वनवासी कल्याण आश्रम की तीन वष की कार्ययोजना एवं विभिन्न आयामों पर कार्य करने के लिये सभी ने एक स्वर में लिया संकल्प । मध्यप्रान्त, मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ के संगठन मंत्री प्रवीण ढोल्के ने दिया मार्ग दर्शन ।
वनवासी कल्याण आश्रम की तीन वष की कार्ययोजना एवं विभिन्न आयामों पर कार्य करने के लिये सभी ने एक स्वर में लिया संकल्प ।
मध्यप्रान्त, मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ के संगठन मंत्री प्रवीण ढोल्के ने दिया मार्ग दर्शन ।
झाबुआ । स्थानीय वनवासी कल्याण आश्रम में मध्यप्रदेश छत्तीसगढ के मध्यप्रांत के संगठन मंत्री श्री प्रवीण जी ढोल्के द्वारा आगामी तीन वर्षो में वनवासी कल्याण आश्रम में किये जाने वाले कार्यो एवं एवं 14 प्रकार के आयामों को मूर्त रूप दिये जाने वाले आश्रम के पदाधिकारियों एवं कार्यकर्ताओं को विस्तार से मार्ग दर्शन दिया वनवासी कल्याण आश्रम के अध्यक्ष मनोज अरोरा ने नगरीय क्षेत्र में वनवासी कल्याण आश्रम के द्वारा विगत दिनों किये गये कार्यो एवं सेवा प्रकल्पो की संक्षिप्त जानकारी देते हुए बताया कि भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ववलन के साथ प्रारंभ हुए कार्यक्रम में श्री ढोल्के ने मार्गदशन देते हुए कहा कि वनवासी कल्याण संपर्क आश्रम का कार्य 1952 में प्रारम्भ हुआ। समय के साथ उसका क्रमिक विकास हुआ। कार्य की आवश्यकतानुसार नये नये आयाम जुड़ते गए। जैसे जनजाति क्षेत्र में हम काम कर रहे है वैसे कई व्यक्ति एवं संगठन भी जनजाति बन्धुओं के बीच अपनी क्षमतानुसार विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत है।
आजादी के अमृत महोत्सव के अंतर्गत स्वतंत्रता संग्राम के जनजाति नायकों का भावपूर्ण स्मरण करते हुए अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम से संबद्ध सेवा प्रकल्प के बारे बताते हुए कहा कि वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा बाल संस्कार केंद्र (बच्चों के लिए नर्सरी),ग्राम शिक्षा केंद्र (एकल शिक्षक विद्यालय),छात्रावास (छात्रावास),वाचनालय (पुस्तकालय),चिकित्सा केंद्र (मोबाइल औषधालय),आरोग्य रक्षक (ग्राम स्वास्थ्य कार्यकर्ता), श्रद्धा जागरण (आस्था का पुनरुद्धार) जिसके तहत- धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं की सुरक्षा और विश्वास के पुनरुद्धार के महत्व को आत्मसात करने के लिए केंद्र सचालन, खेलकुद (खेलकूद)।शिक्षा विंग के माध्यम से वनवासी गांव से संपर्क करने के बाद ग्राम समिति के परामर्श से गांव से एक शिक्षित व्यक्ति का चयन किया जाकर उसे प्रशिक्षण दिया जाना तथा ऐसे प्रशिक्षित शिक्षक गाँव में बाल संस्कार केंद्र शुरू कर सक । इस शिक्षक को समय-समय पर तहसील जिला प्रभारी या वीवीकेए के आयोजन सचिव निर्देश देते हैं और शिक्षक के प्रशिक्षण की नियमित व्यवस्था की जाती है। उन्होने बताया कि यह तथ्यभी विचारणीय है कि बड़ी संख्या में युवतियाँ कार्यक्रम में शिक्षक के रूप में भाग ले रही हैं, जो यह दर्शाता है कि यह कार्यक्रम गाँव में माताओं और बच्चों के बीच लोकप्रिय हो रहा है। पूरे गांव में शिक्षा के प्रति रुचि और आकर्षण पैदा करने के लिए यह कार्यक्रम चलाया जाता है। इससे वयस्कों और उन बच्चों की औपचारिक और अनौपचारिक शिक्षा की व्यवस्था की जाती है जो अपनी शिक्षा को आगे बढ़ाने के लिए गाँव से अन्य स्थानों पर जाने में सक्षम नहीं हैं। स्कूल को पढ़ाने और चलाने के लिए गाँव के एक शिक्षित युवा को चुना जाता है और प्रशिक्षित किया जाता है। संगठन की शैक्षणिक समिति ऐसे स्कूलों में जाकर शिक्षकों को समय-समय पर दिशा-निर्देश देती रहती है। शिक्षकों के लाभ के लिए दो महीने में एक बार प्रशिक्षण कार्यशालाएँ भी आयोजित की जाती हैं।
