झाबुआ

विज्ञान जहां समाप्त होता है,ज्योतिष वहां से प्रारंभ होता है। यह वेद सम्मत विज्ञान है – पण्डित  अभिषेक जोशी ।***** अतित, वर्तमान एवं भविष्य क्या परिणाम हो सकते है, इसकी जानकारी सिर्फ ज्योतिष देता है- जितेन्द्र नागर ।***** ज्योति पिण्डो के जड चेतन के प्रभाव का अध्ययन करता है, उसे ज्योतिष विज्ञान कहते है- पण्डित अनीष व्यास ।***** झाबुआ के ज्योतिषाचार्य पण्डित द्विजेन्द्र व्यास निशुल्क ज्योतिष परामर्श शिविर में किये गये सम्मानित *****

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विज्ञान जहां समाप्त होता है,ज्योतिष वहां से प्रारंभ होता है। यह वेद सम्मत विज्ञान है – पण्डित  अभिषेक जोशी ।*****
अतित, वर्तमान एवं भविष्य क्या परिणाम हो सकते है, इसकी जानकारी सिर्फ ज्योतिष देता है- जितेन्द्र नागर ।*****
ज्योति पिण्डो के जड चेतन के प्रभाव का अध्ययन करता है, उसे ज्योतिष विज्ञान कहते है- पण्डित अनीष व्यास ।*****
झाबुआ के ज्योतिषाचार्य पण्डित द्विजेन्द्र व्यास निशुल्क ज्योतिष परामर्श शिविर में किये गये सम्मानित *****

