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संसार में अगर आप आए हो तो आपको दुख में रहना है यह सिद्धांत और संदेश देने का कार्य राम ने किया है -महामंडलेश्वर उत्तम स्वामी जी* 11 मई को क्षत्रिय सिर्वी समाज ने लिया नगर 84 (भोजन प्रसादी) का लाभ*

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संसार में अगर आप आए हो तो आपको दुख में रहना है यह सिद्धांत और संदेश देने का कार्य राम ने किया है -महामंडलेश्वर उत्तम स्वामी जी*
11 मई को क्षत्रिय सिर्वी समाज ने लिया नगर 84 (भोजन प्रसादी) का लाभ*
झकनावदा – ब्रह्मलीन महंत श्री श्री 1008 श्री काशी गिरी जी महाराज की तपोभूमि श्रृंगैश्वर धाम पर 6 मई से आयोजित श्री 108 कुंडीय अति महारुद्र यज्ञ का 11 मई को छठा दिन हुआ है। उसी क्रम में श्री महंत रामेश्वर गिरी जी महाराज के सानिध्य में चल रहे इस महायज्ञ आयोजन में यज्ञाचार्य आचार्य पंडित श्री देवेंद्र जी व्यास उज्जैन के द्वारा 11 मई को देवता पूजन, महारुद्र यज्ञ आहुति, मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा, शिखर कलश ध्वजारोहण, सहस्त्रधारा अभिषेक आरती का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें करीब 140 जोड़ी प्रतिदिन यज्ञ में आहुति दे रहे हैं।
*10 मई को रात्रि में महामंडलेश्वर सहित महान संतों ने भक्तो को अपनी वाणी से करवाया रसपान*
श्री 108 कुण्डी अति महारूद्र यज्ञ समिति के मीडिया प्रभारी मनीष कुमट ने जानकारी देते हुए बताया कि
10 मई की रात्रि को 8 बजे ध्यान योगी महामंडलेश्वर परम पूज्य उत्तम स्वामी जी महाराज, राष्ट्रसंत बाल योगी उमेश नाथ जी महाराज उज्जैन, रामजी राम महाराज बांसवाड़ा, उदय राम जी महाराज, महामंडलेश्वर मां कनकेश्वरी देवी की सुशिष्या साध्वी मंगलेश्वरी देवी जी एवं श्री महंत धनंजय गिरि जी महाराज व गादीपति महंत श्री रामेश्वर गिरी जी महाराज आदि संत महात्माओं से मंच सुशोभित हुआ।
सर्वप्रथम आयोजक समिति के अध्यक्ष अरुण जी शर्मा, शिक्षक हेमेंद्र कुमार जोशी आदि गुरु भक्तों ने मंचासिन संत महात्माओं का स्वागत अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर मंच पर क्षेत्रीय विधायक वालसिंह मेड़ा भी उपस्थित रहे उनका भी समिति द्वारा स्वागत किया गया। इस अवसर पर मुख्य रूप से ठाकुर मनोहर सिंह सेमलिया, नारायण सुखदेव पटेल सहित कई गुरु भक्त मुख्य रूप से उपस्थित रहे। आयोजन का मंच  संचालन पूनम चंद कोठारी ने किया।
*संत महात्माओं का मिला गुरु भक्तों को आशीष*
प्रवचन के माध्यम से परम पूज्य गुरुदेव श्री उत्तम स्वामी जी महाराज ने बताया कि संसार में आप आए हो तो हमें दुख में रहना है यह आपको संदेश और सिद्धांत देने का कार्य मेरे श्री राम ने किया है। समुद्र के ऊपर स्वयं सेतु बांधने वाले जगत को विनाश करने वाली क्षमता चंद्र इंद्र सूर्य अग्नि से 33 करोड़ देवी देवता भयभीत होते थे इस रावण को भी एक बार में सुधाम पहुंचाने वाले वह भी संसार में 14 वर्ष दुख उठाया ऐसे श्रीराम है। उन्हें भी वनवास भोगना पड़ा। यह संदेश है। इसके साथ ही श्रोताओं से कहा कि आपको अपने जीवात्मा को समझने का समय है जिस पिता ने उस परमात्मा को विश्व संचालन करने की शक्ति जिसमें दी उसको भी बालक बंद कर अवतार लेने के बाद राम बनकर संसार में आए तो वह स्वयं भी अपना भाग्य नहीं बदल सके। वह अंत में अपने पुत्र से एक बूंद भी गंगाजल अपने मुख में नहीं डाल सके। और यह हमारे कर्म माने गए हैं। इसके साथ ही खा की जीवन में एक बात ध्यान में रखना दशरथ जैसे पिता को भी पुत्र पुत्र करके अपने प्राण त्याग ने पढ़े। और मैं अपने श्रोताओं से पूछना चाहता हूं। जितना दुख कबीर दास जी ने उठाया क्या आपके जीवन में उतना दुख है जितना दुख सूरदास कबीरदास