RATLAM

अवतार केवल संतों और अच्छे लोगों की प्रार्थना के जवाब में, मानवता के उत्थान के लिए अवतरित होते हैं- अनिल भट्ट श्री सत्यसाई सेवा समिति द्वारा ईश्वरम्मा सप्ताह का समापन हुआ । धार्मिक एवं आध्यात्मिक गतिविधियों में सदस्यों ने बढ चढ कर लिया भाग ।

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अवतार केवल संतों और अच्छे लोगों की प्रार्थना के जवाब में, मानवता के उत्थान के लिए अवतरित होते हैं- अनिल भट्ट

श्री सत्यसाई सेवा समिति द्वारा ईश्वरम्मा सप्ताह का समापन हुआ ।

धार्मिक एवं आध्यात्मिक गतिविधियों में सदस्यों ने बढ चढ कर लिया भाग ।


रतलाम । श्री सत्य साई सेवा समिति रतलाम द्वारा  ईश्वरम्मा सप्ताह का समापन 6 मई को रेल्वे कालोनी स्थित श्री साई मंदिर में श्रद्धा एवं भक्ति के साथ संपन्न हुआ । श्री सत्यसाई सेवा समिति के जिलाध्यक्ष श्री अनिल भट्ट ने जानकारी देते हुए बताया कि ईश्वरम्मा सप्ताह का आयोजन  30 अप्रैल 6 मई तक संपन्न हुआ। इसके तहत प्रतिदिन सांई भक्त आराधना और पूजनादि अनुष्ठान में सलग्न रहे । श्री भट्ट ने  माता ईश्वरम्मा के संबंध में बताया कि इस दुनिया में कई महान माताएँ हैं, लेकिन ईश्वरम्मा चुनी हुई थीं। स्वयं श्री सत्यसाई बाबा ने कहा था कि “मैंने उसे अर्थात मां ईश्वरम्मा को अपनी माँ बनने के लिए चुना। यह माता ईश्वरम्मा और उनके बीच का घनिष्ठ संबंध है। श्री भट्ट ने समापन अवसर पर कहा कि अवतार केवल संतों और अच्छे लोगों की प्रार्थना के जवाब में, मानवता के उत्थान के लिए अवतरित होते हैं। उन्होंने बताया कि श्री सत्यसाई बाबा ने घोषणा की, अकेले अवतार को अपनी माँ के रूप में एक आत्मा का चयन करने की स्वतंत्रता है। यह वास्तव में एक अनूठा आशीर्वाद है, एक बहुत ही घनिष्ठ और व्यक्तिगत संबंध, एक सौभाग्य जो केवल एक व्यक्ति द्वारा कई युगों में जीता जा सकता है। भगवान से स्नेह, कृतज्ञता और अनुग्रह की भरपूर सेवा प्राप्त करने के लिए माँ ईश्वरम्मा अत्यंत भाग्यशाली थीं। माँ ईश्वरम्मा को इस बात का थोड़ा सा भी एहसास नहीं था कि अवतार की माँ बनना उनके अपने प्यारे बेटे से भक्तों में सर्वश्रेष्ठ का खिताब जीतने की उनकी जीवन यात्रा की शुरुआत थी ।

इस अवसर पर श्रीमती अनुराधा खरे ने मां ईश्वरम्मा की बाबा के प्रति ममत्व का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हे पता चला कि स्वामी पूर्वी अफ्रीका जाने के लिए तैयार हो गए हैं और इससे वह पूरी तरह से परेशान हो गई। वह कल्पना नहीं कर सकती थी कि स्वामी हवाई जहाज और समुद्र से शेरों और हाथियों के जंगल में यात्रा कर रहे हैं। उसने यह भी सुना था कि आदमखोर हैं और स्वामी के लिए बहुत चिंतित थी। अपने मधुर तरीके से, स्वामी ने उसके मातृ भय को शांत किया। मां ईश्वरम्मा ने अपना समय प्रार्थना और मौन में बिताया। उसी समय एक विचित्र घटना घटी। मुंबई में उन्होंने पहली बार महिलाओं पर शिक्षा के प्रभाव को देखा। वह पढ़ी-लिखी महिलाओं और उन चीजों पर अचंभित थी जो वे कर सकती थीं। जैसे ही स्वामी घर लौटे, उन्होंने महिलाओं के लिए एक कॉलेज के लिए प्रार्थना की ताकि गाँव के लोग अपनी बेटियों को शिक्षित कर सकें। मां को इस बात का पछतावा हुआ कि उन्होंने खुद को पढ़ने-लिखने के हुनर से मुक्त रखा था,फिर भी, उन्होंने इस वरदान के लिए प्रार्थना की ताकि भविष्य की युवतियां उज्ज्वल और शिक्षित हो मेधा शक्ति के लिए माता की इस गहन प्रार्थना से बढ़कर और क्या उदाहरण हो सकता है ? उनका अनुरोध स्वामी के विश्वविद्यालयों की नींव था जो आज शैक्षिक प्रणाली में सबसे आगे हैं।
 समिति कन्विनर डा. विनोद भट्ट ने बताया कि ईश्वरम्मा सप्ताह के समापन के अवसर पर बालविकास के बच्चों द्वारा मानवीय मूल्यों पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी तथा बाबा के मेरा जीवन ही मेरा सन्देश है तथा मानव सेवा ही माधव सेवा है- पर आकर्षक प्रस्तुतियां देकर उपस्थित साई भक्तों की तालियां बटोरी । इस अवसर पर मातृ पूजन का अभिनव आयोजन भी समिति द्वारा किया गया । समिति के संदीप दलवी ने जानकारी दी कि इस अवसर पर निर्मला भवन तथा मातृ एवं शिशु अस्पताल के वार्डो में जाकर नारायण सेवा की गई । समिति द्वारा जन सेवा जनार्दन सेवा का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत करते हुए महिला चिकित्सालय परिसर में शीतल आरओ जल की निशुल्क प्याउ का भी संचालन किया जारहा है।
पूरे सप्ताह भर बाल विकास के बच्चों द्वारा आध्यात्मिक एवं सास्कृतिक गतिविधियां सम्पन्न की गई तथा प्रतिदिन विभिन्न बाल विकास कक्षाओं के छात्रों द्वारा वेद पाठ ,मूल्य गीत ,ज्ञानवर्धक कहानियां, रोल प्ले एवं भजन आदि कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। 6 मई को माता ईश्वरम्मा के निर्वाण दिवस पर साई मंदिर में  नाम संकीर्तन का आयोजन भी किया गया तथा महामंगल आरती  समिति की बाल विकास प्रमुख श्रीमती अनुराधा खरे द्वारा उतारी गई । सप्ताह भर आयोजित कार्यक्रमो के आयोजन में समिति सदस्यों ने भागीदारी की । विशेष रुप से कार्यक्रम व्यवस्था एवं संचालन में श्रीमती अनुराधा खरे ,एवं श्रीमती कपीला गौड़ आदि के प्रयास वंदनीय रहा । प्रसादी के वितरण के साथ ही ईश्वरम्मा सप्ताह का समापन हुआ ।

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