झाबुआ

नगर में पतजंलि योग पीठ हरिद्वार का 16-17 अगस्त को होगा दो दिवसीय योग चिकित्सा विज्ञान एवं ध्यान शिविर । पतजंलि योग पीठ की विदूषियां देगी योग प्रशिक्षण । योग न केवल हमारे शरीर की मांसपेशियों को अच्छा व्यायाम देता है, बल्कि यह हमारे दिमाग को शांत रखने में भी मदद करता है- सुश्री रूकमणी वर्मा

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नगर में पतजंलि योग पीठ हरिद्वार का 16-17 अगस्त को होगा दो दिवसीय योग चिकित्सा विज्ञान एवं ध्यान शिविर ।
पतजंलि योग पीठ की विदूषियां देगी योग प्रशिक्षण ।
योग न केवल हमारे शरीर की मांसपेशियों को अच्छा व्यायाम देता है, बल्कि यह हमारे दिमाग को शांत रखने में भी मदद करता है- सुश्री रूकमणी वर्मा
झाबुआ ।  महिला पतंजलि योग समिति जिलाअध्यक्ष सुश्री रूकमणी वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि आगामी 16 एवं 17 अगस्त  को स्थानीय पैलेस गार्डन पर प्रातः 5-45 से 7-45 तक  दो दिवसीय निःशुल्क योग चिकित्सा विज्ञान एवं ध्यान शिविर का आयोजन किया जारहा है । नगर के लिये गौरव का विषय में है कि इस शिविर में पतजंलि योग पीठ हरिद्धार के योगऋषि परम पूज्य स्वामी रामदेवजी महाराज की शिष्य पूज्या साध्वी देवादिती जी, पूज्य साध्वी देववाणीजी, एवं पूज्या साध्वी देवसौम्याजी के पावन सानिध्य में  मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदयरोग, मोटापा ,गैस, कब्ज कमरदर्द, सर्वादकल स्पोण्डोलाईटिस, एलर्जी, दमा, अस्थमा, माईग्रेन, डिपे्रशन, जोडो के दर्द आदि रोगों कें लिवारणार्थ संबंधित योगाभ्यास  करवाये जावेगें । उन्होने बताया कि  इस अवसर पर आरोग्य सभा, धर्मसभा, एवं भजन का भी अभिनव आयोजन होगा ।
महिला पतजंलि योग समिति की जिला अध्यक्ष सुश्री रूकमणी वर्मा ने योग के महत्व की जानकारी देते हुए कहा कि योग न केवल हमारे शरीर की मांसपेशियों को अच्छा व्यायाम देता है, बल्कि यह हमारे दिमाग को शांत रखने में भी मदद करता है। चिकित्सा अनुसंधान से पता चला है कि योग शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। योग तनाव से राहत देता है और बेहतर नींद लाता है, भूख और पाचन को बढ़ाता है। योग व्यक्ति को पूरे दिन फिट, सक्रिय और सकारात्मक रखने का एक सफल तरीका है। योग वह अभ्यास है जो मन, शरीर और आत्मा को एक साथ करने में मदद करता है।योग तनाव से लड़ने, प्रतिरक्षा प्रणाली, स्वास्थ्य और समग्र व्यक्तित्व में सुधार करता है। ऐसा माना जाता है कि योग की उत्पत्ति लगभग 5000 वर्ष पहले हुई थी।
योग शारीरिक व्यायाम, शारीरिक मुद्रा (आसन), ध्यान, सांस लेने की तकनीकों और व्यायाम को जोड़ता है। इस शब्द का अर्थ ही श्योगश् या भौतिक का स्वयं के भीतर आध्यात्मिक के साथ मिलन है। यह सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना के मिलन का भी प्रतीक है, जो मन और शरीर, मानव और प्रकृति के बीच एक पूर्ण सामंजस्य का संकेत देता है। योग (संस्कृत में योगः ) एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है जिसमें शरीर और आत्मा ( ध्यान ) को एकरूप करना ही योग कहलाता है। मन को शब्दों से मुक्त करके अपने आपको शांति और रिक्तता से जोडने का एक तरीका है योग। योग समझने से ज्यादा करने की विधि है।