झाबुआ

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली ,मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय भोपाल ,विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन पर संगोष्ठी एवं तीन दिवसीय राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला का समापन।

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शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास नई दिल्ली ,मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय भोपाल ,विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के क्रियान्वयन पर संगोष्ठी एवं तीन दिवसीय राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला का समापन।
       समापन सत्र की अध्यक्षता महामहिम राज्यपाल मध्यप्रदेश श्री मंगू भाई छगनभाई पटेल जी के द्वारा की गई मुख्य अतिथि डॉ मोहन जी यादव माननीय मंत्री उच्च शिक्षा मध्य प्रदेश साथ ही प्रमुख वक्तव्य डॉ अतुल कोठारी राष्ट्रीय सचिव शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने दिया मंच पर सानिध्य प्रोफेसर संजय तिवारी माननीय कुलपति राजा भोज मुक्त विश्वविद्यालय भोपाल मध्य प्रदेश तथा प्रोफेसर अखिलेश पांण्डेय विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन मध्य प्रदेश का रहा। कार्यक्रम का सूत्र संचालन डॉ प्रशांत पौराणिक ने किया गया और धन्यवाद ज्ञापन श्री ओम प्रकाश शर्मा राष्ट्रीय संयोजक आत्मनिर्भर भारत, शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के द्वारा व्यक्त किया गया ।कार्यक्रम का आरंभ राष्ट्रगान के साथ किया गया तत्पश्चात दीप प्रज्वलन, मां सरस्वती प्रतिमा पूजन और सरस्वती आराधना गीत के साथ संपन्न हुआ ।स्वागत की श्रृंखला में विभिन्न अतिथियों का स्वागत स्मृति चिन्ह प्रदान कर किया गया ।राज्यपाल महोदय मंगूभाई पटेल एवं माननीय मंत्री उच्च शिक्षा मध्य प्रदेश मोहन जी यादवका स्वागत प्रोफेसर संजय तिवारी एवं प्रोफेसर अखिलेश पांडे के द्वारा किया गया मुख्य वक्ता डॉ अतुल कोठारी का स्वागत भोज विश्वविद्यालय एवं विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपतियों के द्वारा किया गया  संयोजक मध्य क्षेत्र श्री अशोक कडेल के द्वारा राष्ट्रीय शैक्षिक कार्यशाला की जानकारी प्रदान की गई इस कार्यशाला में 35 प्रांतों से 400 से अधिक प्रतिभागी उपस्थित रहे ।न्यास के सभी विषय राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जुड़े हैं एवं भारतीय ज्ञान परंपरा को महाविद्यालय विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में संचालित करने का कार्य किया जा रहा है। भारतीय भाषाओं के विकास से जुड़ा पाठ्यक्रम, भारतीय ज्ञान परंपरा, पर्यावरण ,चरित्र निर्माण, मातृभाषा में शिक्षा का समावेश शिक्षा नीति में किया गया है ।10 विषय 3 आयाम 3कार्य विभाग पर कार्य शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के द्वारा लगातार किया जा रहा है। राष्ट्रीय सचिव एवं इस समापन सत्र के मुख्य वक्ता डॉ अतुल कोठारी ने अपने संबोधन में हर्ष के साथ इस बात को व्यक्त किया कि वर्ष 2011 में उज्जैन में राष्ट्रीय कार्यशाला में 70 संयोजको की संख्या थी जबकि आज 2023 में आयोजित इस कार्यशाला में 400 से अधिक संयोजक ,सहसंयोजक उपस्थित है आपने कहा देश को बदलना है तो शिक्षा को बदलना होगा इस सूत्र वाक्य को संकल्प के रूप में न्यास ने ग्रहण किया भारतीयता को केंद्र में रखकर शिक्षा का स्वरूप रखा जाए भारतीय मूलभूत परंपरा का प्रयोग कर शिक्षा में परिवर्तन हो इस दिशा में हम संकल्प के साथ प्रयासरत हैं। न्यास ने ऐसे मंच उपलब्ध किए जहां विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति कुलाधिपति शिक्षाविद एक साथ एक मंच पर बैठकर विचार मंथन करते हैं और शिक्षा जगत की सभी समस्या के समाधान पर चर्चा की जा सकती है हमारे सूत्र वाक्य का प्रभाव रहा कि कई कुलपति न्यास से जुड़ते गए मां मातृभूमि और मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं हो सकता है क्योंकि दुनिया की कोई भी श्रेष्ठ भाषा हमारी मातृभाषा नहीं बन सकती दुनिया की सबसे श्रेष्ठ भाषा भारत की भाषा है एआईसीटी ने 12 भाषाओं में अपने पाठ्यक्रम तैयार किया हैं और सभी भारतीय 22 भाषाओं में पाठ्यक्रम तैयार हो इस हेतु वे प्रतिबद्ध है ।आपने मध्य प्रदेश चिकित्सा क्षेत्र का अभिनंदन किया क्योंकि सर्वप्रथम मेडिकल की पुस्तकें भारत की भाषा में तैयार करने का श्रेय मध्यप्रदेश को जाता है ।अपने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कट पेस्ट कर किए गए अनुसंधान पर पीएचडी की डिग्री न बाटी जाए तत्कालीन समय में मौलिक चिंतन और मौलिक विचारों को केंद्र में रखे गए कार्यों की आवश्यकता है शोध कार्य स्थानीय भाषा में संपन्न हो तभी आत्मनिर्भर भारत बन सकेगा आपने मध्य प्रदेश के सबसे पिछड़े इलाके झाबुआ की कार्यप्रणाली की सराहना की जहां सरकार के पदाधिकारी राष्ट्रीय कौशल निगम के अधिकारी अनुबंध करने हेतु तत्पर हैं ।’देश को बदलना है तो शिक्षा को बदलो’ शिक्षा से ही समाज में परिवर्तन संभव है अपने वक्तव्य को अंत में विराम देते हुए आपने कहा जब तक शिक्षा नीति का क्रियान्वयन नहीं हो जाता हम चैन से नहीं बैठेंगे क्योंकि शिक्षा बदलेगी तो देश बदलेगा। इस दृष्टि से इस सोच को हम सभी मिलकर साकार करें।
