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मेडिकल कॉलेज में जलसंकट:4 लाख लीटर पानी देने के वादे से पीछे हट गया नगर निगम रतलाम

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मेडिकल कॉलेज में जलसंकट:4 लाख लीटर पानी देने के वादे से पीछे हट गया नगर निगम

रतलाम~~( सौजन्य से दैनिक भास्कर)पानी की लड़ारतलाम ई होती रहती है… लेकिन, जब यह जनता से जुड़े दो विभागों के बीच हो तो खास हो जाती है। पानी को लेकर नगर निगम और मेडिकल कॉलेज आमने-सामने हैं। नगर निगम मेडिकल कॉलेज को जरूरत के मान से पानी नहीं दे रहा है। नगर निगम ने मेडिकल कॉलेज को 4 लाख लीटर पानी देने के एमओयू कर रखा है। मितव्ययिता से उपयाेग करे ताे भी कम से कम 2.5 से 3 लाख लीटर पानी की जरूरत राेज लगती है।

मुसीबत यह है कि कॉलेज परिसर में जाे 4 बोरवेल्स थे, वाे सूख चुके हैं। ऐसे में जलसंकट गहरा गया है। क्योंकि, कॉलेज में 870 स्टूडेंट की फुल बेंच है। 400 प्राेफेसर, डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ और उनके परिवार के सदस्य रह रहे हैं। इसके अलावा 800 से ज्यादा मरीज और उनके परिजन हैं। ऐसे में बार-बार पानी खत्म होने की समस्या आने लगी है। पानी को लेकर मेडिकल कॉलेज से नगर निगम को बार-बार सप्लाई बढ़ाने काे कहा जा रहा है ।

इधर, गर्मी में शहरवासियों काे पहले पानी देने के नाम पर नगर निगम हाथ खड़े कर चुका है। एेसे में बचे हुए गर्मी के दिनाें में मेडिकल काॅलेज में मरीज काे दवा ताे मिल जाएगी लेकिन उसे लेने के लिए पानी मिल जाएगा यह स्पष्ट नहीं है।

ऐसा हो चुका… फोड़ दी थी पाइप लाइन
चार साल पहले ही बरबड़ स्थित विधायक सभागृह के पीछे बस्ती में बारिश का पानी निकालने के दौरान निगम अमले को पीवीसी की पाइप लाइन मिली। निगम टीम ने सिरा तलाशा तो मेडिकल कॉलेज को पानी देने के लिए डाली लाइन से वह जुड़ी थी। सिटी फोरलेन किनारे डाली बड़ी पाइप लाइन को फोड़कर कनेक्शन कर रखा था। लगभग 350 फीट लंबी पाइप लाइन निकल आई थी। जिस तरह से नल कनेक्शन कर रखा था, निगम को आशंका थी कि यह निगम में नल कनेक्शन करने वाले ठेकेदार का कमाल था।

विधायक काश्यप को देना पड़े थे निर्देश
मेडिकल कॉलेज को निगम से पर्याप्त पानी नहीं मिलने की समस्या चार साल पहले जब विधायक काश्यप को पता चली तो वे तत्कालीन महापौर डाॅ. यार्दे के साथ कस्तूरबा नगर की पानी की टंकी का निरीक्षण करने पहुंचे थे। पता चला धोलावड़ से आ रही पाइप लाइन से जब मेडिकल कॉलेज को पानी दिया जाता है उसी समय कस्तूरबा नगर की टंकी भरती है, इससे मेडिकल कॉलेज तक पानी पूरे प्रेशर से नहीं पहुंच रहा। विधायक काश्यप ने वाल्व लगाकर इस कमी को में दूर करने के लिए कहा था। इस बार भी कहीं ऐसा ही तो नहीं हो रहा।

अधिकारी पहले हो चुके आमने-सामने
मेडिकल कॉलेज में पानी की समस्या पुरानी है। 2018 में कॉलेज की शुरुआत के दौरान कमान तत्कालीन डीन डॉ. संजय दीक्षित के हाथ में थी। तब कॉलेज पूरी तरह जमा नहीं था, बावजूद एक दिन में 1 से 1.5 लाख लीटर पानी की जरूरत थी। नगर निगम से 30 से 40 हजार लीटर ही पानी दिया जाता था। वह भी एक-दो दिन छोड़कर। इसे लेकर लेटरबाजी हो चुकी है। इसके बाद कॉलेज को अलग पाइप लाइन दी। तत्कालीन कलेक्टर रुचिका चौहान और उज्जैन संभागायुक्त ने कॉलेज को कनेरी डेम से पानी देने के लिए एस्टीमेट बनाने के लिए कहा था। मामला ठंडा हो गया।

मेडिकल कॉलेज V/S नगर निगम

डॉ. जितेंद्र गुप्ता, डीन, मेडिकल कॉलेज

भास्कर – मेडिकल काॅलेज में पानी की क्या व्यवस्था है?
डीन – निगम से 4 लाख लीटर पानी का एमओयू है, दाे लाख भी नहीं दे रहे।

एपीएस गहरवार, आयुक्त, नगर निगम

भास्कर – मेडिकल कॉलेज से 4 लाख लीटर का एमओयू है ताे देते क्याें नहीं?
आयुक्त – हमें शहर भी देखना है, जनता को पानी की जरूरत है। गर्मी के बाद देंगे।

कई जिलों से रतलाम आ रहे हैं मरीज
इधर, मेडिकल कॉलेज फुल फ्लैश चालू है। मरीज दूर-दूर से आ रहे हैं, ऐसे में जलसंकट से बड़ी परेशानी होती है। मेडिकल स्टूडेंट, स्टाफ के साथ मरीज हैं, ऐसे में कॉलेज में कम से कम 3 हजार लोगों का आवागमन रहता है। आसपास तालाब सूखने से बोरवेल्स दम तोड़ चुके हैं।

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