गुरू के आकर्षण का गुरूत्वाकर्षण हमारे पूरे जीवन को बदल देता है और हम सद्मार्ग चलने लगते है- रवि हंसोगें~~ श्री सत्यसाई सेवा समिति ने श्रद्धा एवं भक्ति के साथ मनाया गुरूपूर्णिमा उत्सव~~ बालविकास गुरूओं का किया गया सम्मान.
गुरू के आकर्षण का गुरूत्वाकर्षण हमारे पूरे जीवन को बदल देता है और हम सद्मार्ग चलने लगते है- रवि हंसोगें~~
श्री सत्यसाई सेवा समिति ने श्रद्धा एवं भक्ति के साथ मनाया गुरूपूर्णिमा उत्सव~~
बालविकास गुरूओं का किया गया सम्मान. रतलाम । भगवान सत्य साईं बाबा हमारी पीढ़ी के वरदान हैं। जहाँ वे चरण रखते हैं, वही भूमि पवित्र हो जाती है। जहाँ वे बैठते हैं, वहाँ दिव्य मन्दिर बन जाते हैं।.वस्तुतः ईश्वर की परम शक्ति का ही एक रूप मानवीय अवतार के रूप में प्रकट है। जिन्होंने ईश्वर के प्रति जागरूकता, आत्म-सुधार और धार्मिकता के साथ जीना सिखाया। बाबा के भक्त उनके संदेश को जीने का प्रयास करते हैं और उनकी भौतिक अनुपस्थिति के बाद भी उनकी उपस्थिति को महसूस करते हैं। गुरू मानव जीवन में उसकी नकारात्मक सोच को सकारात्मक करने की भूमिका निभाता है। हमारे इतिहास में भी गुरू के तत्व का उल्लेख है । गुरू तत्व को समझने में पूरा जीवन निकल जाता है फिर भी गुरू के ज्ञान को अंगीकार नही किया जासकता है । श्री सत्यसाई बाबा के संदेशो, विचारों का हमारे जीवन पर कितना अधिक प्रभाव पडा है ये उनके हर भक्त हर अनुयायी को ज्ञात है कि उनकी भूमिका क्या रही है । हर साईभक्त इसका साक्षी है । हम सभी को गुरूतत्व को अपने जीवन मे समावेश करना होगा । बाबा कहते थे चमत्कार, संस्कार, परोपकार एवं साक्षात्कार मूल तत्व होते हैै जब आप सभी एकाग्र होकर प्रार्थना करते है तो हमारे साक्षी आत्म निवासी परमात्मा होते है।उक्त बात गुरूपूर्णिमा के अवसर पर रेल्वे कालोनी स्थित श्री सत्यसाई मंदिर सत्यधाम में आयोजित कार्यक्रम में साई भक्तों को संबोधित करते हुए श्री रवि हंसोगे ने व्यक्त किये।
श्री हंसोगे ने गुरू महिमा का जिक्र करते हुए कहा कि हमारी आध्यात्मिक यात्रा हमारे गुरू ही करवाते है जिससे हमारा चित्त शुद्व होता है। इसके लिये सेवा कार्य महत्वपूर्ण होता है । गुरू के आकर्षण का गुरूत्वाकर्षण हमारे पूरे जीवन को बदल देता है और हम सद्मार्ग चलने लगते है। हमारे लिए बाबा ही गुरु और भगवान हैं! भगवान जब भी अवतार लेते हैं तो हर किसी को यह जानने का सौभाग्य नहीं मिलता कि वह मानव रूप में भगवान हैं। वे सभी जिन्होंने पृथ्वी पर विचरण करते समय साईं की दिव्यता का अनुभव किया, वे वास्तव में धन्य थे। उन्होंने हमें ईश्वर की जागरूकता में रहना सिखाया। इसमें करना, बोलना, चलना, बात करना, काम करना शामिल है.। इस जागरूकता के साथ कि ईश्वर आपको हर पल देख रहा है। जब यह भावना चेतना में व्याप्त हो जाती है, तो व्यक्ति कुछ भी गलत करने से सावधान हो जाता है। मनुष्य के रूप में, हम क्रोध, लालच, ईष््र्या, आलस्य, झूठ आदि जैसी बुराइयों के प्रति संवेदनशील हैं। बाबा ने आत्म-सुधार पर जोर दिया। यदि प्रत्येक व्यक्ति स्वयं में सुधार करेगा तो समाज निश्चित रूप से सुधरेगा। बाबा ने कहा,था कि“यदि हृदय में धार्मिकता है, तो चरित्र में सुंदरता होगी। यदि चरित्र में सुंदरता है तो घर में सौहार्द बना रहेगा। जब घर में सद्भाव होगा तो देश में सुव्यवस्था होगी। जब राष्ट्र में व्यवस्था होगी तो विश्व में शांति होगी।उन्होने बाल विकास एवं सेवा कार्यो पर भी वृहद स्तर पर प्रकाश डाला ।
श्री सत्यसाई समिति के जिलाध्यक्ष श्री अनिल भट्ट ने बताया कि समिति गुरूपूर्णिमा पर्व पर सायंकाल 7 बजे से ओकारम के साथ गणपति अथर्वशीष सर्व देवता गायत्री पाठ मेघा सुुक्तम, दुर्गा सुक्तम क्षमा प्रार्थना एवं साई गायत्री का पाठ किया गया तत्पश्चात समिति स्तर पर आयोजित निबंध प्रतियोगिता में सफल हुए बालविकास के बच्चों को प्रमाणपत्र का वितरण मुख्य अतिथि श्री रायगांवकर जी के हस्ते किया गया । वही बाल विकास के गुरूओं का श्रीफल पुष्प देकर सम्मान किया गया । इस अवसर पर मध्यप्रदेश के साथ ही रतलाम को गोरवान्वित करने के लिये कुमारी अनुष्का का विशेष सम्मान किया गया । कार्यक्रम का सफल संचालन डा. मंगलेश्वरी जोशी ने किया । इस अवसर पर श्री संदीप दलवी के नेतृत्व में गुरू को समर्पित नाम संकीर्तन का श्रद्धा भक्ति के साथ आयोजन हुआ । प्रांताध्यक्ष श्री अमीत दुबे के पिताजी डा. दुबे के असामयिक निधन पर दो मिनट का मौन रख कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई । महामंगल आरती आशीष सोनी द्वारा उतारी गई। प्रसादी वितरण के बाद कार्यक्रम का समापन हुआ ।