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रतलाम में साल 2000 के बाद के सभी दस्तावेज आनलाइन होंगे

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रतलाम में साल 2000 के बाद के सभी दस्तावेज आनलाइन होंगे

2015 तक के दस्तावेजों को स्कैन करने का काम हुआ शुरू, 6 महीने में होगा पूरा।

रतलाम। पंजीयन विभाग में आनलाइन रजिस्ट्री की व्यवस्था से पूर्व के दस्तावेजों को भी अब आनलाइन किया जाएगा। विभाग में वर्ष 2015 से आनलाइन रजिस्ट्री शुरू हुई थी। अब पहले चरण में वर्ष 2000 से 2015 तक के दस्तावेजों को आनलाइन करने के लिए टीम रतलाम आ गई है। रजिस्ट्री स्कैन कर सभी दस्तावेजों को आनलाइन किया जाएगा। प्रदेश स्तर पर सभी जिलों में यह व्यवस्था लागू करने का ठेका लेने वाली फर्म के कर्मचारियों ने गत दिनों ट्रायल पूरा कर लिया है। अब वर्षवार दस्तावेजों को डिजिटलाइज किया जा रहा है।

15-15 साल के दो चरण में दस्तावेज होंगे डिजिटल

मालूम हो कि पंजीयन विभाग में डिजिटलाइजेशन पर जोर दिया जा रहा है। संपदा एक साफ्टवेयर में लगातार अपग्रेडेशन के चलते कई सुविधाएं पक्षकारों को मिलने लगी है। रजिस्ट्री होते ही नामांतरण के लिए लिंक भी राजस्व विभाग में चली जाती है। एक अप्रैल से पायलट प्रोजेक्ट में रतलाम को शामिल कर संपदा 2.0 साफ्टवेयर लागू करने की तैयारी थी, लेकिन अब इसे रोककर 15-15 साल के दो चरण में दस्तावेज डिजिटलाइज किए जाएंगे। पहले चरण में करीब एक लाख रजिस्ट्री आनलाइन हो जाएगी। इससे पक्षकार स्वयं ही आनलाइन रिकार्ड देख सकेंगे।

1985 तक का रिकार्ड होगा आनलाइन

दरअसल बैंकों में सर्च सहित अन्य कामों के लिए पिछले 30 वर्षों का रिकार्ड मांगा जाता है। वर्ष 2015 के बाद से सभी दस्तावेज आनलाइन हैं, इससे पूर्व के दस्तावेजों को लेकर पहले चरण में वर्ष 2000 तक के दस्तावेज लिए गए हैं। इसके बाद अगले चरण में 1985 तक का रिकार्ड आनलाइन होगा। इसी तरह वर्तमान साफ्टवेयर को भी अपडेट कर कुछ अन्य सुविधाएं बढ़ाई गई है। गत सप्ताह ही शुक्रवार से रविवार तक पोर्टल बंद कर अपग्रेड किया गया। स्लाट बुकिंग में होने वाली समस्याओं को भी दूर किया जा रहा है। इससे जो सुविधाएं संपदा 2.0 में मिलना थी, उसमें से कुछ मिलने लगी है। सर्विस प्रोवाइडरों द्वारा बताई गई समस्याओं को भी दूर किया जा रहा है। तकनीकी सुधार के बाद रजिस्ट्री में लगने वाला समय भी कम हो जाएगा। प्रमाणित प्रति के लिए भी समस्या नहीं आएगी।

चरणवार मिलेगी यह सुविधा

– संपदा 2.0 में रजिस्ट्री सर्च का प्रविधान है। रजिस्ट्री में आइडी नंबर होगा।

– एक क्लिक पर प्रापर्टी की जानकारी मिल जाएगी, इससे बेनामी संपत्ति पर अंकुश लगेगा।

– ईओडब्ल्यू, आयकर, लोकायुक्त को अलग से लिंक मिलेगी, हालांकि कुछ को अभी दे दी गई है।

– रजिस्ट्री कराते समय प्रापर्टी की आइडी अनिवार्य होगी, इसमें प्रापर्टी की पूरी जानकारी होगी।

– पूर्व में अगर कोई खरीदार था तो उसकी जानकारी भी इसमें रहेगी।

– प्लाट, फ्लैट का साइज, किस माले पर है, कार्नर या अन्य जानकारी इसमें होगी। रजिस्ट्री में आइडी नंबर होगा।

– प्रापर्टी टैक्स भरने में आसानी होगी, पंजीयन दफ्तर से ही लिंक संबंधित वार्ड कार्यालय भेजी जाएगी।

वर्ष 2000 से 2015 तक की सभी रजिस्ट्रियां आनलाइन करने के लिए काम हो रहा है। छह महीने में काम पूरा हो जाएगा। इससे एक क्लिक पर सभी जानकारी मिल जाएगी। – डा.अमरेश नायडू, जिला पंजीयक

(दैनिक नई दुनिया से सादर साभार)

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