जैन संत ने कहां, यहां रखनी चाहिए मर्यादा की बाउंड्री
रतलाम। । जीवन के प्लाट में मर्यादा की बाउंड्री रखना जरूरी है। नदी को किनारे का, सुई को धागे का, पैसे को पॉकेट का बंधन है। ठीक ऐसे ही बहू को सास का, पुत्र को पिता का, पत्नी को पति का और शिष्य को गुरु की मर्यादा होना चाहिए। आज अपराध बढ़ने का कारण भी मर्यादा का बंधन खत्म होना हैआचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वर महाराज ने रविवार सैलाना वालों की हवेली, मोहन टॉकीज में चौथे युवा शिविर में कहीं। महाराज ने कहा कि मोबाइल, मॉल और मल्टीनेशनल कंपनियों ने हमारी मर्यादा को खत्म कर दिया है। आज इंसान कैरियर लेस नहीं, कैरक्टर लेस हो गया है। पहले हम ज्वेलरी छुपाते थे, आजकल मोबाइल की गैलरी छुपाते हैं। सफल वह होता है, जिसे टूटे को बनाना और रूठे को मनाना आता है। समय तो सबके पास है, लेकिन उस समय में क्या करना है यह सबको नहीं पता है।
प्रकृति में ना शब्द नहीं है
आचार्यश्री ने कहा कि कभी किसी को ना मत बोलिए। संपूर्ण प्रकृति में ना शब्द नहीं है। नदी पानी को, पेड़ फल को, सूर्य प्रकाश को, चांद चांदनी को और फूल खुशबू को हां बोलते हैं, लेकिन एकमात्र इंसान है जो ना बोलते हैं। समय देने में, शब्द बोलने में, संपत्ति और समझ देने में कभी ना मत बोलिए। प्रेम सबसे निंदनीय और प्रशंसनीय शब्द है। परमात्मा और गुरु के प्रति प्रेम वंदनीय है और जहां नहीं करना है, वहां करो तो निंदनीय है। प्रभु ने प्रेम को एक्स्पोंड किया है।
2500 से अधिक युवा शिविर में हुए शामिल
श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेव केशरीमल जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी के तत्वावधान में आयोजित चौथे युवा शिविर में 2500 से अधिक युवा एवं श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे। शिविर के लाभार्थी विधायक चेतन्य काश्यप एवं परिवार रहा। शिविर में मुंबई बोरीवली के संगीतकार जैनम ने सुमधुर भजनों की प्रस्तुतियां दी गई।(Dainik Patrika se Saabahar )