मध्यप्रदेश सरकार के झूठ का हुआ पर्दाफाश’- केन्द्र सरकार ने धारा 49(6) को विलोपित करने के बाद भी मध्यप्रदेश सरकार कर रही भेदभाव पूर्ण व्यवहार । श्री व्यास एवं श्री दुबे ने सरकार को सचेत करते हुए कहा कि मांगों को पूरा करें अन्यथा आन्दोलन की राह पर जाने से कोई रोक नही सकता पेंशनर्स को।
मध्यप्रदेश सरकार के झूठ का हुआ पर्दाफाश’- केन्द्र सरकार ने धारा 49(6) को विलोपित करने के बाद भी मध्यप्रदेश सरकार कर रही भेदभाव पूर्ण व्यवहार ।
श्री व्यास एवं श्री दुबे ने सरकार को सचेत करते हुए कहा कि मांगों को पूरा करें अन्यथा आन्दोलन की राह पर जाने से कोई रोक नही सकता पेंशनर्स को।
झाबुआ । जिला पेंशनर्स एसोसिऐशन के जिला अध्यक्ष अरविन्द व्यास एवं उपाध्यक्ष सुभाष दुबे ने प्रदेश की शिवराजसिंह सरकार द्वारा पेंशनरों के साथ बरते जारहे भेदभाव पूर्ण व्यवहार को लेकर आक्रोश जताते हुए कहा है कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा अपने एफ नम्बर 17025/02/2017-एसआर नई दिल्ली दिनांक 18 नवम्बर 2017 को मध्यप्रदेश के पेंशनर एसोसिएशन, मध्यप्रदेश सरकार और छत्तीसगढ़ सरकार के मुख्य सचिव को पत्र भेजकर यह स्पष्ट कर दिया कि मध्यप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 के अन्र्तगत धारा 49 के छठें अनुच्छेद का उन्मूलन अर्थात विलोपन कर दिया गया है, जिसके अन्तर्गत मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकार की आपसी सहमति से पेंशनरों के पेंशन का भुगतान किये जाने का प्रावधान किया गया था। अर्थात् उक्त आदेश के तहत राज्य पुनर्गठन की धारा 6 का ही उन्मूलन ( विलोपन) कर दिया गया है। पेंशनर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी द्वय के अनुसार भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा 18 नवंबर 2017 को अपने पत्र में स्पष्ट रूप से वह धारा ही हटा दी गई है। भारत सरकार के इसी पत्र के मुख्य आशय यह है कि ’“भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि, मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम -2000 की कोई भी धारा , पेंशनरों के मामले में , ऐसा नहीं कहती है कि , पश्चात वर्ती राज्यों, (मध्यप्रदेश अथवा छत्तीसगढ़) की सरकारें एक दूसरे से सहमति प्राप्त करने के बाद ही आदेश जारी करेंगी ।“’
उन्होने बताया कि भारत सरकार ने जो धारा हटा दी है, मध्यप्रदेश सरकार उसी का बहाना लेकर पिछले 22 सालों से मध्यप्रदेश के पेंशनरों के साथ अन्याय कर रही थी। इसके बावजूद अभी भी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चैहान और उनके वित्त विभाग के आला अधिकारीगण उस धारा को छाती से चिपकाये हुए बैठे है। और जब-जब मध्यप्रदेश के कर्मचारियों का महँगाई राहत बढ़ता है, तब-तब मध्यप्रदेश सरकार इसी धारा का बहाना करके मध्यप्रदेश से सहमति लेने के नाम पर पेंशनरों को महँगाई राहत देने से बचती आ रही है। अब मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के सभी कर्मचारियों और पेंशनरों को राज्य सरकार के इस झूठ का पता चल गया है और मध्यप्रदेश सरकार के पेंशनर अब आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड़ में आ गए हैं। उन्होने आगे कहा है कि मध्यप्रदेश सरकार के झूठ का पर्दाफाश छत्तीसगढ़ सरकार ने भी हाल ही में कर दिया है। मध्यप्रदेश सरकार ने पेंशनरों को मँहगाई राहत देने के लिए सहमति के नाम पर पिछले दिनों छत्तीसगढ़ सरकार को पत्र लिखा था। इस पत्र के जवाब में हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार ने मात्र 5 प्रतिशत महँगाई राहत देने की अपनी सहमति दी। उस पत्र में ही मध्यप्रदेश सरकार के एक और झूठ का पर्दाफाश हो गया है। छत्तीसगढ़ सरकार के वित्त मंत्रालय द्वारा अपने पत्र क्रमांक 467/एफ/2013-04-00416/वि/नि/4 नवा रायपुर अटल नगर दिनांक 13.07.2022 द्वारा मध्यप्रदेश के वित्त विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र भेजा है, उस पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा गया है -’“छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शासकीय पेंशनरों/परिवार पेंशनरों को देय महँगाई राहत की वर्तमान दर जो कि मूल पेंशन/परिवार पेंशन पर सातवें वेतनमान में 17 प्रतिशत एवं छठवें वेतनमान में 164 प्रतिशत है, में वृद्धि कर क्रमशः 22 प्रतिशत एवं 174 प्रतिशत की दर से 1 मई 2022 से दिए जाने का निर्णय लिया गया है।
