आचार्यश्री ने लघु कर्मी और बाह्य कर्मी के बारे में बताते हुए कहा कि जिसके कर्म कम हो वह लघु कर्मी और जिसके कर्म अधिक हो वह बाह्य कर्मी कहलाता है। विराधना के समय में जिसे आराधना याद आए वह लघु कर्मी कहलाता है। प्रवचन में श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेव केशरीमल जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी के सदस्यों सहित बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाएं उपस्थित रहे।
मासक्षमण की कठोर तपस्या पूर्ण
रतलाम. संयमी आत्माओं का जहां वर्षावास होता है, वह क्षेत्र स्वत: ही धर्ममय हो जाता है। तपस्वी दिलीपमुनिश्री आदि ठाणा 4 की निश्रा में श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल नौलाईपुरा स्थानक पर धर्म, ध्यान, जप, तप में आराधाना का सिलसिला जारी है। कुंदनमल बांठिया ने 32 उपवास व शिखा भंडारी ने 31 उपवास मासक्षमण की कठोर तपस्या पूर्ण की। अब तक 16 मासक्षमण की तपस्या पूर्ण हो चुकी है।(DAINIK Patrika SE SABHAR)