 मोहन जी यादव ने अपने मुख्य अतिथि उद्बोधन में संबोधित करते हुए मंच से अपनी बात रखी और कहां राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन में मध्य प्रदेश प्रथम रहा आने वाली कठिनाइयों का हमने हिम्मत से सामना किया। मुगलों के गौरवशाली इतिहास को मुग़ल-ए-आज़म तक ले जाने वाले हम लोग रानी दुर्गावती के बलिदान को कैसे भूल जाते हैं। गीता रामायण को संदर्भ ग्रंथ में नहीं रखेंगे तो हमारे इस देश की गौरवशाली परंपरा से हम आने वाली पीढ़ी को कैसे अवगत करा पाएंगे ।शिक्षा को गौरवान्वित करने हेतु हमें उसे अतीत के साथ जोड़ना होगा । इस देश मे  ओपन यूनिवर्सिटी की शुरुआत एकलव्य ने की जहां जंगल के एकांत में अकेले बैठ कर भी उन्होंने अपनी पहचान बनाई। उज्जैन के गरिमा में इतिहास की स्मृतियों को याद करते हुए आपने कहा यह उज्जैन है जहां 12 वर्षों में कुंभ का आयोजन कर अमृत निकलता है निश्चित रूप से इस कार्यशाला के बाद निकलने वाले अमृत से शिक्षा जगत लाभान्वित होंगा। आपने सभी को इस कार्यशाला को सफल बनाने हेतु हार्दिक बधाई प्रेषित की।
महामहिम राज्यपाल मध्यप्रदेश श्री मंगूभाई पटेल जी ने 35 प्रांतों के कुलपति शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए प्रसन्नता जाहिर की ।इस कार्यशाला का स्थान महाकाल का आंगन तय किया गया और इस आंगन पर बैठकर की गई चर्चा सार्थक होगी। शिक्षा नीति के क्रियान्वयन से सभी का परिश्रम फलीभूत होगा ।एक समय था जब शिक्षा बचाओ आंदोलन करना पड़ा किंतु आज पुराना भारत अपने गौरवमय अतीत के साथ वापस आ रहा है ।तक्षशिला नालंदा हमारे यहां के ऐसे विश्वविद्यालय रहे जहां पर विदेशों से विद्यार्थी पढ़ने आया करते थे ।इस सामर्थ्यवान देश का सामर्थ्य वापस लौट रहा है ।आज प्रधानमंत्री नरेंद्र जी मोदी के लिए रेड कारपेट बिछाकर अमेरिका उनका स्वागत कर रहा है यह इस भारत का सम्मान है ।शिक्षा के क्षेत्र में वैचारिक पहल के लिए उन्होंने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास को साधुवाद प्रेषित किया। आपने कहा शिक्षा ही वह साधन है जो विश्व में गौरव का स्थान दिला सकती है ।राष्ट्रीय विकास का आधार सृजनकारी समाधानकारी शिक्षा, वैज्ञानिक सोच, मनोरंजन शिक्षा को विकसित करना हमारा कर्तव्य है। यह अभूतपूर्व पहल है इस देश को महाशक्ति बनाने के लिए शिक्षकों को खुली विचारधारा के साथ चाणक्य के समान चंद्रगुप्त का निर्माण करना होगा। महाविद्यालय विश्वविद्यालय भावी पीढ़ी का निर्माण करते हैं पर कई बार विश्वविद्यालय में होने वाली दुर्भावनाएं शैक्षणिक वातावरण एवंविद्यार्थियों के प्रवेश को प्रभावित कर सकती है इस बात का पूरा ध्यान शिक्षाविद रखें। आपने शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के राष्ट्रीय सचिव डॉअतुल कोठारी के कार्यों की प्रशंसा की और कहा 1987 से अतुल भाई जी से मेरा संबंध है। हम अपनी संस्कृति का उल्लेख भरना करें अपितु आचरण में संस्कृति को समाहित करें इस ज्ञान रूपी पंडाल में जो कुछ अच्छा मंथन हुआ है उसे यहां छोड़कर नहीं जाएंगे साथ लेकर जाएं और आचरण में उतारने का प्रयास करें इस संदर्भ में आपने  संत तुकाराम का उदाहरण भी प्रेषित किया आपने शिक्षाविदों को संबोधित करते हुए कहा मैं आपकी इस विचारधारा से ही तैयार हुआ हूं सभी का योगदान इस देश को विश्व गुरु बनाने में हो आपने रशिया और यूक्रेन का संदर्भ दिया और प्रधानमंत्री जी की प्रशंसा की कि 3200 विद्यार्थियों को व सुरक्षित लेकर आए। विदेश में जाकर शिक्षा ग्रहण करने काविद्यार्थी मोह छोड़दें। मातृभाषा में हमारे यहां तैयार पाठ्यक्रम और राष्ट्रीय शिक्षा नीति के द्वारा तैयार पाठ्यक्रमों के द्वारा रोजगार की उपलब्धियां भारत में  है ।देश में रहकर कार्य करें ।भारत विश्व गुरुबने इस हेतु सभी शिक्षाविद सदैव प्रयासरत रहे ।आपने उपस्थित सभी को बधाई प्रेषित की। आभार ज्ञापन एवं राष्ट्रीय गीत के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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