कर्तव्यों को छोड़कर वैराग्य के मार्ग पर आना ठीक नही , जवाबदारी से बचकर अध्यात्म पर चलना ठीक नही– आचार्य श्री रामानुज जी श्री हनुमंत आश्रम पिपलखूंटा में प्रतिदिन बह रही शिव चरित्र मानस कथा की सुरभि ।
कर्तव्यों को छोड़कर वैराग्य के मार्ग पर आना ठीक नही , जवाबदारी से बचकर अध्यात्म पर चलना ठीक नही– आचार्य श्री रामानुज जी
श्री हनुमंत आश्रम पिपलखूंटा में प्रतिदिन बह रही शिव चरित्र मानस कथा की सुरभि ।
झाबुआ । श्री हनुमंत निवास आश्रम पिपलखुंटा में चल रही मानस शिव चरित्र कथा में आचार्य रामानुज जी द्वारा शिव चरित्र को सुनाते हुए कहा कि जिंदगी कें प्रत्येक क्षण बालक की भांति होनी चाहिए । उन्होने कहा कि गुरु गोरखनाथ के शब्द ’हँसे खेले न करे मन भांग ते निहचले सदा नाथ के संग’ इस सूत्र का सुंदर विवेचन किया । उन्होंने कथा में आगे कहा कि भगवान शंकराचार्य ने जो कुछ भी क्रिया चेष्टा बताई तथा जो हम करते है उसको महादेव की आराधना का रूप माना जाता है । महादेव के चरित्र को सुनकर रोम रोम हर्षित हो जाता है , जहां मानवता का मंत्र हो किसी का त्याग न हो , स्वीकार हो वही साधु महादेव के निकट होता है , वही कैलाश की यात्रा है, । आचार्य रामानुज जी ने शिव चरित्र के गुढ रहस्य को बताते हुए कहा कि कर्तव्यों को छोड़कर वैराग्य के मार्ग पर आना ठीक नही , जवाबदारी से बचकर अध्यात्म पर चलना ठीक नही ,अध्यात्म भगोडो का मार्ग नही , जीवन यात्रा अपनो के साथ होती है , बाकी तो अध्यात्म के मार्ग पर चलना कृपाण की धार पर चलने समान है । कथा में उन्होने आगे कहा कि जो व्यक्ति भोजन करता है पेट उसी का भरता है ,ईश्वर ने जो मार्ग दिया है उस पर श्रद्धा से चलो , उन्माद नही फैलाना चाहिए , । उन्माद का नशा जीवन को बर्बाद करदेता है ।
शिव कथा का रहस्य बताते हुए उन्होने कहा कि पूरे ब्रह्मांड में कुछ अमूल्य है तो वह है किसी के भरोसे के अश्रु । जब आप किसी जरूरतमंद व्यक्ति का हाथ पकड़ोगे तो व्यक्ति महादेव समान ही है , आप अपनी सत्ता एव संपत्ति का सदुपयोग नही करोगे तो आप स्वय ही अपने आप का ही उसका दुरूपयोग करेगें । । शिवचरित्र को सुनकर कर्तव्यपथ की दुविधा नष्ट होती है । क्रोध ऐसा जहर है , जो हंसती खेलती जिंदगी को उजाड़ कर रख देता है । कभी कभी छोटा काम बड़ा ज्ञान दे जाता है और बडा ज्ञान छोटे काम से भी नीचे स्तर पर उतर आता है ।
आचार्य जी ने युवा वर्ग को विशेष रूप से कहा कि कभी बड़ो की डांट मिले तो विनम्र होकर सुन लेना लेकिन झूठ मत बोलना नही तो जीवन मे हार जाओगे । जब व्यक्ति की श्रद्धा मरने लगती है , तब व्यक्ति गलत रास्ते पर चलता है ।
आचार्य रामानुज जी की कथा में पूरे अंचल से हजारों की संख्या में महिला एवं पुरूष श्रद्धालुजन इस ज्ञान गंगा मे डूबकी लगा रहे है । आगामी 16