झाबुआ

भारत का हर घर महापुरूषों के निर्माण का शक्ति केन्द्र बने इसलिये हर घर का ’मातृस्थान’ सक्षम होना आवश्यक हेै- परमपूज्य स्वामी जीतेन्द्रनाथ जी । विश्व मांगल्य संभा के बैनर तले 11000 से अधिक महिलाओं ने 8 लाख 6 हजार 956 शिवजाप एवं अनुष्ठान में भागीदारी कर एक कीर्तिमान बनाया। प्रदेशाध्यक्ष श्रीमती सूरज डामोर ने दी जानकारी

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भारत का हर घर महापुरूषों के निर्माण का शक्ति केन्द्र बने इसलिये हर घर का ’मातृस्थान’ सक्षम होना आवश्यक हेै- परमपूज्य स्वामी जीतेन्द्रनाथ जी ।

विश्व मांगल्य संभा के बैनर तले 11000 से अधिक महिलाओं ने 8 लाख 6 हजार 956 शिवजाप एवं अनुष्ठान में भागीदारी कर एक कीर्तिमान बनाया। प्रदेशाध्यक्ष श्रीमती सूरज डामोर ने दी जानकारी ।
झाबुआ । संस्कार, सामर्थ्य, सदाचार एवं सेवा के बोधिवाक्य को लेकर विश्व मांगल्य सभा मध्यप्रदेश द्वारा  राष्ट्र शिवार्चन, शिव-आराधना से राष्ट्र- आराधना को लेकर  16 सितम्बर शनिवार को श्री कनकेश्वरी देवी विद्या विहार एमआईजी थाने के पीछे इन्दौर में  राष्ट्र शिवार्चन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। विश्व मांगल्य संभा की प्रदेश अध्यक्ष, पूर्व आइएएस अधिकारी श्रीमती सूरज डामोर ने जानकारी देते हुए बताया कि विश्व मांगल्य सभा मध्यप्रदेश के तत्वावधान में 501 शिवालयों में शिवार्चन,पूजन के समापन कार्यक्रम में करीब 800 से अधिक सहभागियों ने इस भव्य आयोजन में भागीदारी की जिसमें 500 से अधिक महिलाओं द्वारा श्रद्धा एवं भक्ति के साथ शिवार्चन जेैसे आध्यात्मिक आयोजन में भाग लिया । इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में नाथ संप्रदाय के अठारहवें गुरू परमपूज्य स्वामी जीतेन्द्रनाथ जी महाराज ने अपनी दीव्य उपस्थिति से सभी को कृतार्थ किया । स्वामीजी ने 108 बिल्वार्चन पूजन उपस्थित सभी मातृशक्ति से करवाया तथा पूजित शालिग्राम की अक्षतादि से पूजन करवाया तथा साहित्य का वितरण भी किया गया एवं शालिग्राम जी का वितरणभी किया । इस आयोजन में इन्दौेर,उज्जैन, खंडवा रतलाम, झाबुआ की टीम को भी स्वामीजी ने आशीर्वाद दिया । वही श्रीमती पूजा पाठक प्रशिक्षण प्रमुख विश्व मांगल्य सभा मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र की संयोजिका तथा पूर्व लोकसभा स्पीकर पदम्विभूषण श्रीमती सूमित्रा महाजन विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रही ।
स्वामी जीतेन्द्रनाथ जी ने विशाल जनसमुदाय एवं मातृशक्ति को संबोधित करते हुए कहा कि सशक्त राष्ट्र के लिए सक्षम मातृत्व का होना बहुत आवश्यक है। जब माता सक्षम और संस्कारवान होगी तो उससे उत्पन्न संतान निश्चित रूप से सशक्त राष्ट्र के निर्माण में सहभागी बनेगी। भारतीय संस्कृति में मां का बड़ा महत्व है। जितने भी वीर महापुरुषों के उदाहरण हम सबके सामने प्रस्तुत किए जाते हैं उनके मूल में एक मां की त्याग तपस्या व संस्कार सहित लालन-पालन छिपा होता है। हमारी संताने राष्ट्रवादी-राष्ट्रीय समाज के विचार वाली हों, इसके लिए एक मां का दायित्व अहम हो जाता है। विश्वमांगल्य सभा मातृ निर्माण के देव-देश कार्य में लगा हुआ है उसके लिये वह साधुवाद की पात्र है। एक संस्कारित राष्ट्रीय विचारों से ओतप्रोत माता निश्चित ही महापुरुष की जन्म दात्री होती है। उन्होने कहा कि भारत में राष्ट्र की मूल संस्था परिवार