रतलाम. मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक सर्जरी की टीम चार दिन के नवजात शिशु की जटिल सर्जरी करने में सफलता पाई है। यह पहला मौका है जब इतने छोटे बच्चे की सर्जरी मेडिकल कॉलेज में हुई है। बच्चे को जन्म से ही एनल एट्रेसिया की समस्या थी। 3 दिन बाद परिजन बच्चें को मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे। डॉक्टरों की टीम ने ऑपरेशन कर नवजात बच्चें का सफल ऑपरेशन कर उसकी जान बचाई।
पेट फुलने लगा तो पता चला
जन्म के बाद से 3 दिन तक रावटी में नवजात शिशु का इलाज चलता रहा। 3 दिन बाद बच्चे के पेट फुलने की शिकायत हुई। परिजन नवजात को बुधवार की रात 8 बजे मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे। डॉक्टरों की टीम ने आवश्यक टेस्ट करवाए और अगले दिन गुरुवार सुबह 10 बजे नवजात को ऑपरेशन कर दिया। करीब 1 घंटे तक चले ऑपरेशन को पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. विक्रम मुजाल्दे व डॉ. दीपक गुप्ता के साथ एनेस्थीसिया डॉ. शैलेंद्र डावर, एवं डॉ. सचिन कुंभारे की टीम ने पूरा कर लिया।
यह होता है एनल एट्रेसिया
एनल एट्रेसिया एक जन्मजात असामान्यता है। यह 5000 में से 1 बच्चे को होती है। इस बीमारी में बच्चा मल या मूत्र त्याग नहीं कर पाता है। मल त्याग करने के लिए मार्ग में रूकावट रहती है। मल पेट के अंदर ही जमा होता रहता है। ज्यादा दिन होने की दशा में बच्चे की मौत हो सकती है। समय पर इसकी सर्जरी होना बहुत जरूरी है।
नवजात को 24 घंटे ऑब्जर्वेशन में रखा है। सब कुछ ठीक रहा तो 24 घंटे बाद छुट्टी दे दी जाएगी। यह बच्चों में जन्म से ही होने वाली गंभीर समस्या है। जिससे मल पेट में ही जमा होता है और पेट फुलने लगता है। समय पर इलाज नहीं मिले तो पेट फट सकता है। इससे बच्चे की जान का खतरा भी बना रहता है।~~डॉ. विक्रम मुजाल्दे, पीडियाट्रिक सर्जन मेडिकल कॉलेज
( Dainik Patrika se Sabaar)