गुरु का मुख्य उद्देश्य अपने शिष्यो को सफलता के मार्ग पर ले जाना होता है और उन्हें अच्छा ज्ञान के सागर से अवगत कराना होता है- श्रीमती सुरज डामोर
महिला पतंजलि योग समिति ने पंचकुण्डी यज्ञ के साथ ही गुरूपूर्णिमा पर्व का आयोजन किया ।
झाबुआ । पतंजलि महिला योग समिति द्वारा गुरु पूर्णिमा श्रद्धा एवं भक्ति स्थानीय दक्षिणमुुखी कालिका माता मंदिर परिसर में मनाई गई। इस अवसर पर विधि विधान से वैदिक मंत्रों के साथ पंच कुंडी यज्ञ भी आयोजन किया गया । पतजंलि महिला योग समिति की सुश्री रूकमणी वर्मा जानकारी देते हुए बताया कि गुरूपूर्णिमा के अवसर पर आयोजित पंचकुण्डी महायज्ञ का अनुष्ठान पंडित शंभूसिंह पुरोहित द्वारा संपन्न कराया गया । इस अवसर पर विशेष रूप से क्षेत्रीय सांसद श्री गुमानसिंह डामोर की माताश्री श्रीमती सोना बाई डामोर द्वारा उपस्थित रही तथा उनके कर कमलों से सर्वप्रथम मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया गया दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया ।
गुरु पूर्णिमा पूर्णिमा के उपलक्ष में पूर्व आईएएस अधिकारी एवं विश्व मांगल्य सभा की प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती सूरज डामोर ने गुरू की महत्ता पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि गुरु का महत्व वर्तमान समय ही नहीं बल्कि पुराने समय से ही सर्वोपरि रहा है। गुरु को हमेशा भगवान का दर्जा दिया जाता है। हमें अपने माता-पिता के बाद जो कुछ भी सिखाया जाता है। वह सब गुरु की ही देन होती है। गुरु ही हमें सच्चाई और अच्छाई के मार्ग को बताते हैं, और सही राह पर लाते हैं। गुरु शब्द की उत्पत्ति दो शब्दों से हुई है गु और रू। यदि इसके शाब्दिक अर्थ को देखें तो गु का अर्थ अंधकार और रु का अर्थ उजाला होता है। अर्थात् गुरु शिष्यों के जीवन में अंधकार को दूर कर देते हैं और उनके जीवन को उजाले से भर देते हैं। गुरु अपने सभी शिष्यों के अंधकार रुपी जीवन को प्रकाश की ओर ले जाते हैं और उन्हें सच का मार्ग दिखाते हैं। हर एक व्यक्ति के जीवन में गुरु की एक अहम भूमिका होती है और हर एक व्यक्ति गुरु के प्रति अपने आस्था और विश्वास के साथ अपने अपने सम्मान को प्रकट करते हैं। गुरु का मुख्य उद्देश्य अपने शिष्यो को सफलता के मार्ग पर ले जाना होता है और उन्हें अच्छा ज्ञान के सागर से अवगत कराना होता है। गुरु अपने सभी शिष्यो को हर एक तरह से अलग-अलग विषयों से संबंधित जानकारियां प्रदान करते हैं, जो उनके जीवन को हर एक पड़ाव पर सुरक्षित करती है। गुरु हमेशा अपने शिष्यों को अनुशासित विनम्र और बड़ों का सम्मान करना सिखाते हैं।
श्रीमती डामोर ने आगे कहा कि गुरु का महत्व उनके शिष्यों को भली-भांति पता होता। अगर गुरु नहीं तो शिष्य भी नहीं अर्थात् गुरु के बिना शिष्य का कोई अस्तित्व नहीं होता है। प्राचीन काल से गुरु और उनका आशीर्वाद भारतीय परंपरा और संस्कृति का अभिन्न अंग है। प्राचीन समय में गुरु अपनी शिक्षा गुरुकुल में दिया करते थे। गुरु से शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात शिष्य उनके पैर स्पर्श करके उनका आशीर्वाद लेते थे। गुरु का स्थान माता-पिता से अधिक होता है। गुरु के बगैर शिष्यों का वजूद नहीं होता है। जिंदगी के सही मार्ग का दर्शन छात्रों को उनके गुरु ही करवाते हैं। जीवन में छात्र सही गलत का फर्क गुरुजी के शिक्षा के बिना नहीं कर सकते हैं। शिष्यों के जिंदगी में गुरु का स्थान सबसे ऊंचा होता है। गुरु जो भी फैसला लेते हैं उनके शिष्य उनका अनुकरण करते हैं। गुरु शिष्यों के मार्गदर्शक हैं और शिष्यों की जिंदगी में अहम भूमिका निभाते हैं।श्रीमती डामोर ने योग गुरू सुश्री रूकमणी वर्मा की निस्वार्थ सेवाओं का जिक्र करते हुए कहा कि उनके द्वारा 25 वर्षों से अधिक समय से निशुल्क योग सिखाया जारहा है । बिना किसी अवरोध के प्रतिदिन योग कराया जारहा है जो निश्चिात ही अनुकरणीय है ।
इस अवसर पर श्रीमती मधु जोशी संगठन मंत्री, द्वारा भी योगाभ्यास , आसनों एवं प्राणायाम के बारे मे अपने विचार व्यक्त किये गये । पतंजलि योग योग प्रभारी कुमारी रुकमणी वर्मा द्वारा इस अवसर पर सभी बहनों को संकल्प दिलवाया गया आज से हम सभी बहने प्रतिदिन योग करेंगे एवं अन्य लोगों को योग के लिये प्रेरित करेंगे । इस अवसर पर मीडिया प्रभारी विनीता टेलर, भावना टेलर, लीना पटेल, सीमा गहलोत, दीपिका चैहान, चंचल डामोर, पूजा जैन ,वंदना जोशी, किरण पाटीदार, अमिता सोनी ,ममता जैन सुनीता माली, नीता शाह, कल्पना रानी, शोभा राठौर, कमला सोलंकी, सुभद्रा चैहान, अर्चना सिसोदिया, अनिला बैस, अनीता पवार, मेघनगर रोटरी क्लब अध्यक्ष चंदनबाला शर्मा, हिना जोशी बबीता सिसोदिया, वंदना जोशी द्वारा भी योग गुरु की सेवाओं की प्रसंशा करते हुए अपने विचार व्यक्त किये गये । गुरू की महिमा पर आकर्षक भजनों की भी प्रस्तुति भी दी गई। और बताया प्रतिदिन योग करने से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हुआ है उपरोक्त समिति के सभी बहनों ने अपना अपना उद्बोधन गुरु के ऊपर व्यक्त किया। कार्यक्रम में योग गुरू सुश्री रूकमणी वर्मा का गुरूपूर्णिमा के अवसर पर सम्मान भी किया गया ।
कार्यक्रम का संचालन श्रीमती मधु जोशी ने किया तथा अन्त में महामंगल आरती एवं प्रसादी वितरण के साथ ही कार्यक्रम का समापन किया गया ।
सलग्न- फोटो-
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