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मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पाती पहुंचाई जा रही है जिले की लाडली बहनों को

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मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पाती पहुंचाई जा रही है जिले की लाडली बहनों को

रतलाम 23 अगस्त 2023/ मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पाती रतलाम जिले की लाडली बहनों को घर-घर पहुंचाई जा रही है। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तथा अन्य कर्मचारियों द्वारा पाती पहुंचने का कार्य किया जा रहा है।

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आगामी रक्षाबंधन की बधाई देते हुए लाडली बहनों को अपनी पाती में कहा है कि रक्षाबंधन के पावन पर्व पर तुम्हारे भाई की ओर से स्नेह एवं शुभकामनाएं। प्यारी बहन तुम्हारे आशीर्वाद से ही आज तुम्हारा भाई सबकी सेवा और विकास का काम कर रहा है। तुम सभी जानती ही हो कि अपनी बहनों को लेकर मेरे हृदय में अगाध प्रेम और स्नेह है। मेरी बहने एवं बेटिया समाज में अपना हक पाए, बराबरी से खड़ी हो सके यही मेरा सपना रहा है। इसलिए मैंने लाडली लक्ष्मी एवं लाडली बहना जैसी योजनाएं शुरू की, फिर सरकारी नौकरियां जैसे पुलिस, शिक्षक, पटवारी से लेकर डिप्टी कलेक्टर तक हर जगह बहनों को आरक्षण दिया। ग्राम पंचायत, नगर पालिकाओं एवं नगर निगमो में बहने बैठकर अपने फैसले ले सके। इसलिए मैंने 50 प्रतिशत आरक्षण दिया।

तब भी मन में एक कसक थी कि हर महीने मेरी बहन के हाथ में इतने रूपया हो कि वह अपनी इच्छा से खर्च कर सके, बच्चों की फीस, दूध जैसी रोजमर्रा की जरूरत के लिए सास, मां, ननद, भोजाई एवं बहन को कुछ देने के लिए मेरी बहन को किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़े और फिर मैंने दिल से निर्णय लिया कि प्रतिमाह की 10 तारीख को 1 हजार रुपए मेरी बहन के खाते में डाले जाएं। मेरी बहन मध्यप्रदेश में तुम्हारी जैसी सवा करोड़ से भी ज्यादा बहने हैं जिनके खातों में हर माह एक-एक हजार रुपए मतलब लगभग 1250 करोड रुपए प्रति माह से भी ज्यादा राशि पहुंच रही है। तुम्हारा भाई इस 1 हजार रुपए माह को धीरे-धीरे बढ़ाकर 3 हजार रुपए प्रति माह तक ले जाएगा।

मेरी बहन इस बार का रक्षाबंधन मेरे लिए बहुत विशेष है क्योंकि मैं हृदय से प्रसन्न हूं कि मेरी बहने अब अपने आत्मसम्मान को महसूस कर सकती हैं। मेने तुम्हारे ह्रदय के भाव से अपनी कलाई पर तुम्हारी राखी को आत्मा से महसूस किया है। तुम्हारी राखी की रक्षा और सम्मान का मेरा वचन है। मेरी बहन तुम्हारी खुशी और स्वाभिमान के लिए मैं कोई कोर कसर नहीं छोडूंगा। मेरी बहना में बसते मेरे प्राण हैं। मेरी खुशी  तुम्हारा सुख और आत्मसम्मान है।

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