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सीमा विवाद, MP में घुस चुका है राजस्थान:राज्यपालों की बैठक में उठा मुद्दा- राजस्थान में एमपीवालों का आयुष्मान से इलाज क्यों नहीं

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सीमा विवाद, MP में घुस चुका है राजस्थान:राज्यपालों की बैठक में उठा मुद्दा- राजस्थान में एमपीवालों का आयुष्मान से इलाज क्यों नहीं

लेखक: राजेश शर्मा 

( दैनिक भास्कर से साभार)

मध्य प्रदेश के मरीजों को राजस्थान में आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं मिलता। ऐसे में मरीजों को अस्पताल में पूरा बिल भरना पड़ता है। इसकी वजह यह है कि राजस्थान में चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत इलाज होता है। यह मुद्दा उदयपुर में आयोजित एमपी-राजस्थान सीमा विवाद को सुलझाने के लिए आयोजित बैठक में मप्र के अफसरों की तरफ से उठाया गया। यह बैठक मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगू भाई पटेल और राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा मौजूद रहे।

मध्य प्रदेश के अफसरों ने बैठक में बताया कि राजस्थान की बार्डर के जिलों नीमच, रतलाम, मंदसौर व झाबुआ के मरीज इलाज के लिए उदयपुर व आसपास के जिलों में जाते हैं, लेकिन वहां के अस्पतालों में केंद्र सरकार के आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं होता है। इस कार्ड के जरिए 5 लाख रुपए तक का इलाज की सुविधा है। इसकी वजह यह है कि राजस्थान सरकार ने अपने प्रदेश में चिंरजीवी बीमा योजना लागू की है। इस पर सहमति बनी कि इस बारे में दोनों राज्यों की सरकार के स्तर पर बात की जाएगी।

बैठक के दौरान सीमावर्ती गांव के बीच में समन्वय, सरकार की योजनाओं का लाभ, अपराध नियंत्रण के लिए दोनों राज्यों की पुलिस द्वारा किए जा रहे कार्य, तस्करी रोकने के लिए किए जा रहे कार्यों पर भी चर्चा की गई।

सीएमचओ के लेटर की अनिवार्यता खत्म हो

इलाज कराने के लिए अधिकांश लोग उदयपुरा जाते हैं। एंबुलेंस से मरीज को ले जातना होता है तो पहले उदयपुर के सीएमएचओ एक लेटर देना पड़ता है। जब वहां से अनुमति मिलती है तब एंबुलेंस बार्डर क्राॅस करती है। इतना ही नहीं, राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में मप्र के मरीजों से शुल्क भी लिया जाता है। मप्र के अफसरों की तरफ से कहा गया कि सीएमएचको का लेटर की अनिवार्यता खत्म होना चाहिए।

राजस्थान के किसान खेती मप्र में करते हैं

इस बैठक में राजस्थान और मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने सभी जिला कलेक्टर और एसपी से प्रेजेंटेशन लिया और सीमावर्ती क्षेत्र में आ रही कठिनाइयों के बारे में जानकारी ली। बैठक में बताया गया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में कई किसानों को काफी समस्याएं सामने आती है। इसमें कई ऐसे किसान हैं जो राजस्थान क्षेत्र में रहते हैं, लेकिन उनकी खेती मध्यप्रदेश में होती है ऐसे में यह किसान राजस्थान सरकार की योजनाओं सहित मध्यप्रदेश सरकार की योजनाओं का लाभ भी नहीं ले पाते हैं। कुछ इसी तरह की समस्याओं पर इस बैठक में चर्चा की गई।

हालांकि की बैठक के एजेंडे को पूरी तरह से सार्वजनिक नहीं किया गया, लेकिन राज्यपाल कलराज मिश्र और मंगू भाई पटेल ने संयुक्त रूप से मीडिया के सामने आकर बड़ी-बड़ी बातों को सार्वजनिक किया। माना जा रहा है कि इस बैठक के मार्फत लंबे समय से सीमाओं में चली आ रही विवादित स्थितियां दूर हो पाएंगी। बैठक में दोनों राज्यों के राज्यपाल के अलावा 15 जिलों के संभागीय आयुक्त, आईजी, कलेक्टर और एसपी मौजूद रहे।

10 साल से चल रहा है दोनों राज्यों में विवाद

मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच सीमा विवाद 10 साल से चल रहा है। दोनों राज्यों में अलग-अलग दल की सरकार होने के कारण इस विवाद को सुलझाने की गंभीर कोशिश पहले कभी नहीं हुई। यही वजह है कि मप्र के हिस्से की 20 हजार वर्गमीटर जमीन राजस्थान के हिस्से में चली गई। अब भी 21 हेक्टेयर जमीन ऐसी है, जिसकी खातेदारी दोनों राज्यों में दर्ज है। इतना ही नहीं, मप्र के 40 से अधिक गांव ऐसे हैं जिसकी कई हेक्टेयर जमीन के रिकार्ड में ओवर लैपिंग है।

