग के अधिकारियों को महिला समूहों की सदस्यों को लेकर शासकीय जन कल्याणकारी योजनाओं के कियान्वयन के निदेश दिये। कलेक्टर ने संपर्क द्वारा संचालित सामुदायिक बीज बैंक द्वारा प्रदर्शित विभिन्न फसलों की दुर्लभ प्रजातियों के बीजों का अवलोकन किया तथा महिला किसानों द्वारा उत्पादित जैविक कृषि आदानों की जानकारी ली। उन्होने महिला किसानों से आव्हान किया कि वे पशु पालन तथा प्राकृतिक खेती के ज्ञान को अगली पीढी तक पहुंचाये तथा अंतराष्टीय मिलेट वर्ष झाबुआ में श्री अन्न के उत्पादन में रिकॉर्ड कायम करे। कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक आईएस तोमर ने किसानों को मौसम की प्रतिकुलताओं से निपटने के लिए आवश्यक सलाह दी। कार्यक्रम की शुरूआत अतिथियों द्वारा महात्मा गांधी के चित्र पर माल्यापर्ण कर की गई। तत्पश्चात स्वागत भाषण देते हुए संस्था निर्देशक निलेश देसाई ने संस्था द्वारा निष्पादित गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वैकल्पिक विकास की प्रक्रिया में लोगों की भागीदारी आवश्यक हैं। सम्मेलन में बकरी पालक महिला नंदुडीबाई ने बताया कि एक बकरी 18 वर्ष जीवित रहती है और पुरे जीवन काल में पशु पालक को डेढ से दो लाख का फायदा पहुचाती है। इसी तरह प्रगतिशील किसान दिनेश भाबोर ने बताया कि गौबर, गौमूत्र और जीवामृत का उपयोग कर खेती की लागत 25 से 30 प्रतिशत कम की जा सकती है। कार्यक्रम में विभिन्न विभागों के अधिकारियों ने अपने अपने विभागों की योजनाओं की जानकारी दी। कार्यक्रम में प्रगतिशील किसानों ने बेहतर फसल उत्पादन के लिए और उनके द्वारा अपनाई जा रही जैविक कृषि के अनुभूत नुसखों की जानकारी दी। अतिथियों द्वारा किसानों और महिला पशु पालकों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम के अंत में अतिथियों को प्रतीक चिन्ह भेट किये गये। संचालन हरिशंकर पंवार ने किया एवं आभार राधेश्याम पाटीदार द्वारा व्यक्त किया गया।

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