झाबुआ

कलेक्टर ने विकासखंड मेघनगर में कृषको को जैविक खेती के लिए किया प्रोत्साहित

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कलेक्टर सुश्री तन्वी हुड्डा द्वारा विकासखण्ड मेघनगर में कृषकों से की चर्चा। सर्वप्रथम ग्राम सजेली के आशा जैव विविधता समूह की कृषक पुष्पा परमार द्वारा बताया गया की आशा जैव विविधिता समूह पिछले 04 वर्षो से बीज निर्माण का कार्य कर रहे है, समूह में कुल 13 महिलाए है, हम सभी दिन में कृषि का कार्य करती है एवं शाम को 2 घंटे बीज बनाने का कार्य किया जाता है, महिलाओ ने कृषि में भिण्डी, टमाटर एवं गिलकी की सब्जिया लगाई है। महिलाओ द्वारा चना, तुअर, मक्का के बीज बनाये एवं बेचे जाते है, समूह की महिलाए जितने बीज लगाते है, उससे दोगुना परिणाम उन्हें प्राप्त होता है, इसी के साथ महिलाए अब मसाले बनाने के बारे में सोच रही है। कलेक्टर सुश्री हुड्डा ने महिलाओ को NRLM से जुड़ने को कहा जिससे उन्हें व्यवसाय बढ़ाने एवं शासन की योजनाओ के लाभ प्राप्त हो, इसी के साथ महिलाओ को आत्मनिर्भर बनने के लिए भी प्रेरित किया गया। यही पास ही एक अन्य कृषक से भी बातचीत की गई एवं बगीचे को देखा गया। यहाँ पर कृषक के पास 4 मवेशी है। कृषक ने बताया कि वे गाय के गोबर को ठंडा कर खाद बनाते है, यह खाद 2 महीने में तैयार हो जाती है, इसे छान कर पौधों में डाला जाता है। कृषक खाद को 10 रुपए किलो एवं केचुओ को 300 रुपए किलो में बाजार में बेचता है। इसके साथ ही कृषक गुजरात से देशी गाय लाए है। गाय के गोबर, गोमूत्र, बेसन एवं गुड़ को मिलाकर कीटनाशक दवा बनाई जाती है यह दवा 8 दिन में तैयार हो जाती है । कलेक्टर सुश्री हुड्डा ने कृषक को अन्य लोगो को भी जैविक खाद एवं कीटनाशक बनाने के लिए प्रेरित करने को कहा। इसके पश्चात् ग्राम नरसिंहपुरा सहेली, सजेली तेजा भीमजी सात के कृषक दलसिंह परमार से संवाद किया गया। कृषक द्वारा ड्रीप योजना अंतर्गत 4- 5 सालो से जैविक खेती के माध्यम से सोयाबीन, मक्का, कपास एवं अन्य सभी सब्जियों की फसल लगाई जा रही है, मिर्ची की फसल कमजोर होने पर कृषक ने उसके स्थान पर मक्का की फसल लगे है कृषि में उपयोग होने वाली देसी खाद कृषक के द्वारा स्वयं बनाई एवं बेचीं जा रही है, कृषक द्वारा बताया गया की कीटनाशक दवा, नाशपाती का काढ़ा भी स्वयं बनाते है जिसे वे सब्जियों की फसल में डालते है नाशपाती काढ़े में कृषक गोमूत्र, धतुरा, कंजा, नीम की पत्तिया, रतनजोत एवं अन्य एसी सभी पत्तिया जिन्हें जानवर नहीं खाते डालकर बनाते है, यह खाद 15 दिन में तैयार हो जाती है एवं बाजार में वे इस खाद को 300 से 400 रुपए किलो में बचते है। कलेक्टर सुश्री हुड्डा ने कृषक के कार्य की प्रशंसा की एवं आगे भी इसी प्रकार कार्य करने एवं अन्य लोगो को प्रेरित करने को कहा।

इस दौरान सम्बंधित विभाग के अधिकारीगण उपस्थित थे।

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