RATLAM

“व्यक्ति को भगवान के जाप इतनी आवाज में करना चाहिए कि वह स्वयं सुन सके, दूसरों तक आवाज ना जाए’ रतलाम

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“व्यक्ति को भगवान के जाप इतनी आवाज में करना चाहिए कि वह स्वयं सुन सके, दूसरों तक आवाज ना जाए’

रतलाम—जीव का परम सौभाग्य है सत्संग की प्राप्ति करना। गोस्वामी तुलसीदास का कहना है बिन सत्संग विवेक न होई। जिस भी जीव ने अंतर्मन से सत्संग को धारण कर लिया है। उसने वास्तव में सत्संग धारण कर लिया है तथा ऐसा व्यक्ति कभी भी अशांत नहीं रह सकता है।

कालिकामाता मंदिर परिसर में चल रहे श्री शिव आराधना महोत्सव के दौरान परम पूज्य स्वामी निर्मल चैतन्यपुरी महाराज ने यह बात शिव महापुराण कथा में कही। उन्होंने आगे कहा सत्संग से बुद्धि तथा चित्र पवित्र होते हैं। जिस दिन जीव अंतर्मन से सत्संग को धारण कर लेता है उसका उद्धार हो जाता है। अतः व्यक्ति को महाशिवपुराण का सत्संग करना चाहिए। श्रोता शंकर स्वरूप होते हैं श्रोता व वक्ता को प्रेम व श्रद्धा से कथा सुनना व सुनाना चाहिए। नर्मदा नदी के 24 मुख, गोदावरी के 31 मुख, तुंगभद्रा नदी के 10 मुख, कावेरी नदी के 27 मुख हैं। यह सभी नदियां पुण्य सलिला, पवित्र तथा पावन नदियां हैं जो प्राणी मात्र का उद्धार करती हैं। शिवलिंग की स्थापना सर्प के साथ ही की जाती है। व्यक्ति को भगवान के जाप केवल इतनी आवाज में करना चाहिए कि केवल वह स्वयं सुन सके दूसरों तक उसकी आवाज नहीं पहुंचे। कालिका माता सेवा मंडल ट्रस्ट व श्री शिव आराधना महोत्सव समिति का कार्यक्रम चल रहा है।

प्रारंभ में पोथी का पूजन मंडल अध्यक्ष राजाराम मोतियानी, समिति अध्यक्ष मोहनलाल भट्ट, समाजसेवी अनिल झालानी ने किया। इस अवसर पर राठौर तेली समाज द्वारा स्वामी जी का शॉल श्रीफल से अभिनंदन किया गया। इस मौके पर समाज के अध्यक्ष कैलाश जमादार, दिनेश राठौड़, महेंद्र चौहान, मनोज बोराणा, सतीश देवड़ा, प्रदीप राठौड़ आदि मौजूद थे। महोत्सव के तहत प्रतिदिन सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक पार्थिव शिवलिंग का निर्माण पूजन विसर्जन किया जा रहा है।(दैनिक भास्कर से साभार)

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