श्री व्यास के अनुसार ’मध्यप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 के अनुसार पूर्व मध्यप्रदेश के पेंशनरों/परिवार पेंशनरों को दिनांक 01.05.2022 से 7वें वेतनमान में 22 प्रतिशत एवं छठवें वेतनमान में 174 प्रतिशत महँगाई राहत हेतु छत्तीसगढ़ शासन सहमत है।“’श्री व्यास के अनुसार उक्त पत्र के बिन्दू क्रमांक 2 को ध्यान से पढा जाने पर स्पष्ट लिखा गया है कि अधिनियम 2000 की धारा 49 के अनुसार पूर्व मध्यप्रदेश के पेंशनरों/परिवार पेंशनरों को महँगाई राहत स्वीकृत करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन सहमत है। अर्थात सन् 2000 के पूर्व मध्यप्रदेश शासन के जो भी अधिकारी और कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गए हैं, उस पर यह आदेश लागू नहीं है। यह आदेश सिर्फ 1 नवम्बर 2000 के बाद सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारी और कर्मचारियों के लिए ही लागू होगा। मध्यप्रदेश सरकार अभी तक मध्यप्रदेश के पेंशनरों को इसी धारा का बहाना कर पेंशन राहत रोक रही है। जबकि नए छत्तीसगढ़ बनने के 22 साल बाद अब करीब 50 हजार ही ऐसे पेंशनर हैं, जो 2000 के बाद सेवानिवृत्त हुए है। और इन्हीं 50 हजार के नाम पर मध्यप्रदेश सरकार साढ़े 4 लाख पेशनरों के साथ अन्याय पर अन्याय कर रही है।
श्री दुबे ने बताया कि भारत सरकार के गृह मंत्रालय और छत्तीसगढ़ मंत्रालय के उक्त पत्रों से स्पष्ट है कि मध्यप्रदेश सरकार पेंशनरों को निरंतर मूर्ख बना रही है। किन्तु अब मध्यप्रदेश सरकार के इस झूठ का पर्दाफाश हो गया है। मध्यप्रदेश के पेंशनर ,उनके परिवारजन और आमजन यह अच्छी तरह से समझ गए है कि मध्यप्रदेश सरकार नित नए बहाने कर पेंशनरों के अधिकार का हनन कर रही है। अब पेंशनर चैत गए हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में भोपाल में आंदोलन कर अपनी मंशा स्पष्ट कर दी है। अब वे बड़ा आंदोलन करने की रूपरेखा बना रहे हैं, शायद तभी मध्यप्रदेश सरकार नींद से जागे और पेंशनरों को उनका वाजिब हक दें।
पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अरविन्द व्यास ने कहा कि हम लंबे अर्से से आपसे अपनी मांगों को लेकर कई बार ज्ञापन दे चुके और हमें आश्वासन भी आप से मिले लेकिन हमारी परेशानियों का समाधान अब तक नहीं हो सका है और यही वजह है कि हम अपनी मांगों को लेकर आज भी परेशान हैं। इसलिए आप से मांग कर रहे हैँ कि सीएम साहब धारा 49 हटाने की प्रक्रिया आप कब तक करेंगे। यह बात पेंशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सक्सेना ने पेंशनर्स संघ की और से अपनी शिकायत रखते हुए की। मांगे नहीं माने जाने पर चुनाव में विरोध का सामना करने की बात भी कही।
श्री व्यास एवं श्री दुबे ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंहजी धारा 49 हटाने की प्रक्रिया पूर्ण करें। प्रदेश के 53 हजार से अधिक अधिकारी कर्मचारी पेंशनर्स को महंगाई राहत प्रदान करने में बन रही सबसे बड़ी बाधा मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ राज्य पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 49 है। इसे हटाने के लिए प्रस्ताव विधानसभा और मंत्री परिषद से पारित करा वित्त मंत्रालय के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजने की प्रक्रिया पूर्ण करने की मांग पेंशनर्स एसोसिएशन झाबुआ की ओर से की गई है। एसोसिएशन के जिला अध्यक्ष अरविन्द व्यास के अनुसार पेंशनर्स की मांगों को लेकर एक 9 सूत्रीय मांग पत्र शासन के समक्ष लंबे समय से पेंडिंग है, जिसमें धारा 49 हटान,े आयुष्मान और स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ देने की मांग है। इसके साथ ही छठे वेतनमान का 32 माह, सातवें वेतनमान का 27 माह का एरियर प्रदान करने की मांग सहित अन्य मांगे हैं। किंतु दुर्भाग्यवश प्रदेश सरकार से अनेक बार ज्ञापन धरना, रैली, भूख हड़ताल एवं व्यक्तिगत रूप से निवेदन करने के बावजूद सरकार पेंशनर्स की मांगों के प्रति उदासीन है। जिससे पेंशनर्स में आक्रोश है जिसका खामियाजा भारतीय जनता पार्टी को निकट समय में होने जा रहे विधानसभा और लोकसभा चुनाव में होने की पूर्ण संभावना है।
प्रान्तीय उपाध्यक्ष विद्याराम शर्मा, जिला अध्यक्ष अरविन्द व्यास, उपाध्यक्ष सुभाषदुबे,संरक्षक केके त्रिवेदी, पेटलावद ईकाई अध्यक्ष एनएल रावल, थांदला अध्यक्ष जगमोहनसिंह राठौर, मेघनगर ईकाई अध्यक्ष सुरेशचन्द्र शर्मा,रानापुर अध्यक्ष एमएल दुर्गेश्वर, झाबुआ ईकाई अध्यक्ष रूपसिंह खपेड सहित सभी पदाधिकारियों एवं पेंशनरों ने प्रदेश सरकार से अनुरोध किया है कि भेदभाव पूर्ण नीति को त्याग कर वे पेंशनरों के हितलाभ को लटकाने भटकाने की बजाय उन्हे शासकीय कर्मचारियों के समतुल्य महंगाई राहत तत्काल प्रभाव से स्वीकृत करने तथा इसकी घोषणा करने का कष्ट करें ताकि पेंशनरों मे बढ रहे आक्रोश को थामा जासके । RAJENDRA SONI