रतलाम। एक तरफ तो हम शहर विकास की बात कर रहे हैं, दूसरी तरफ शहर के विनोबानगर क्षेत्र की ए कॉलोनी में पिछले सात सालों से जलसंकट बना हुआ है। आठ दिन में एक बार कचरा गाड़ी है, तो लोगों के घरों में एकत्रित कचरा बदबू मारने लगता है। जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण क्षेत्रवासी पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं। हर घर के रहवासी को महिने में तीन-चार बार स्वयं के व्यय से टैंकर डलवाना पड़ता है, तब जाकर घरेलू काम-काज निपट पाते हैं।वार्ड क्रमांक 4 के रहवासियों का कहना है कि ट्यूबवेल वालों के यहां से कब तक पानी मांगे, गर्मी के दिनों में तो हालत खराब है। जबकि सबकी डायरी बनी हुई है, राशि भी हर माह जमा की जा रही है, लेकिन पानी का ठिकाना नहीं है। ए कॉलोनी में 15 से 20 मकान है, जहां हर दिन पानी के लिए इधर-उधर से मशक्कत करना पड़ती है।
क्षेत्र में पानी का संकट
पानी की सबसे बड़ी समस्या है, कोई नहीं सुनता। रहवासी सात-आठ सालों से परेशान है। पानी की एक बूंद तक नलों में नहीं आती। कभी लोगों से तो कभी स्वयं टैंकर मंगवाना पड़ रहा है। कचरा गाड़ी भी नियमित नहीं आती।
संतोष शर्मा, विनोबानगर ए निवासी
कचरा गाड़ी नियमित नहीं
ना पानी मिलता है और ना ही कचरा गाड़ी नियमित आती है। आठ दिन में एक बार कचरा वाहन आता है, इसलिए घर में बदबू मारता है, बाहर फैंकने जाते हैं तो दंड का कहकर डराते हैं, तो जिम्मेदारों का फिर नियमित कचरा गाड़ी पहुंचाना चाहिए।
अभयप्रताप परमार, विनोबानगर ए निवासी
आठ दिन में एक बार आता कचरा वाहन
पांच-सात सालों से पानी की समस्या बनी हुई है। कचरा गाड़ी कभी समय पर नहीं आती, इसलिए घर में एकत्रित करना पड़ता है। निजी टैंकर मंगवाकर पूर्ति करना पड़ती है। इस समस्या को पूरे क्षेत्रवासी बरसों से झेल रहे हैं, कोई सुनवाई नहीं होती,
ज्योतिबाला, प्रेमलता बाई, विनोबानगर ए निवासी
तीन-चार बार टैंकर डलवाने पड़ते
विनोबानगर में पानी की अधिक परेशानी है, निजी टैंकर मंगवाते हैं, एक टैंकर 450 रुपए में पड़ता है, और महिने में तीन-चार तो लग जाते हैं। तब जाकर पूर्ति हो पाती है। गर्मी में तो स्थिति और बिगड़ती है। कोई सुनवाई नहीं होती।
कैलाश राठौड़, विनोबानगर ए निवासी( सौजन्य से दैनिक पत्रिका)