झाबुआ

स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया की आठवीं पुण्यतिथि 24 जून को , उनके प्रतिमा स्थल पर लगेगा अनुयायियों का मेला

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6 बार सांसद चुने गए, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अध्यक्ष रहे, पेसा कानून भी उन्होंने तैयार किया
झाबुआ। पेसा कानून के जनक कद्दावर आदिवासी नेता स्वर्गीय दिलीप सिंह भूरिया की 24 जून को आठवीं पुण्यतिथि है। इस दौरान मेघनगर नाका स्थित उनकी प्रतिमा पर सुबह 10 बजे से उनके अनुयायियों का मेला लगेगा। स्वर्गीय भूरिया आदिवासियों में सर्वमान्य नेता थे। वे 6 बार सांसद रहे। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति जनजाति आयोग के अध्यक्ष के साथ ही उन्होंने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां भी संभाली। स्वर्गीय भूरिया हमेशा आदिवासी जिलों में शराबबंदी की पैरवी करते रहे । साहूकारों के चंगुल से आदिवासियों को मुक्त कराकर सहकारी बैंक में चांदी के गहने गिरवी रखकर कम ब्याज दर लाेन दिलाने की पहल का श्रेय भी उन्हें जाता है। जनहित से जुड़े मुद्दे पर वे अपनी सरकार के समाने भी खड़े होने से परहेज नहीं करते थे। राजनीति में ऐसी हिम्मत दिखाने वाले वे देश के एक मात्र नेता थे। उनकी पुण्यथिति पर भाजपा के साथ ही कांग्रेस के नेता भी उनकी प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने पहुंचेंगे। सुबह 10 बजे से ही श्रद्धांजलि का दौर शुरू हो जाएगा।
इन कामों के लिए भी हमेशा याद किया जाएगा –

  1. जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अध्यक्ष करते हुए मुख्य कार्यालय भवन पीली कोठी को बैंक के लिए खरीद कर उपलब्ध करवाया। अपने कार्यकाल के दौरान चांदी गिरवी रखकर किसानों को ऋण उपलब्ध करवाने की पहल की।
  2. जिला सहकारी थोक उपभोक्ता भंडार झाबुआ की स्थापना कर संस्थापक अध्यक्ष निर्वाचित हुए। जिला थोक उपभोक्ता भंडार के माध्यम से दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में उचित मूल्य की दुकान खुलवाई।विद्यार्थियों के लिए कम दर पर पाठ्य सामग्री निर्माण कर वितरित करने का कार्य किया गया
  3. झाबुआ में सहकारिता के माध्यम से घरेलू गैस वितरण का कार्य जिला थोक उपभोक्ता भंडार को दिलवाने का श्रेय भी स्वर्गीय भूरिया को जाता है।
  4. राष्ट्रीय सहकारी संघ के अध्यक्ष रहते हुए नई दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय सहकारी संघ का सम्मेलन आयोजित किया । जिसमें विश्व के 156 देशों ने सहभागिता कर भारत में चल रहे सहकारी आंदोलन और स्वर्गीय भूरिया की नेतृत्व कुशलता को देखा।
    5.आदिवासियों के रीति रिवाज और उनकी परंपराओं के साथ जल, जंगल और जमीन पर उनके अधिकारों को लेकर स्वर्गीय भूरिया के द्वारा अनेक कानूनों का सृजन करने का महत्वपूर्ण कार्य किया गया। जिसका लाभ जनजातीय समाज की आने वाली पीढ़ियों को मिलता रहेगा

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