तुकाराम मेघनाथ क्या उतना दुख आपके जीवन में है उनको एक समय की रोटी की भी चिंता रहती थी आपके घर में तो एक 1 वर्ष का अनाज भरा हुआ है। भगवान को एक वस्त्र से ज्यादा वस्त्र नही मिलते थे और एक आपके पास वस्त्रों को कमी नहीं है हर एक के पास दो दो चार चार वस्त्र घर में पड़े है। और भगवान का भजन क्यों नहीं करना चाहिए जिस परमात्मा ने आपको इतना अलौकिक देह दिया है। इसके साथ ही कहा कि मैं हर बार अपने प्रवचन में कहता हूं एक महिला को मैंने पूछा था कि दांत ठीक करने में कितना खर्चा आया तो उन्होंने बताया कि 25 हजार रुपए एक दांत ठीक करने के लिए इतना खर्चा आता है तो मेरे नारायण ने आपको दो दो बार दांत दिए हैं। 1 रुपया भी आपसे नहीं लिया। फिर भजन क्यों नहीं करना चाहिए। अपने जीवन का कष्ट और नष्ट करना है तो नारायण का चिंतन करें। नारायण का भजन करें। पुत्र को पिता का परिचय जैसे मां बताती है ऐसे परमात्मा का परिचय महात्मा बताते हैं इसलिए महात्माओं की वाणी को अपने जीवन में उतारे व परमात्मा का चिंतन कर अपने जीवन को संवारे।
*माही माताजी मूर्ति एवं कलश की लाभार्थी द्वारा स्थापना*
11 मई को श्रृंगेश्वर महादेव धाम मैं रतलाम झाबुआ सांसद गुमान सिंह- नाहर सिंह जी परिवार के द्वारा श्री माही माताजी मंदिर निर्माण एवं मूर्ति स्थापना का चढ़ावा लेकर नाम लिया गया था उसी क्रम में माही माताजी की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा की गई। इसके साथ ही दत्तात्रेय भगवान की मूर्ति स्थापना लाभार्थी जितेंद्र धन्ना लाल जी पडियार पेटलावद परिवार के द्वारा मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा करवाई गई। श्री भगवान दत्तात्रेय धुना पर ध्वजा एवं शिखर की लाभार्थी श्री आईदान माना जी पटेल झकनावदा पालेड़ी वाले द्वारा लिया गया। इसके साथ ही पंचमुखी हनुमान मंदिर शिखर व ध्वजा स्थापना का लाभ स्वर्गीय तुलसी बाई नारायण जी राठौड़ की स्मृति में लिया गया है। श्री श्री 108 काशी गिरी जी महाराज की समाधि मंदिर पर शिखर ध्वजा का लाभ श्री राजेंद्र कुमार जी दुलीचंद खुडवेल झकनावदा परिवार ने लिया। सभी लाभार्थियों का आयोजक समिति ने धन्यवाद प्रकट किया। लाभार्थियों परिवार की उपस्थिति में सकुशल आयोजन संपन्न हुआ।
*क्षत्रिय सिर्वी समाज ने लिया नगर चौरासी का लाभ*
भव्य आयोजन के छटे दिन सकल क्षत्रिय सीरवी समाज ग्राम झकनावदा (छोटा बिठुडा) के द्वारा 11 मई कि नगर चौरासी (भोजन प्रसादी) का लाभ लिया गया जिसमें हजारों गुरु भक्तों ने महा प्रसादी का लाभ लिया। तो वहीं क्षत्रिय सीरवी समाज के महिला एवं पुरुषों ने स्वयं अपने हाथों से श्रद्धालुओं को भोजन परोसा। क्षत्रिय सीरवी समाज नगर व आसपास के क्षेत्र में होने वाले सामाजिक एवं धार्मिक आयोजनों में हमेशा ही बड़ चढ़ कर हिस्सा लेकर सेवाएं देते नजर आते हैं।
नगर के एकमात्र शनि मंदिर हनुमान जी मंदिर एवं भैरवनाथ मंदिर में नगर के कई भक्तों की मंशा थी कि वहां पर शिव परिवार भी विराजित हो। और आखिर शिव जी ने उन भक्तों की मंशा अनुसार मंदिर में स्थापित होना तय कर ही लिया। उसी क्रम में झकनावदा हरीश कुमार गोपाल कुमार सुभाष जी सोनी परिवार के द्वारा नगर के एकमात्र शनि मंदिर पर शिवलिंग, पार्वती जी, नंदी महाराज, कार्तिकजी एवं गणेश जी की मूर्ति स्थापना का लाभ के कर मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा करवाई गई। आपको बता दें कि नगर में प्राचीन एक शिव मंदिर है लेकिन मंदिर छोटा होने से श्रावण मास व मनसा महादेव व्रत कथा के समय लंबी कतार लग जाती थी लेकिन अब आशा है कि नगर में दो शिव मंदिर होने से अब भीड़ कम रहेगी वह आसानी से श्रद्धालु पूजन अर्चन कर पाएंगे।

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