मध्य प्रदेश राजस्थान सीमा विवाद पर नीमच कलेक्टर दिनेश जैन कहते हैं कि मध्य प्रदेश की सीमा से लगे राजस्थान के तीन जिले चित्तौड़गढ़, भीलवाड़ा और प्रतापगढ़ से जमीन का विवाद है। बॉर्डर एरिया की सड़कों को लेकर भी विवाद है। इस कारण से सड़कों का निर्माण नहीं हो पा रहा है। इसमें गांव से गांव को जोड़ने वाली सड़कें अधिक हैं।

वे बताते हैं कि मप्र के 40 से अधिक गांवों की कई हेक्टेयर जमीन पर ओवर लैपिंग है। इस कारण सड़कों का निर्माण नहीं हो पा रहा है। इसमें गांव से गांव को जोड़ने वाली सड़कें अधिक हैं। इन जिलों के सरकारी अस्पतालों में मप्र के मरीजों से शुल्क भी वसूला जाता है। राजस्थान की महिलाओं की मप्र में शादी होती है तो समग्र आर्डडी को लेकर परेशानी होती है। इन सभी मुद्दों पर बैठक में चर्चा की गई। जिन पर संबंधित जिलों के अफसर आपसी समन्वय बनाकर सकारात्मक हल निकालने पर सहमति बनी।

जानिए, राज्यों के बीच कैसे किया जाता है सीमा का बंटवारा ?

राज्यों के बीच सीमा बंटवारे का कोई तय फॉर्मूला नहीं है। अब तक 4 आधार पर ही सीमा का बंटवारा होता आया है।

  1. भौगोलिक निकटता- भौगोलिक निकटता के आधार पर राज्यों के बीच सीमा का बंटवारा किया जाता है। इसे केंद्र सरकार तय करती है कि दो राज्यों के बीच की भौगोलिक निकटता कैसी है? उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड, मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ और बिहार-झारखंड के बीच भौगोलिक निकटता के आधार पर सीमा का बंटवारा इसके आधार पर ही हुआ।
  2. भाषा के आधार पर- भाषाई आधार पर 1953 में मद्रास प्रेसिडेंसी से अलग होकर आंध्र नया राज्य बना। बताया जाता है कि अलग तेलुगू राज्य की मांग को लेकर आमरण अनशन हुआ था। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने आंध्र को अलग राज्य बनाने की घोषणा की थी। इसके बाद महाराष्ट्र-गुजरात और हरियाणा-पंजाब का बंटवारा भाषाई आधार पर किया गया।
  3. गांवों के तत्व के आधार पर- सीमा का बंटवारा गांवों के तत्व के आधार पर भी किया जाता है। इसमें गांव के भौगोलिक, आर्थिक और सामाजिक संरचनाएं का आंकलन किया जाता है। संबंधित राज्य सरकारें अपनी-अपनी सिफारिश केंद्र को भेजती है। इस पर अंतिम निर्णय केंद्र सरकार ही लेती है।
  4. लोगों की इच्छा के आधार पर- राज्यों के बीच सीमा बंटवारे का सबसे महत्वपूर्ण तत्व लोगों की इच्छा है। लद्दाख और तेलंगाना का बंटवारा इसी आधार पर किया गया है। जानकारों के मुताबिक लोगों की मांग को देखते हुए केंद्र सरकार किसी भी राज्य की सीमा का बंटवारा कर सकती है।

विवाद की वजह बनी है एक बसी बस्ती

दोनों राज्यों की सीमा पर राजस्थान की तरफ भवानी मंडी कस्बा है और मध्य प्रदेश की तरफ भैसोदा मंडी। कुछ वर्ष पहले मैसोदा मंडी के लोगों ने भवानी मंडी में शामिल होने की मांग की थी। यहां कई मकान ऐसे हैं, जिनका मुख्य दरवाजा राजस्थान में खुलता है। लोकसभा चुनाव दोनों ओर होने हैं। एक तरफ मध्य प्रदेश का मंदसौर संसदीय क्षेत्र है तो दूसरी ओर राजस्थान के झालावाड़। यहां ऐसे लोग भी थे, जिन्होंने दोनों क्षेत्रों के मतदाता पहचान पत्र बना रखे थे। ऐसे 54 लोगों को दोनों ओर चिह्नित किया गया। यहां बहुत लंबे समय तक विवाद रहा है कि कौन किस राज्य का वासी है। कई बार चुनाव में लोग दोनों तरफ वोट डालते हैं।

राजस्थान में दुकानें बंद होती हैं तो मप्र में शराब पीने आते हैं लोग

दोनों प्रदेशों में अलग-अलग शराब नीति है। राजस्थान में शराब की दुकानें 8 बजे बंद हो जाती हैं, लेकिन मध्यप्रदेश में 11 बजे तक खुली रहती हैं। ऐसे में राजस्थान के भवानी मंडी से लोग 8 बजे बाद शराब पीने मध्य प्रदेश के भैसोदामंडी चले जाते हैं। पहले यह इलाका अफीम की तस्करी के लिए भी बहुत बदनाम था।