योग करने से हमें शारीरिक तथा मानसिक लाभ मिलता है और योग मांसपेशियों को पुष्टा प्रदान करते हैं। योग करने से हमारा शरीर स्वस्थ, निरोग और बलवान बनता है और योगाभ्यास करने से कई रोगों से लड़ने की शक्ति भी मिलती है। कई योगासन शारीरिक बीमारियों या दर्द को कम करने के लिए किए जाते हैं।योग एक संपूर्ण जीवन दृ शैलो अथवा साधना है जिससे व्यक्ति को अपने मन मस्तिष्क तथा स्वयं पर नियंत्रण करने में सहायता मिलती है। मन पर नियंत्रण करके तथा शरीर को स्वस्थ रखकर व्यक्ति परम आनंद का अनुभव कर सकता है। इस प्रकार यह माना जाता है कि , योग सभी प्रकार के दुख एवं पीड़ा को नष्ट करता है।
महिला योग समिति की जिला महामंत्री श्रीमती सूरज डामोर के अनुसार योग से कई शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य लाभ होते हैं जिनमें बेहतर मुद्रा, लचीलापन, शक्ति, संतुलन और शरीर की जागरूकता शामिल है । किसी भी नए फिटनेस कार्यक्रम को शुरू करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श लें, खासकर यदि आपको पहले से कोई चिकित्सीय स्थिति है या आपने लंबे समय से व्यायाम नहीं किया है।
हमारे जीवन में योग के महत्व को कम नहीं आंका जा सकता। यह एक ऐसा विज्ञान है जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण में भी सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित करता है, जो हमारे जीवन की नींव हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि योग कितने स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। पहला योग दिवस 21 जून 2015 को पूरे विश्व में पहली बार मनाया गया. लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी की अपील के बाद 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव को अमेरिका द्वारा मंजूरी दी। जिसे बाद हर साल 21 जून को योग दिवस मनाया जाता है। सभी योग शैलियाँ आपके शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करने में मदद कर सकती हैं, लेकिन वे इसे विभिन्न तरीकों से हासिल किया जा सकता है ।
समिति की श्रीमती मधु जोशी के अनुसार योग आध्यात्मिक, शारीरिक और मानसिक प्रथाओं का एक समूह है जिसकी उत्पत्ति प्राचीन भारत में हुई थी। योग का शाब्दिक अर्थ है जोड़ना। योग शारीरिक व्यायाम, शारीरिक मुद्रा (आसन), ध्यान, सांस लेने की तकनीकों और व्यायाम को जोड़ता है। इस शब्द का अर्थ ही ‘योग’ या भौतिक का स्वयं के भीतर आध्यात्मिक के साथ मिलन है। यह सार्वभौमिक चेतना के साथ व्यक्तिगत चेतना के मिलन का भी प्रतीक है, जो मन और शरीर, मानव और प्रकृति के बीच एक पूर्ण सामंजस्य का संकेत देता है। योग के अभ्यास का उल्लेख ऋग्वेद और उपनिषदों में भी मिलता है। आधुनिक समय के दौरान और विशेष रूप से पश्चिम में, योग को बड़े पैमाने पर शारीरिक व्यायाम के साथ-साथ ध्यान और मुद्राओं के रुप में अपनाया जा रहा है। हालांकि, योग का उद्देश्य स्वस्थ मन और शरीर से परे है।
पतजंलि योग समिति की जिलाध्यक्ष एवं  योग प्रभारी कुमारी रूकमणी वर्मा, जिला महामंत्री श्रीमती सूरज डामोर, संगठन मंत्री श्रीमती मधु जोशी, सामाजिक महासंघ के अध्यक्ष नीरजसिंह राठौर, सचिव उमंग सक्सैना, तथा सभी समाज के प्रमुखों ने नगर की जनता से आव्हान किया है कि वे  निशुल्क दो दिवसीय योग एवं ध्यान शिविर में सपरिवार  सहभागी होकर योग करे निरोग के महामंत्र को अंगीकार करने के लिये सहभागिता करें ।
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