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डॉ रामशंकर चन्चल की अंतर्राष्ट्रीय  उपलब्धियों का  अद्भुत सिलसिला

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डॉ रामशंकर चन्चल की अंतर्राष्ट्रीय 
उपलब्धियों का  अद्भुत सिलसिला
मध्य प्रदेश के झाबुआ के साहित्य साधक डॉ  रामशंकर चन्चल की  अंतर्राष्ट्रीय उपलब्धि का  शुरुवातअंतर्राष्ट्रीय संगृह  से हुए पहला काव्य
संकलित कृति, धरा से गगन, तक महाकाव्य में उनकी  पहली कवितामुसलाधर बारिश में मांगू प्रकाशित हुईइसी संकलित कृति में फिजी के हिन्दी भाषा के  समिति के प्रधान मंत्री की कविता थी डॉ चन्चल की कविता के बाद इसी मे प्रकाशित कविता पर फिजी हिन्दी विश्व सम्मेलन के लिए भारत के जिन २१ को  स्व अटल बिहारी वाजपेयी के साथ आमन्त्रित किया था उसमें मध्य प्रदेश झाबुआ सेडॉ चन्चल भी शामिल थेउम्र के ३५ साल में उनको यह अद्भुत सौभाग्य मिला थासिलसिला चलता रहा फिर अंतर्राष्ट्रीयपत्रिकाओं में फिर अंतर्राष्ट्रीय काव्य   कृतियों में जो विश्व के अनेक देशों के  बी ए और ए एम के कोर्स में हिन्दी भाषा के छात्रों के लिएफिर यु टू ब द्वारा कई देशों के उनके चाहने वालों द्वारा उनकी कविता और कथा सुना जाना सराहना करते हुए सेकड़ो रचनाएँ फिर हाल में ही कुछ साल पहले उनकी अद्भुत कथाओ  का अंग्रजी मै डॉ पुल्ल्किता आनन्द  महाविधालय झाबुआ द्वारा अनुवाद कर अंतर्राष्ट्रीय
प्रकाशन होना जिसे विश्व के अनेक देशों में पड़ा जाना आज विश्व के कई देशों में उनके अद्भुत चाहने वाले है जो उनकी हर रचनाएँ सुनते और पड़ते है हिन्दी भाषा के साथ देश को, झाबुआ को अद्भुत सम्मान दिलाने वाला यह सचमुचएक महान सहज सरल साहित्य साधक जो सम्मानों से कोसों दूर आज भी अथक परिश्रम के साथ साधना मै लीन  आनेवाली पीढ़ियों के लिए ६६  वर्षीयडॉ रामशंकर चन्चल प्रेरणा बन गए है जो बेहद गर्व का विषय है देश के लिए जिला झाबुआ और प्रदेश के लिए .

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