झाबुआ

वन विभाग के कंप्यूटर बाबू की एक और कारस्तानी…….. नीलामी में आया ट्रैक्टर इसके मित्र/ रिश्तेदार को ही मिला…….

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झाबुआ – वन विभाग के कंप्यूटर बाबूके कई किस्से सुनने को मिल रहे हैं जहां पूर्व में एक निविदा प्रक्रिया में अपने मित्र की फर्म की दरें , निविदा में ना आने पर टेंडर प्रक्रिया को ही कैंसिल करवाने मे अहम भूमिका निभाई । वही दूसरी और एक और किस्सा इस बाबू का सुनने को मिल रहा है जिसमें विभाग द्वारा की गई ट्रैक्टर नीलामी प्रक्रिया मे भी , अहम भूमिका निभाते हुए अपने मित्र या रिश्तेदार को टै्क्टर दिलवाया ।

जानकारी अनुसार पिछले वर्ष झाबुआ रेंज अंतर्गत पारा सब रेंज में शासकीय भूमि को निजी समझकर ट्रैक्टर चालक द्वारा खेत या जंगल खेड़ना पाया गया । सूचना के आधार पर वन विभाग द्वारा मौका स्थल का मुआयना कर ट्रैक्टर चालक को संभवत समझाइश दी गई । लेकिन जब ट्रैक्टर मालिक नहीं माना तब वन विभाग द्वारा शासकीय नियमानुसार ट्रैक्टर को जप्त किया गया और जंगल को खेडने पर अतिक्रमण का केस बनाकर ट्रेक्टर जप्त किया गया । तब विभाग द्वारा कार्रवाई करते हुए उक्त ट्रैक्टर को राजसात करने तथा नीलम हेतु रखा गया । इस पूरी प्रक्रिया में इस कंप्यूटर बाबू का विभागीय कर्मचारी व अन्य से विवाद भी हुआ । इस संपूर्ण प्रक्रिया में पूर्व में एक बाबू सस्पेंड भी हुआ । नियमानुसार इस ट्रैक्टर की नीलामी प्रक्रिया बंद लिफाफे में ली गई । जिसमें कंप्यूटर बाबू के किसी मित्र या रिश्तेदार की संलिप्तता भी थी उस कार्यवाही में भी इस कंप्यूटर बाबू ने नीलामी प्रक्रिया में भी अहम भूमिका निभाते हुए वह ट्रैक्टर अपने किसी मित्र या रिश्तेदार के नाम से नीलामी में लिया.। इस प्रकार यह बाबू अपनी मनमानी कार्यशैली के लिए इस विभाग में धीरे-धीरे प्रचलित हुआ और संपूर्ण विभागीय कार्य पूर्ति इसके बिना पूर्ण निष्पादित नहीं होने लगी । क्योंकि व्यय शाखा का कार्यभार इस कंप्यूटर बाबू के पास हैं । वहीं सूत्रों का यह भी कहना है कि वनरक्षक की पद पर कार्य करने वाला और अल्प सैलेरी पाने वाला यह कंप्यूटर बाबू आज भौतिक विलासिता का जीवन जी रहा है सूत्रों के अनुसार इस बाबू के पास सागर में एक स्वयं का निजी मकान, इंदौर में स्वयं का निजी मकान, दो नंग चार पहिया वाहन और अन्य भौतिक सुविधाए अल्प सैलेरी में संभावित नहीं है । कहीं ना कहीं कंप्यूटर बाबू की उन्नति को लोकायुक्त को भी ध्यान में रखकर जानकारी जुटाकर इस तरह के बाबू की जांच निष्पादित जाना चाहिए और नियम अनुसार जांच में आय से अधिक संपत्ति पाए जाने पर कारवाई भी की जाना चाहिए ।

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