झाबुआ । नगर के ज्योतिर्विद एवं ज्योतिषाचार्य पण्डित द्विजेन्द्र व्यास को 15 जुलाई को रतलाम में आयोजित निशुल्क ज्योतिष परामर्श शिविर में ज्योतिष नक्षत्र लोक ज्योतिष विज्ञान शोध संस्था जोधपुर  एवं ज्योतिष शिक्षण कल्याण समिति रतलाम द्वारा सैलाना रोड स्थित साक्षी पेट्रोल पंप केश कुंदला मांगलनिक भवन पर आयोजित निशुल्क ज्योतिष परामर्श शिविर के कार्यक्रम में ज्योतिष में दिए गए योगदान के लिए सम्मान पत्र एवं शील्ड देकर सम्मानित किया जो झाबुआ अंचल के लिये गौरव का विषय है।
उक्त शिविर में बडी संख्या में पूरे अंचल से आये हुए ज्योतिषियों का स्वागत किया गया । इस अवसरपर ज्योतिष जन कल्याण समिति रतलाम के अध्यक्ष जितेन्द्र नागर, बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर के अध्यक्ष डाॅ. पण्डित अनीश व्यास,  नक्षत्र लोक ज्योतिर्विज्ञान शोध संस्थान जोधपुर के अध्यक्ष पण्डित अभिषेक जोशी विशेष रूप  से उपस्थित रहे । अतिथियों द्वारा माता सरस्वती की प्रतिमा पर माज्याप्रण एवं दीप प्रज्वलन के साथ शिविर का शुभारंभ हुुआ ।
जोधपुर से पधारे पण्डित  अभिषेक जोशी ने ज्योतिष का विज्ञान निरूपित करते हुए कहा कि विज्ञान जहां समाप्त होता है,ज्योतिष वहां से प्रारंभ होता है। यह वेद सम्मत विज्ञान है । ज्योतिष लोगों को अंधविश्वास की और नही ले जाता बल्कि लोगों को जागरूक करता है। ज्योतिष समय का विज्ञानहै, इसमे तिथि, वार, नक्षत्र,योग और कर्म इन पांच चिजों का अध्ययन कर भविष्य में होने वाली घटनाओं की जानकारी दी जाती है यह किसी जाति या धर्म को नही मानता । वेद भगवान भी ज्योतिष के बिना नही चलते ।
इस अवसर पर ज्योतिष जन कल्याण समिति रतलाम के अध्यक्ष  जितेन्द्र नागर ने ज्योतिष के तारतम्य में कहा कि वेद के छः अंग है, जिसमें छठवां अंग ज्योतिष है । हमने पूर्व जन्म में क्या किया और वर्तमान में क्या कर रहे है, इसके आधार पर भविष्य में क्या परिणाम हो सकते है, इसकी जानकारी ज्योतिष के माध्यम से दी जाती है । ग्रहों से ही सब कुछ संचालित हाते है  इसी से ऋतुएं बनती है। सूर्य पृथ्वी से दूर गया तो ठंड का मौसम और पास आने पर गर्मी बढ जाती है । सूर्य आत्मा के रूप में विराजमान है, परिवार में इसे पिता का स्थान प्राप्त है । इसी तरह चंद्रमा मन पर विराजमान रहता है, परिवार में इसे मां का दर्जा प्राप्त है। इसलिये जिस व्यक्ति ने मां-पिता का आशीर्वाद प्राप्त कर लिया उन्हे सूर्य और चन्द्रमा का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता है । मंगल शरीर की उर्जा है, उर्जा होने से ही सक्रियता बनी रहती है, जिस व्यक्ति के मन मे ईष्र्या नही है समझिये उसका बुध मजबुत है और उसे बुध का आशीर्वाद प्राप्त है। इसी तरह शुक्र परिवार में पत्नी की तरह और शरीर मे शुक्राणु के रूप में मौजूद रहता है ,जिस व्यक्ति का स्नायु तंत्र कमजोर है, नसो की प्राब्लम है, स्पाईन दर्द है, उसको शनिदेव का प्रकोप है ।
शिविर को संबोधित करते हुए पण्डित अनीष व्यास पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर ने कहा कि ज्योतिष पूर्ण विज्ञान हैे, क्योकि हमारे सनातन संस्कृति का आधार वेद है। जो पूर्ण विज्ञान है और ज्योतिष दो शब्दो ज्योति एवं अष्क से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है ज्योति पिण्ड और ज्ञान इन ज्योति पिण्डो के जड चेतन के प्रभाव का अध्ययन करता है उसे ज्योतिष विज्ञान कहते है। । सबसे पहले इसी विज्ञान ने ब्रह्माण्ड के बारे में नक्षत्रों, ग्रहों,राशियों के बारे में विस्तार से बताया । उसका गणितीय संयोजन प्रस्तुत किया, जो आज के खगोल विज्ञान का आधार बना। पृथ्वी पर होने वाली ज्वार भाटे, सूर्य-चन्द्र ग्रहण या धरती पर होने वाले सृजन, विकार या विनाश का सटीक विश्लेषण प्रस्तुत किया है । इस शिविर में पूरे अंचल के सैकडो की संख्या में ज्योतिषाचार्य उपस्थित हुए  । अतिथियांें द्वारा उनकी ज्योतिष के माध्यम से दी जारही सेवाओं के लिये उनका सम्मान किया गया । इस अवसर पर झाबुआ से पण्डित द्विजेन्द्र व्यास ने भी भाग लिया जहां उन्हे अतिथियों के कर कमलों से  ज्योतिष में योगदान के लिये उनका सम्मान किया गया ।

पंडित द्विजेन्द्र व्यास न मां बाघेश्वरी पद्माकर वैदिक संस्कृत उच्चतर माध्यमिक विद्यालय एवं कर्मकांड प्रशिक्षण केन्द्र  उज्जैेन द्वारा  शुक्रवार 14 जुलाई को सर्व देव पूजन विधि, पुजारी परीक्षा तथा  कर्मकांड एवं ज्योतिष  की मौेखिक परीक्षा में सम्मिलत होकर उक्त परीक्षा उत्तीर्ण करने पर उन्हे अलग अलग प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया । पण्डित व्यास की बहुमुखी प्रतिभा एवं ज्योतिषिय ज्ञान के लिये सम्मानित होने पर अंचल के ज्योतिषाचार्यो एवं इष्टमित्रों से बधाई देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की है।

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