उन्होने आगे किये जाने वाले कार्यो का जिक्र करते हुए कहा कि साक्षर वनवासियों के लिए यह संभव नहीं है कि वे अपने स्वरोजगार को सुरक्षित रखते हुए समाचार पत्र-पत्रिकाओं की व्यवस्था स्वयं कर सकें। ऐसे व्यक्तियों के लिए पुस्तकालय प्रारम्भ किये जाना भी हमारा मुख्य ध्येय है । वही आरोग्य विभाग (स्वास्थ्य विंग) के माध्यम से जो वनवासी बंधु दूर-दराज के इलाकों में रहते हैं। उन क्षेत्रों में स्वास्थ्य के उचित रख-रखाव के लिए संचार एवं चिकित्सा सुविधाओं का अभाव है। एक निश्चित करके वहां भी स्वास्थ्य सेवाऐ उपलब्ध कराने का कार्य होना चाहिये । इस कडी में गाँव के एक उत्साही शिक्षित युवा को प्रतिष्ठित और सक्षम चिकित्सा व्यवसायी के मार्गदर्शन में चुना और प्रशिक्षित किया जाता है। ऐसे प्रशिक्षित व्यक्तियों को दवाइयों का डिब्बा उपलब्ध कराया जाना हैै। वे मरीजों को प्राथमिक उपचार के रूप में आवश्यक दवाएं भी चिकित्सकीय परामर्श से दे सकते है ।
श्री ढोल्के ने संस्कार विभाग याने सांस्कृतिक विंग के कार्यो का जिक्र करते हुए कहा कि ग्रामीण पारंपरिक भजन के लिए एकत्रित होते है, इस अवसर पर कार्यकर्ता ग्रामीणों को गांव में एकता, शिक्षा और स्वच्छता के महत्व के बारे में जागरूक कर सकते हैैं, ताकि वे पारंपरिक सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों की सुरक्षा के महत्व को भी आत्मसात करने का प्रयास कर सकें।उन्होने आगे कहा कि वनवासी युवा लड़के-लड़कियों में अंतर्निहित प्रतिभा, क्षमता, कौशल है। और खेल के लिए ताकत। इन चरित्रों को पोषित करने की आवश्यकता है ताकि वे राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजनों में भाग लेने में सक्षम हों और खेल गतिविधियों में हमारे देश का नाम रोशन करें। खेल के अलावा, खेलकुद केंद्र में भाग लेने वाले लड़कों को हमारी संस्कृति और परंपराओं की समृद्धि के बारे में जागरूक किया जाता है, जिससे उनमें राष्ट्रीय चरित्र और नेतृत्व के गुण पैदा होते हैं ताकि वे भविष्य में कम से कम अपने गांव और ग्रामीण समुदाय की सेवा करने में सक्षम हों। खेल प्रतियोगिताएं तहसील स्तर पर आयोजित की जाती हैं। जहां से विभिन्न खेलों और एथलेटिक्स में विजेताओं की एक टीम को एकलव्य खेलकुद स्पर्धा में भेजा जाता है।
श्री प्रवीण ढोल्के ने आगामी तीन वर्षो की कार्ययोजनापर पुरी शिद्दत के साथ निर्लिप्त भाव एवं सेवा भाव भावना से करने का आव्हान करते हुए कहा कि हमे 14 प्रकार के आयामों जिसमें छात्रावास संचान, स्वास्थ्यसेवा, श्रद्धा जागरण, क्रिडा गतिविधि, नगरीय कार्य, महिला कार्यकारिणी, लोक कला, हितरक्षा आदि के के लिये कार्य करने का आव्हान करते हुए मानव सेवा- माधव सेवा के इस आयाम में वकीलों, चिकित्सकों, आदि को भी जोड कर उनकी सेवाओं का लाभ लिये जानेकी आवश्यकता पर बल दिया ।
इस अवसर पर मध्यक्षेत्र के संगठन मंत्री श्री उंराव जी, प्रवीण जी, आश्रम अध्यक्ष मनोज अरोरा रानापुर अध्यक्ष मुकेश भाई, रजनीश गामड, अजय भूरिया, अखिलेश मेडा,हरिश मेडा सह युवा प्रमुख,हरिश मेडा, महेश मुजाल्दा, कानजी भूरिया,सुभाष बारिया, श्रद्धा प्रुख सागर बिलवाल, खेल प्रमुख वालसिंह मसानिया, जिला अध्यक्ष मुन्नालाल निनामा, तहसील रक्षा प्रमुख छगनलाल गामड, लिा टोली प्रमुख पानसिंह राठौर, जिला पालक प्रभारी मेगजी अमलियार, जिलाहित प्रमुख कलजी भूरिया, जिला रक्षा टोली प्रमुख दिवान भूरिया छात्रावास प्रमुख मानसिंह भूरिया, कोषाध्यक्ष राजेश मेहता आदि ने श्री प्रवीण जी बाल्के का स्वागत किया । सभी ने एक स्वर मे आगामी तीन वर्षो की कार्य योजना को मूर्तरूप देने में अपनी भूमिका निर्वाह का संकल्प दोहराया । अन्त में जिलाध्यक्ष मुन्नालाल निनामा ने जिले मे चल रही गतिविधियों की जानकारी देते हुए आभार व्यक्त किया ।