झाबुआ। आदिवासी अंचल में अमरनाथ यात्रा को लेकर शिवभक्तों में खासा उत्साह रहता है। अंचल से प्रतिवर्ष ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र के श्रद्वालु बाबा अमरनाथ के दर्शन के लिए बडी संख्या में जाते है। इस वर्ष भी यात्रा आरंभ होते ही बाबा अमरनाथ के दर्शन के लिए भक्तों के जाने का सिलसिला शुरू हो गया है। मंगलवार को झाबुआ से पहला व दुसरा जत्था विगत कल व आज झाबुआ से रवाना हो गया है, जिसमें रितेश पंवार, अर्पित भावसार, मंयक भावसार, मौसम बाफना, मंयक शर्मा शामिल है। पहले गए जत्थे में 5 लोग वह दूसरा जत्था जो आज रवाना हुआ उसमें लगभग 10 लोगों के लगभग बाबा बर्फानी के लिए रवाना हो चुका है। यात्रा पर जा रहे भक्तों ने बताया कि वे परिवार, समाज, देश, प्रदेश की समृद्धि की प्रार्थना बाबा भोलेनाथ से करेंगे। झाबुआ मुख्यालय से बाबा अमरनाथ के दर्शन हेतु यात्रियों के रवाना होने से पहले सज्जन रोड स्थित पंवार मशनरी पर अमरनाथ सेवा समिति झाबुआ के सदस्यों द्वारा उनका फूल मालाओं से स्वागत कर उन्हें मंगलमय यात्रा हेतु बिदाई दी। इस दौरान बम बम भोले और हर हर महादेव के जयघोष से पूरा वातावरण गुंजायमान हुआ।
दर्शन हेतु जाते है दो मार्ग… झाबुआ अमरनाथ सेवा समिति से जुड़े सदस्यों जैसे अमित पवार,मनोज वर्मा,प्रकाश राठौर,दीपक खट्टाली,मनीष पवार,राजेंद्र शर्मा,अजय वर्मा,चुन्नू पवार,मयूर शर्मा,माधव राठौर,कुलदीप वर्मा,संदीप सोनी,कनीराम,नीरज राठौड़, गोपाल पवार, विनोद मेडा जानकारी देते हुए बताया कि बाबाजी का दिव्य शिवलिंग प्राकृतिक बर्फ से बनता है, ऐसी मान्यता है कि अमरनाथ गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वतीजी को अमरत्व का रहस्य बताया था। शिवलिंग का निर्माण अपने आप प्राकृतिक बर्फ से होता है। शिवलिंग चंद्रमा के घटने-बढ़ने के साथ घटता-बढ़ता है। सावन महीने के अंतिम दिन पूर्णिमा को यह पूरे आकार में आ जाता है। इसके पश्चात धीरे-धीरे शिवलिंग छोटा होता जाता है। अमरनाथ जाने का चंदनबाड़ी और बालटाल दो मार्ग है, जिससे चलकर लाखों भक्त हर वर्ष बाबा बर्फानी के दर्शन करने हेतु जाते है, चंदनबाड़ी मार्ग से गुफा 32 किमी और बालटाल से 14 किमी दूर है। कम दुरी वाला मार्ग चढाई वाला है। इसी क्रम में आज झाबु से पहला जत्था बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए रवाना हुआ है वैसे ही अलग-अलग दिन अलग-अलग जत्थे तारीख के हिसाब से रवाना होते रहेंगे और बाबा बर्फानी के दर्शन भक्तजन कर पाएंगे।