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हड़ताल का असर: सिर्फ इमरजेंसी ऑपरेशन ही हो रहे, मरीजों को भर्ती करने से भी बच रहे

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हड़ताल का असर: सिर्फ इमरजेंसी ऑपरेशन ही हो रहे, मरीजों को भर्ती करने से भी बच रहे

रतलाम~~नर्सिग ऑफिसर की हड़ताल का असर अब अस्पतालों में दिखने लगा है। एक तरफ सिर्फ इमरजेंसी ऑपरेशन को ही तवज्जो दी जा रही है, तो वहीं दूसरी तरफ मरीजों के भर्ती करने की संख्या भी कम हो रही है। ऐसा इसलिए क्योंकि ऑपरेशन हो या भर्ती मरीज सभी व्यवस्था नर्सिंग स्टाफ ही संभालता है, लेकिन अभी सिर्फ संविदा कर्मचारी और नर्सिंग स्टूडेंट के भरोसे ही अस्पतालों की व्यवस्था है। इधर, 7 महीने में यह 9वीं बार है, जब सेवा प्रभावित हुई है। कारण चुनावी साल होने से कर्मचारी सरकार से अपनी मांगें मनवाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं।

नर्सिंग ऑफिसरों की हड़ताल 10 जुलाई से शुरू हुई थी। जिला अस्पताल, मातृ एवं शिशु चिकित्सा इकाई, बाल चिकित्सालय की बात की जाए तो 3 जुलाई को 196, 4 जुलाई को 225, 5 जुलाई को 196, 6 जुलाई को 296, 7 जुलाई को 201, 8 जुलाई को 180 मरीजों को भर्ती किया गया था। लेकिन, हड़ताल के बाद से आईपीडी पर भी असर दिखा है। 11 जुलाई को 144, 12 जुलाई को 155 तो 13 जुलाई को 159 मरीज अस्पताल में भर्ती हुए हैं। मेडिकल कॉलेज में भी भर्ती होने वाले मरीजों के आंकड़ों में फर्क देखने को मिला है। बड़ा असर ऑपरेशन पर भी आ रहा है, क्योंकि ऑपरेशन से पहले का पूरा इंतजाम नर्सिंग स्टाफ के जिम्मे ही होता है। ऑपरेशन के बाद भी नर्सिंग स्टाफ ही काम करता है। खासतौर पर सर्जरी, हड्डी से जुड़े ऑपरेशन अब टलना शुरू हो गए हैं, एक दिन में जहां 5 से 6 ऑपरेशन हो जाते थे, अब इमरजेंसी के इक्का-दुक्का ऑपरेशन किए जा रहे हैं। कोरोना काल के बाद फिर निकली पीपीई किट… ताकि याद रहे काम- जिला अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार को नर्सिंग स्टाफ पीपीई किट पहनकर घूमता दिखा। ताली और थाली भी बजाई, ऐसा इसलिए किया गया ताकि कोरोना काल के दौरान किए गए काम को सरकार को याद दिलाया जा सके।(Dainik Bhaskar se Sabhaar)

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