अब भी इसी रास्ते से दोनों प्रदेशों में शराब की अवैध आवाजाही होती है। अकसर आपराधिक मामलों में विवाद होता है। कई बार हत्या, लूट जैसे अपराध के बाद अपराधी सहज ही दूसरे राज्य में भाग जाते हैं।

छह गांव परेशान, क्योंकि 1 KM का हिस्सा, दावेदार दोनों राज्य

राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले में मप्र की सीमा पर एक गांव मोठिया है। इस गांव का एक किलोमीटर लंबा एरिया विवादास्पद है। जिस पर राजस्थान और मध्यप्रदेश की सरकार तय कर पा रही है कि यह हिस्सा किस राज्य का है?

इसको लेकर राज्य सरकारों व प्रशासनिक स्तर पर कई बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन यह विवाद अब तक नहीं सुलझ पाया है। जिसके कारण यह गांव परेशान है। यहां कई दशकों से सड़क नहीं बनी और ना ही कोई विकास हुआ। यही नहीं नजदीकी गांव दलोट, रायपुर, कानगढ़, अंबीरामा, सालमगढ़ सहित एक दर्जन से अधिक गांवों के लोगों को मध्यप्रदेश जाने के लिए ही इकलौता रास्ता है। बारिश के चार महीने में इसके बंद होने पर इन गांवों के लोगों को 23 किलोमीटर का अतिरिक्त सफर तय करना होता है।

20 हेक्टेयर की जमीन की खातेदारी दोनों राज्यों में दर्ज

राजस्थान के अरनोद के कोटड़ी व मध्यप्रदेश के रतलाम के ठीकरिया गांव के बीच में के करीब 20 हेक्टेयर जमीन का विवाद कई वर्षों से चल रहा है, लेकिन इस बैठक में इसके सुलझाने की उम्मीद की जा रही है। एक साल पहले रतलाम में दोनों राज्यों के राजस्व अधिकारियों की एक बैठक में यह सामने आया कि करीब 20 हेक्टेयर जमीन की खातेदारी के आराजी नंबर और रकबा दोनों राज्यों में दर्ज है। बैठक में तय हुआ था कि अभी मौके का यथास्थिति रखी जाए। वहीं रिपोर्ट बनाकर दोनों राज्यों के उच्चाधिकारियों को भेजी गई थी। अब दोनों राज्यों के गवर्नर की बैठक में इस विवाद के सुलनने की उम्मीद है।

चंबल नदी पर बना पाली ब्रिज।

चंबल नदी का पाली ब्रिज, आधा श्योपुर-आधा सवाईमाधोपुर में

चंबल नदी राजस्थान और मध्य प्रदेश जिले की सीमा का निर्धारण करती है। राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले एवं मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले की सीमा पर स्थित पाली ब्रिज की लंबाई लगभग 800 मीटर है। इस ब्रिज का आधा भाग राजस्थान की सीमा में सवाई माधोपुर जिले के अंतर्गत आता है और आधा भाग मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले की सीमा में आता है।

राजस्थान व मध्य प्रदेश की पुलिस के बीच पाली ब्रिज की सीमा को लेकर जब भी विवाद सामने आता है तो संबंधित पीड़ित परिवार को समस्याओं का सामना करना पड़ता है, चाहे वह परिवार राजस्थान का हो या मध्य प्रदेश का। दोनों राज्यों की पुलिस पीड़ित परिवार को कार्रवाई के लिए भटकाती है और पीड़ित परिवार को मजबूरी में इधर-उधर भटकना पड़ता है।

भवानी मंडी रेलवे स्टेशन, एक प्लेटफाॅर्म एमपी तो दूसरा राजस्थान में…

राजस्थान के झालावाड़ में भवानी मंडी रेलवे स्टेशन है। खास बात ये है कि इसका आधा हिस्सा मध्यप्रदेश की सीमा में आता है और एक हिस्सा राजस्थान के अंतर्गत आता है। इस स्टेशन में एक तरफ राजस्थान लिखा हुआ है और एक तरफ मध्य प्रदेश लिखा हुआ है। यहां का बुकिंग काउंटर मध्य प्रदेश के मंदसौर ज‍िले में है तो स्टेशन में प्रवेश का रास्ता और वेटिंग रूम, राजस्थान के झालावाड़ ज‍िले में है।

इतना ही नहीं, यहां पर ट‍िकट की लाइन मध्‍यप्रदेश में शुरू होती है और लोग राजस्‍थान तक खड़े होते हैं। कहा जाता है कि यहां की प्रशासन‍िक व्‍यवस्‍था भी दो हिस्सों में बंट गई है। रेलवे स्‍टेशन पर कोई घटना होने पर ज‍िस राज्‍य की सीमा की बात होती है उसी राज्‍य की पुलि‍स उस मामले को देखती है।

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