झाबुआ

जनजाति संवर्धन सप्ताह अंतर्गत 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया गया

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जनजाति संवर्धन सप्ताह अंतर्गत 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर प्रधान जिला न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण झाबुआ श्री लखनलाल गर्ग के मार्गदर्शन एवं निर्देशानुसार विशेष न्यायाधीश झाबुआ श्री विवेक सिंह रघुवंशी की अध्यक्षता एवं द्वितीय जिला न्यायाधीश श्री सुभाष सुनहरे की उपस्थिति में चेतना हाई स्कूल ग्राम गडवाड़ा जिला झाबुआ में नालसा ( आदिवासियों के अधिकारों का संरक्षण और प्रवर्तन के लिए विधिक सेवाएं) योजना-2015 के आलोक में विधिक साक्षरता/जागरूकता शिविर एवं ‘पंच-ज' अभियान अंतर्गत पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। शिविर का शुभारंभ संविधान प्रस्तावना का वाचन के साथ हुआ। शिविर में विशेष न्यायाधीश झाबुआ श्री विवेक सिंह रघुवंशी ने उपस्थित छात्र, छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासियों के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी सुरक्षा के लिए प्रत्येक वर्ष 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है। यह दिवस उन उपलब्धियों और योगदानों को भी स्वीकार करती है जो मूलनिवासी, आदिवासी लोग पर्यावरण संरक्षण जैसे विश्व के मुद्दों पर बेहतर बनाने के लिए करते हैं। उन्होने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि, आदिवासी समुदायों को विद्यालय और शिक्षा की सुविधा से पूरी तरह सम्पन्न किया जाए। शिक्षा के माध्यम से हम अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा और सशक्तिकरण को बढ़ा सकते हैं और अपने दैनिक जीवन में सबसे अधिक विकास और सफलता प्राप्त कर सकते हैं। मैं गर्व से कह सकता हूं कि हमारे देश में आदिवासी छात्रों की आदिवासी संस्कृति और अद्यातन शिक्षा को ध्यान में रखते हुए साक्षरता के मामले में कई सक्रिय कदम उठाए गए हैं। हमारा लक्ष्य यह होना चाहिए कि सभी आदिवासी बच्चे और युवा मुक्त और उज्ज्वल भविष्य की ओर आगे बढ़ें ताकि वे स्वयं को सामाजिक और आर्थिक रूप से स्वावलंबी बना सकें। संबोधन की कड़ी में द्वितीय जिला न्यायाधीश श्री सुभाष सुनहरे ने विश्व आदिवासी दिवस की शुभकामनाएँ देते हुये कहा कि यह एक ऐतिहासिक मौका है, जब हम सम्पूर्ण मानवता की धरोहर को समझने और समर्पित करने का अवसर प्राप्त करते हैं। आज जब हम विश्व आदिवासी दिवस मनाने के लिए एकत्र हुए हैं, तो मुझे हमारी युवा पीढ़ी के बीच कानूनी साक्षरता को बढ़ावा देने की भावना से आप सभी को संबोधित करते हुए खुशी हो रही है। यह बहुत खुशी की बात है कि हम इस स्कूल में कानूनी साक्षरता शिविर का आयोजन कर रहे है। जिसका उद्देश्य हमारे आदिवासी समुदायों को कानूनी ढांचे के भीतर उनके अधिकारों और जिम्मेदारियों के ज्ञान के साथ सशक्त बनाना है। विधिक साक्षरता न केवल किताबों और कानूनी प्रक्रियाओं की आवश्यकता है, बल्कि यह आदिवासी समुदायों के अधिकारों को समझने और सुरक्षित रखने के लिए भी आवश्यक है। हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि, उनकी भाषाओं, संस्कृतियों और पारंपरिक ज्ञान का सम्मान किया जाता है और वे विकास की प्रक्रियाओं में समर्थ भागीदार बन सकें। शिविर में जिला विधिक सहायता अधिकारी श्री सागर अग्रवाल ने बच्चों को आदिवासियों के अधिकार, मूल कर्तव्य एवं अधिकार शिक्षा का अधिकार, संवैधानिक अधिकार आदि की विस्तारपूर्वक जानकारी दी। शिविर पश्चात् 'पंच-ज' अभियान अंतर्गत स्कूल परिसर में पौधारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसके अंतर्गत विभिन्न प्रजातियों के पौधे रोपित किये गये। कार्यक्रम में छात्र / छात्राएं आदिवासी वेशभूषा में उपस्थित रहें। कार्यक्रम में रेडियो टंटया भील संचालक श्री बेनेडिक्ट डामोर, उप प्राचार्य श्री अंकित परमार एवं शिक्षक, शिक्षिकाएँ उपस्थित रहे।

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