मध्यप्रदेश की शिवराजसिंह चैहान की सरकार वृद्ध पेशनरों से न जाने कौन सा दुराग्रह पाले हुए है कि पेंशनरों को समयबद्ध मिलने वाले हितलाभ को सतत अनदेखा कर रही है। पेंशनर एसोसिएशन के उर्जावान साथी भाई *आर.डी.वैरागी* *”उधार”* सतत अपनी कलम के माध्यम से पेंशनरों की पिडा उजागर करते रहे है आज उनकी एक रचना सादर प्रस्तुत कर रहे है ।
*सत्ता की सियासत,पेंशनरों से*
उनको सच बोलने की
आदत ही,नहीं
क्योंकि सियासत की
परिभाषा झूठ से ही
शुरु होती हैं, और
झूठ पर ही
समाप्त होती हैं
उनको अच्छी तरह
मालूम हैं, यदि
सच बोल दिया तो
उन्हें साबित करना पड़ेगा
यही उनकी,सियासत और
राजनीति का राज हैं
इसीलिए उनके सिर पर
सत्ता का ताज़ हैं
जनता, कर्मचारियों और
पेंशनरों को मूर्ख बनाकर
वो कुर्सी पर
इसीलिए जमें हुए हैं
हम तो कब्र में
सब्र लेकर पांव लटकाए हुए हैं
यह ध्यान रखना,
हम तो उम्रदराज होकर
डूबे हुए हैं, तुमको भी ले डूबेंगे
सत्ता के मद में
ये झूठे वादों की चालबाजियां
ये झूठे आश्वासनों की चालाकियां
कब तक सियासत से चलाओगे
आगामी आम चुनावों में
इसके परिणाम देख लेना
आगामी आम चुनावों में
कितना प्रताड़ित किया हैं
कर्मचारियों और पेंशनरों को
आवास भत्ता, डीआर/डीए एरियर
पुरानी पेंशन,पदोन्नति आदि-आदि
सब झूठें वादे और
आश्वासनों की
रद्दी की टोकरी में भेंट चढ़ गए
यकीन तो सबको झूठ पर होता हैं
सच को कभी हकीकत में
यथासमय सत्ता के
मठाधीशों ने साबित किया ही नहीं
धारा 49(6) की आड़ में
पिछलें 22 वर्षों से म.प्र./छ.ग. के
बीच खेल-खेला हो रहा हैं
एक डाकिए की तरह
पत्र इधर से उधर हो रहा हैं
पेंशनर आज तक रो रहा हैं
जिसके हाथ में सत्ता हैं
वो कितना बड़ा मजाक
पेंशनरों से कर रहा हैं
*आर.डी.वैरागी* *”उधार”*