व्यक्ति के मन में तप और धर्म के बीच मोह की दीवार आ जाती है: श्री विजय कुलबोधि
रतलाम~~व्यक्ति के मन में तप और धर्म करने का विचार आता है, लेकिन मोह की दीवार बीच में आ जाती है और वह संसार के सुख को छोड़ नहीं पाता है। यह सोचे कि हमारी इज्जत पैसे हैं या इज्जत की वजह से पैसा है। यह बात सैलाना वालों की हवेली में आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी मसा ने कही। आचार्य श्री ने प्रवचन में प्रभावित और भावित को परिभाषित करते हुए कहा कि दो घड़े लेकर एक में पानी और एक में घी भरकर उसे खाली करो तो 24 घंटे बाद दोनों खाली नजर आएंगे, लेकिन घी के घड़े से सुगंध आएगी, यानी वह भावित हुआ है। जबकि पानी के घड़े से महक नहीं आएगी क्योंकि वह सिर्फ प्रभावित हुआ था। यदि प्रवचन में जाकर उससे प्रभावित होते हैं, तो यह पात्रता गुरु की है। ‘मां-बाप को भूलना नहीं’ विषय पर रविवार को विशेष जाहिर प्रवचन आचार्यश्री के होंगे।
क्रोध से किसी का भला नहीं होता है: प्रज्ञारत्नश्री जितेशमुनिजी मसा- सिलावटों का वास स्थित नवकार भवन में युगपुरुष आचार्य प्रवर विजयराजजी मसा अरिहंत बोधी क्लास प्रतिस्पर्धा का अंतर समझाते हुए कहा कि स्वस्थ प्रतिस्पर्धा ही सदैव कल्याणकारी रहती है। अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा से किसी का भला नहीं होता। आचार्यश्री ने क्लास में हिम्मत रखने, हक का खाने, ईश्वर को भजने और शांतिपूर्वक रहने की सीख भी दी। छोटू भाई की बगीची में प्रवचन में नो एंगर डे मनाने का आव्हान किया।( दैनिक भास्कर से साभार)