झाबुआ-जिले में परिवहन विभाग की उदासीनता और प्रशासनिक लापरवाही के कारण कई कंडोम बसे जिले में मौत बनकर दोड रही है । वही पिछले दिनों खरगोन जिले में हुए बस हादसों में कई लोगों की जानें चली गई । हादसे के बाद भी जिले में कोई कार्यवाही देखने को नहीं मिली । बसों की खस्ता हालत , नियमों की अवहेलना व बस संचालकों की मनमानी आए दिन देखने को मिल रही है । यहां बसों का संचालन नियमों को ताक पर रखकर किया जा रहा है आदिवासी बाहुल्य जिला होने से यहां कोई नियमों को लेकर ध्यान नहीं दिया जाता । स्थिति यह हैं कि कुछ बसों में ही नियमों का पालन हो रहा है । वही नियमों की अनदेखी के कारण ही कई बार हादसे हो जाते हैं । बस संचालकों द्वारा बसों में किराया और किराया सूची को लेकर भी मनमानी जारी है
जानकारी अनुसार झाबुआ जिले से अलीराजपुर ,इंदौर, बड़वानी, रतलाम, नीमच, पेटलावद , गुजरात के बड़ौदा, गोधरा के अलावा पारा, बोरी , कल्याणपुरा, मेघनगर , काली देवी ,राणापुर , थांदला आदि अनेक क्षेत्रों में बसों का संचालन होता है कहने को तो जिला मुख्यालय से करीब 150 से अधिक बसें प्रतिदिन आवागमन करती हैं तथा करीब 7000 से अधिक यात्री इन बसों के माध्यम से अपनी यात्रा तय करते हैं । कुछ स्लीपर कोच बसों द्वारा टूर परमिट पर भी यात्रियों को जिला मुख्यालय से गुजरात की ओर यात्रा करवाई जा रही है टूर परमिट पर यात्री बसों के तौर पर उपयोग किया जाना सही है या नहीं …जांच का विषय है । वही बस संचालकों द्वारा अपनी बसों में किराया और किराया सूची को लेकर मनमानी करते हुए कोई कोई भी बस में किसी भी गंतव्य तक जाने का किराया दर्शाया हुआ नहीं है । झाबुआ से इंदौर जाने के लिए किसी बस में 180, तो किसी में 200, तो किसी में ₹240 यात्रियों से वसूले जा रहे हैं । लेकिन इन बसों में किराया सूची नजर नहीं आ रही है । वही कई बस संचालक को द्वारा यात्रियों को टिकट भी नहीं दिया जाता है बस संचालकों द्वारा छोटे-छोटे गंतव्य तक जाने के लिए राउंड फिगर में किराया वसूल जा रहा है । मनमाना किराया न देने पर कई बार कंडक्टर द्वारा बस से उतारने की बात भी कही जाती है । इसके अलावा जिले की अधिकांश बसों में स्पीड गवर्नर लगे हुए नहीं है और ना ही आपातकालीन द्वार । कई बसों में महिलाओं के लिए सीटें भी आरक्षित नहीं है । बसों के अंदर फर्स्ट एड बॉक्स की सुविधा भी नहीं है कुछ बसों की हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि बसों के बॉडी के लोहे के पतरे से यात्रियों के घायल होने की भी संभावना बनी हुई है । वहीं इन्हीं बसों की फिटनेस परमिट भी जांच के घेरे में है कई बार बसों में क्षमता से अधिक सवारियों को बैठाया जा रहा है । शासन प्रशासन के साथ साथ परिवहन विभाग को चाहिए कि जिले में संचालित होने वाली सभी बसों में किराया सूची आवश्यक रूप से दर्शाई जाए , जिससे यात्री अपने आप को ठगा सा महसूस ना करें और बस संचालक भी यात्रियों से मनमाना किराया वसूल ना सके । कया शासन प्रशासन इस ओर ध्यान देकर कोई कार्रवाई करेगा या फिर यह बस संचालक यूं ही मनमानी करते रहेंगे…?
परिवहन विभाग को बसों की फिटनेस को लेकर जांच अभियान चलाना चाहिए व बसो मे किराया सूची लगाने बाबत निर्देश भी जारी करना चाहिए ।