झाबुआ

जिले में बस संचालकों द्वारा किराया और किराया सूची को लेकर मनमानी जारी….फिटनेस को लेकर बसो की जांच की आवश्यकता….

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झाबुआ – शहर में और जिले में बस संचालकों द्वारा बसों में किराया सूची को लेकर और किराया को लेकर मनमानी का दौर लगातार जारी है । साथ ही साथ इन बसों के फिटनेस को लेकर भी जांच की आवश्यकता है कही परिवहन विभाग की लापरवाही और नियमों की अनदेखी किसी हादसे का कारण न बन जाए ।

जिला मुख्यालय से करीब 150 से अधिक बसें प्रतिदिन आवागमन करती है तथा इन बसों में करीब 5000 से अधिक यात्री अपना सफर तय करते हैं लेकिन बसों के संचालन में नियमों को लेकर कोई मापदंड जिले में नजर नहीं आ रहा है । वही पिछले दिनों खरगोन जिले में हुए बस हादसों में कई लोगों की जानें चली गई । बसों की खस्ता हालत व नियमों की अवहेलना अक्सर देखने को मिल रही है बसों का संचालन नियमों को ताक पर रखकर किया जाता है आदिवासी बाहुल्य जिला होने के कारण यहां कोई नियमों को लेकर ध्यान नहीं देता है साथ ही साथ ग्रामीण जनों को भी नियमों की कोई विशेष जानकारी नहीं है स्थिति यह है कि इक्का-दुक्का बसों में ही नियमों का पालन हो रहा है बाकी सब नियम हवा में उड़ा दिए जाते हैं । यदि हम बात करें बसों में तो बसों में किराया सूची के अभाव में संचालक द्वारा मनमाना किराया वसूला जा रहा है । यदि हम बात करें झाबुआ से इंदौर के सफर की तो किसी बस में ₹170 तो किसी में 200 तो किसी में 240 रुपए यात्री से लिए जाते हैं यदि यह किराया नियम अनुसार सही है तो बसों में किराया सूची चस्पा होना आवश्यक है ताकि यात्री अपने आपको थका महसूस ना करें । संभवत किराया सूची के अभाव में और आम जनों की जानकारी के अभाव में बस संचालकों द्वारा छोटी-छोटी दूरी का मनमाना किराया वसूला जा रहा है नियमानुसार रूट चार्ट के हिसाब से किराया दर की सूची बसों में आवश्यक रूप से लगाई जाना चाहिए । इसके अलावा बसों में महिलाओं और दिव्यांगों के सीट अब लगभग खत्म हो चुकी है बसों में क्षमता से अधिक सवारी बिठाना यहां आम बात हो गई है । इसके अलावा कई बसों में फर्स्ट एड बॉक्स उपलब्ध नहीं है । इसके अलावा जिले में बसों की फिटनेस को लेकर भी परिवहन विभाग को समय-समय पर चेकिंग अभियान चलाना चाहिए तथा अनफिट बसों को रूट से हटाना चाहिए ताकि यात्री बिना किसी भय के अपना सफर पूर्ण कर सके । इसके अलावा निजी टूर एंड ट्रेवल्स द्वारा बसो का संचालन या टूर परमिट पर बसों का संचालन किया जा रहा है ।. जो यात्रियों को एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश तक सफर तय करवाती है । इन बसों में विशेष रूप से झाबुआ जिले से पलायन कर अन्य प्रदेशों में ग्रामीण जन मजदूरी के लिए जाते हैं । जिसमें इन बस संचालकों द्वारा मनमाने रूप से ग्रामीण जनों से किराया वसूला जा रहा है । समय-समय पर इन बसों की चेकिंग भी की जाए तो यह बसों में माल भाड़े के रूप में भी उपयोग की जाती है जिसमें बिना जीएसटी का , माल या सामग्री एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश पहुंच रही है और दोनों ही प्रदेश को जीएसटी का नुकसान हो रहा है ।

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