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दो साल में 15 लाख रुद्राक्ष बांट चुके ताकि लोगों के आचार-विचार और खानपान में आए सात्विकता रतलाम

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दो साल में 15 लाख रुद्राक्ष बांट चुके ताकि लोगों के आचार-विचार और खानपान में आए सात्विकता

रतलाम~~सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए व्यक्ति के आचार-विचार और खानपान में सात्विकता जरूरी है। ये तभी संभव है जब वे नशे से दूर रहेंगे। जिससे उनका मन धार्मिकता और आध्यात्मिकता में लगेगा। इसी उद्देश्य से वैदिक जाग्रति ज्ञान-विज्ञान पीठ संस्था फ्री में रुद्राक्ष बांट रही है। संस्था पदाधिकारियों का कहना है अब तक वे 15 लाख से ज्यादा रुद्राक्ष बांट चुके हैं। संस्था दुर्लभ रुद्राक्षों का संग्रह भी करती है। उनके पास 2 से 66.5 एमएम तक के रुद्राक्ष हैं।

वैदिक जाग्रति ज्ञान-विज्ञान पीठ सालों से रुद्राक्ष का वितरण किया जा रहा है। दो साल से निरंतर रुद्राक्ष प्रसादी प्रतिदिन शाम 7 से 8 तक सार्थक स्थल विनोबानगर पर दे रहे हैं। साथ ही अन्य सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं, श्रीभागवत कथा, प्राण-प्रतिष्ठा, बड़े-बड़े धार्मिक आयोजनों में रुद्राक्ष समिति सदस्यों द्वारा वितरण किया जाता है। कई तरह के रुद्राक्षों का संग्रह- 1 0 साल से रुद्राक्ष के विभिन्न रूपों का संग्रह किया जा रहा है। सबसे छोटे रुद्राक्ष से लेकर सबसे बड़े रुद्राक्ष तक उपलब्ध हैं इसमें 2 एमएम से 66.5 एमएम के दुर्लभ रुद्राक्ष उपलब्ध हैं।

काला रुद्राक्ष, निरंजनी रुद्राक्ष, रुद्राक्ष फल, गौरीशंकर रुद्राक्ष, गणेश रुद्राक्ष, एक मुखी काजूदाना रुद्राक्ष से 16 मुखी रुद्राक्ष तक उपलब्ध है। नेपाली, इंडोनेशियन रुद्राक्ष व सभी साइज में रुद्राक्ष की मालाओं का अच्छा संग्रह है। ॑ॐ व स्वस्तिक बने हुए रुद्राक्ष हैं। संग्रह करने का उद्देश्य लोगों इसकी अधिक से अधिक जानकारी सरलता से देना है। गणेश रुद्राक्ष नेपाल से मंगवाते हैं- रुद्राक्ष मुख्यतः नेपाल से मंगवाए जाते हैं। नेपाल से यह रुद्राक्ष दिल्ली-मथुरा-वाराणसी इत्यादि स्थान पर पहुंचते हैं और वहां से इनको मंगवाया जाता है। सेवा के उद्देश्य से रुद्राक्ष का सबसे न्यूनतम मूल्य संस्था से लिया जाता है।

रुद्राक्ष का संपूर्ण व्यय समिति के ज्योतिषाचार्य पं. संजय शिवशंकर दवे करते हैं। संस्था ने 2022 में महाशिवरात्रि पर 5 लाख रुद्राक्ष का 11 फीट ऊंचा और साढ़े 4 फीट चौड़ा शिवलिंग का निर्माण किया जा चुका है। गणेश उत्सव (2022) के तहत 10 दिन तक 51 हजार रुद्राक्ष के गणपति का निर्माण भी संस्था ने किया था। जिले सहित आसपास के ग्रामीण अंचल सहित खाचरौद की महाकाल सवारी, मंदसौर, नागदा इत्यादि स्थानों पर रुद्राक्ष वितरण किए जा चुके हैं।

रुद्राक्ष वितरण के साथ रुद्राक्ष संबंधी नियमों के लिए पत्र देते हैं। संस्था प्रदेश के बाहर भी डाक द्वारा रुद्राक्ष प्रसादी भेजी जाती है। श्रावण व अधिक मास में 5 लाख रुद्राक्ष बांटने का लक्ष्य- वैदिक जाग्रति ज्ञान -विज्ञान पीठ द्वारा इस बार श्रावण मास व श्रावण अधिक मास के तहत 5 लाख निःशुल्क अभिमंत्रित रुद्राक्ष प्रसादी के वितरण का लक्ष्य रखा है। जिसमें जिले में होने वाले रुद्राभिषेक, शिवपूजन आदि धार्मिक कार्यक्रमों के माध्यम से वितरित किए जाएंगे।

श्रावण मास के चलते जिले के ग्रामीण अंचलों में सामाजिक समरसता सहित जनमानस में आध्यात्मिक और सात्विकता का प्रादुर्भाव हो इसी उद्देश्य को लेकर वैदिक जाग्रति ज्ञान-विज्ञान पीठ के द्वारा रुद्राक्ष रथ के माध्यम से निःशुल्क अभिमंत्रित रुद्राक्ष प्रसादी का वितरण की जाएगी। रुद्राक्ष के साथ पं. शिवशंकर दवे। वैदिक जाग्रति ज्ञान-विज्ञान पीठ के ज्योतिषाचार्य पं. दवे बताते हैं कि रुद्राक्ष मंगवाने के लिए जजमान व शिष्यों सहित मित्रों का सहयोग मिलता है।

उन्होंने बताया प्राप्त आय का 20 प्रतिशत प्रथक से सेवा हेतु जमा करते हैं। इसमें सामाजिक सेवा, पर्यावरण व पशु पक्षियों और संस्थाओं में सेवा व्यय किया जाता है। उन्हीं पैसों के संग्रह से 3 लाख रुपए के 15 लाख से अधिक रुद्राक्ष निःशुल्क वितरण कर दिए हैं। रुद्राक्ष मंगवाने में अन्य भक्तों ने भी राशि उपलब्ध करवाई है। उनके पास 100 से अधिक तरह के जिसमें कई दुर्लभ रुद्राक्ष उपलब्ध है। रुद्राक्ष प्रसादी वितरण में प्रतिदिन संस्था के सदस्य भागवताचार्य पं. चेतन शर्मा, पं. राजेश पाण्डेय, पं. ज्ञानेंद्र भारद्वाज, पं. सोमेश शर्मा, पं. ललित शर्मा, पं. संजय नाथ, पं. नित्येन्द्र आचार्य, गजराज सिंह, लोकेंद्रसिंह उदावत, महादेव, विशाल वर्मा का सहयोग रहता है।( Dainik Bhaskar se sabhar )

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