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सवा महीने पहले बने रोड से ना पोल हटे और ना ही सेंट्रल डिवाइडर बना, रोज हादसे होने से रहवासियों के साथ ही राहगीर भी…

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सवा महीने पहले बने रोड से ना पोल हटे और ना ही सेंट्रल डिवाइडर बना, रोज हादसे होने से रहवासियों के साथ ही राहगीर भी…

रतलाम~~( दैनिक भास्कर से साभार)~~अमृतसागर तालाब बगीचे से बाजना बस स्टैंड के बीच सीमेंट-कांक्रीट फोरलेन को बने सवा महीना हो गया है। लेकिन ना तो रास्ते में लगे बिजली के पोल हटे और ना ही सेंट्रल डिवाइडर का काम शुरू हो पाया है और स्ट्रीट लाइटें भी नहीं लगी हैं। इसका खामियाजा लोगों को दुर्घटना के रूप में भुगतना पड़ रहा। अंधेरा होने से देर रात को यहां लगे बिजली पोल में एक कार घुस गई।

ये तो गनीमत रही कि कार स्पीड में नहीं थी नहीं तो बड़ा हादसा हो सकता है। एक दिन की बात नहीं है अंधेरा होने से यहां तो रोज ही हादसे हो रहे हैं। ठेकेदार तो लापरवाह है ही साथ ही निगम के अफसर भी बेपरवाह हैं। तभी तो रोज ही हादसे हो रहे हैं। इस फोरलेन का निर्माण 2.88 करोड़ रुपए की लागत से हुआ है। निर्माण के लिए भूमि पूजन पिछले साल 13 नवंबर 2022 को नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेंद्रसिंह ने किया था। मई के आखिरी में यह फोरलेन बनकर तैयार हो गया है। इसके बाद भी बिजली के पोल रास्ते में लगे हैं और यह हादसे का कारण बन रहे हैं। वहीं सेंट्रल लाइटिंग का काम शुरू नहीं होने से रातभर अंधेरा रहता है। इससे रोज दुर्घटनाएं हो रही हैं। बाजना बस स्टैंड फोरलेन पर लगे बिजली पोल में घुसी कार। पिछड़ा वर्ग कांग्रेस के जिलाध्यक्ष गोपाल चंदवाड़िया ने बताया कि फोरलेन तो बना दिया है लेकिन बिजली के पोल नहीं हटाए गए हैं। वहीं सेंट्रल डिवाइडर का काम भी अब तक शुरू नहीं हुआ। सेंट्रल डिवाइडर के लिए जगह छोड़ रखी है। रात में अंधेरा होने से यहां रोज हादसे हो रहे हैं। निगम के अफसर और ठेकेदार को किसी बड़ी घटना का इंतजार कर रहे हैं। यदि ये बिजली के पोल 10 दिन में नहीं हटाए और डिवाइडर का काम शुरू नहीं किया तो चक्काजाम करेंगे। इसकी जिम्मेदारी नगर निगम की रहेगी।

मुख्य रास्ता फिर भी ये हाल चूंकि अभी रिंग रोड का काम चल रहा है। इससे रिंग रोड के रूप में इस फोरलेन का उपयोग हो रहा है और भारी वाहनों के साथ ही बसें भी इसी रोड से गुजर रही हैं। वहीं आसपास की 50 कॉलोनियों के साथ ही मोरवानी, कनेरी, लालगुवाड़ी सहित आसपास के गांवों के लोग भी इसी से गुजरते हैं। इसके बाद भी ये हाल हैं और अफसरों के साथ ही जनप्रतिनिधियों को झांकने तक की फुर्सत नहीं है।

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