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अंतत: शुरू हुआ गोल्ड कॉम्प्लेक्स का काम 1100 ज्वैलरी शोरूम और वर्कशॉप खुलेंगे

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अंतत: शुरू हुआ गोल्ड कॉम्प्लेक्स का काम 1100 ज्वैलरी शोरूम और वर्कशॉप खुलेंगे

शिवेंद्र दुबे | रतलाम(दैनिक भास्कर से साभार)92 प्रतिशत शुद्ध सोने और चांदी के लिए देशभर में विश्वास जमाने वाले सराफा बाजार ने अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धाक जमाने के लिए कदम बढ़ा दिए हैं। जरिया बनेगा प्रदेश का पहला और सबसे बड़ा गोल्ड एंड ज्वैलरी पार्क। नगर निगम के सामने गांधी उद्यान के पास 2.75 लाख वर्ग फीट में निर्माण शुरू हो चुका है।

फिलहाल चार मीटर गहरी नींव बन रही है। इस पर 6 मंजिला इमारत खड़ी होगी। सराफा व्यापारियों के छोटे-बड़े ज्वैलरी शोरूम और वर्कशॉप के लिए विभिन्न आकार की 1100 दुकानें बनेंगी। वहीं खरीदारों की सुविधा के लिए 90 कमरों वाला लक्जरी होटल, गेम व फूड जोन और मल्टीप्लेक्स भी होगा। गोल्ड पार्क में पूरी क्षमता से काम शुरू होने पर रतलाम के सोने-चांदी का सालाना कारोबार 1500 करोड़ रुपए के पार पहुंच जाएगा, जो अभी 1100 से 1150 करोड़ रुपए होता है। काम की यही रफ्तार रही तो ढाई से तीन साल में गोल्ड पार्क बनकर तैयार हो जाएगा।

योजना के तहत डोंगरे नगर रोड पर कॉमर्स कॉलेज के पीछे ऑडिटोरियम का काम भी शुरू होने को है। इसके लिए बैरिकेंडिंग करके जमीन समतल की जा रही है। यह ऑडिटोरियम 750 सीट का बनेगा। इसके अलावा 300 बेड वाले जिला अस्पताल की नींव बन चुकी है, अब पिलर खड़े करने की तैयारी की जा रही है। इसके अलावा विक्रम नगर के पास 47 सरकारी क्वार्टर भी नए बनाए जाएंगे। इसके लिए पुराने जर्जर आवासों को डिस्मेंटल कर दिया गया है। विधायक चेतन्य काश्यप के प्रयासों से रि-डेंसीफिकेशन योजना में बनने वाले गोल्ड कॉम्प्लेक्स का भूमिपूजन 8 अप्रैल को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने किया था।

^यह सर्वोच्च प्राथमिकता वाला प्रोजेक्ट है क्योंकि यह प्रदेश का पहला गोल्ड कॉम्प्लेक्स होगा। सराफा व्यापारियों के साथ खरीदारों की सुविधा के भी इंतजाम किए जाएंगे। इससे कारोबार बढ़ेगा और हजारों को रोजगार भी मिलेगा। – चेतन्य काश्यप, विधायक

सात साल बाद जमीन पर उतरी योजना गोल्ड कॉम्प्लेक्स की योजना को फाइलों से जमीन पर उतरने में सात साल लगे हैं। 2015-16 में इसकी शुरुआती योजना बनी थी। पहले एजेंसी रतलाम विकास प्राधिकरण (आरडीए) को बनाया गया था, लेकिन बिना अध्यक्ष के अफसरों के भरोसे चल रहा विकास प्राधिकरण लगातार लेटलतीफी करता रहा। इसके चलते दो साल पहले प्रोजेक्ट आरडीए से छीनकर एमपी हाउसिंग बोर्ड को सौंप दिया गया था। उसने दो साल में काम शुरू करवा दिया है।

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