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जैन संत ने बताया जीवन में क्या महत्वपूर्ण

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जैन संत ने बताया जीवन में क्या महत्वपूर्ण

रतलाम। हर काम को श्रद्धा, भाव और संकल्प से शुरू करना चाहिए। इससे जीवन में हमेशा सफलता मिलती है। जीवन में हमने क्या खाया, कितना खाया, उसका महत्व नहीं है। महत्व हमने कितना पचाया का होता है। उसी तरह हमने क्या सुना, कितना सुना इसका महत्व का नहीं है लेकिन उसे जीवन में कितना उतारा यह महत्वपूर्ण है।

यह विचार आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वर महाराज ने सेठजी का बाजार स्थित आगमोद्धारक भवन में प्रवचन के दौरान व्यक्त किए। आचार्यश्री ने कहा कि बिना श्रद्धा की बुद्धि डुबा देती है। भाव नहीं होने पर मन नहीं लगता और संकल्प नहीं रहेगा तो सिद्धि कैसे मिलेगी?
क्या है लघु कर्मी और बाह्य कर्मी
आचार्यश्री ने लघु कर्मी और बाह्य कर्मी के बारे में बताते हुए कहा कि जिसके कर्म कम हो वह लघु कर्मी और जिसके कर्म अधिक हो वह बाह्य कर्मी कहलाता है। विराधना के समय में जिसे आराधना याद आए वह लघु कर्मी कहलाता है। प्रवचन में श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेव केशरीमल जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी के सदस्यों सहित बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाएं उपस्थित रहे।
मासक्षमण की कठोर तपस्या पूर्ण
रतलाम. संयमी आत्माओं का जहां वर्षावास होता है, वह क्षेत्र स्वत: ही धर्ममय हो जाता है। तपस्वी दिलीपमुनिश्री आदि ठाणा 4 की निश्रा में श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल नौलाईपुरा स्थानक पर धर्म, ध्यान, जप, तप में आराधाना का सिलसिला जारी है। कुंदनमल बांठिया ने 32 उपवास व शिखा भंडारी ने 31 उपवास मासक्षमण की कठोर तपस्या पूर्ण की। अब तक 16 मासक्षमण की तपस्या पूर्ण हो चुकी है।(DAINIK Patrika SE SABHAR)

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