होती है, परिवार माता पर निर्भर करता है अर्थात इस राष्ट्र के निर्माण या उत्थान के लिए एक मां की भूमिका अहम होती है। बच्चों को मां ही घर में अच्छे संस्कार दे सकती है। इससे आने वाली पीढ़ी भी संस्कारी होगी। स्वामीजी ने आगे कहा कि संस्कारों के द्वारा ही उसके व्यक्तित्व का पता चलता है। संस्कार ही मनुष्य की पहली सीढ़ी होती है, उसके परिवेश में व्यक्ति सच्चरित्र बनता है। लीजिए, हमको शरण में, हम सदाचारी बनें। ब्रह्मचारी, धर्म-रक्षक, वीर व्रतधारी बनें। इन पंक्तियों से यह ज्ञात होता है कि संस्कारों द्वारा प्राप्त शिक्षा से ही व्यक्ति सदाचारी और आदर्शवादी बनता है और अपने जीवन में सफलता प्राप्त करता है, परन्तु आज के समय में इन संस्कारों का लोप होता जा रहा है, जिससे विद्यार्थी अपने जीवन में आने वाली समस्याओं से लड़ते रह जाते हैं। आज जरूरत है तो इन संस्कारों की जो हमारी शिक्षा को और भी ऊंचा उठा सके। इस दिशा में विश्व मांगल्यसभा अनुकरणीय कार्य कर रही है और जागृत मातृशक्ति एवं संस्कारित बालक के महामंत्र को साकार करने में जो भूमिका निभारही है वह निश्चित ही अनुकरणीय है।  भारत का हर घर महापुरूषों के निर्माण का शक्ति केन्द्र बने इसलिये हर घर का ’मातृस्थान’ सक्षम होना आवश्यक हेै।
श्रीमती पूजा पाठक प्रशिक्षण प्रमुख विश्व मांगल्य सभा मध्यप्रदेश एवं महाराष्ट्र द्वारा विश्व मांगल्य सभा के उद्देश्य एवं समाज मे मातृशक्ति की महती भूमिका के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि विश्व मांगल्य सभा का उद्देश्य ही धार्मिक आयोजनों के माध्यम से संस्कारों का प्रसार करना है । भारतीय संस्कृति में मां का बड़ा महत्व है। जितने भी वीर महापुरुषों के उदाहरण हम सबके सामने प्रस्तुत किए जाते हैं उनके मूल में एक मां की त्याग तपस्या व संस्कार सहित लालन-पालन छिपा होता है। उन्होने मातृशक्ति से आगे और कार्य बढाने का आव्हान किया ।
श्रीमती डामोर ने बताया कि इस अवसर पर पदम विभूषण पूर्व लोकसभा स्पीकर श्रीमती सुमित्रा ताई भी उपस्थित रही और और उन्होने भी माताओं को धार्मिकता के साथ बच्चों को संस्कारित करने पर बल दिया तथा इस आयोजन की भूरीभूरी प्रसंशा की । राष्ट्र-शिवार्चन के समापन कार्यक्रम के अवसर ’’शिव आराधना-राष्ट्र आराधना’’के भव्य आयोजन में इन्दौर महानगर की गणमान्य महिलाओं ने भी बढ-चढ कर सहभागिता की। कार्यक्रम के बारे में बताते हुए उन्होने कहा कि  आयोजन स्थल पर भगवान श्री शिवजी की प्रतिमा स्थापित की गई जिस में सभी महिलाओं द्वारा सामुहिक रूप से श्री रूद्राष्टक एवं श्री शिव मानस पूजा का पाठ, अष्टोत्तर नामावली का सामुहिक पाठ एवं बिल्वार्चन आदि अनुष्ठान किये गये । इस अवसर पर, शिव अनादि कला साधना केन्द्र इन्दौर द्वारा शिवस्तुति पर प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया वही  बच्चों  द्वारा शिवजी पर आधारित स्तुति ,एवं संस्कृत में श्लोक पाठ की प्रस्तुति दी करतल घ्वनि के बीच गई। कार्यक्रम मे स्वामीजी ने पदमविभूषण श्रीमती सुमित्रा महाजन को  तथा प्रमुख बहिनों को शालिग्राम जी का विग्रह उपहार स्वरूप प्रदान किया ।
श्रीमती डामोर ने कार्यक्रम एवं गतिविधियों की विस्तार से जानकारी देते हुए बताया कि  विश्व मागंल्य सभा के शिवार्चन के इस अभिनव कार्यक्रम में बडी संख्या में महिलाओं ने सर्वत्र सहभागिता की । 11 हजार से अधिक बहिनों ने पुरूषोत्तम माह के श्रावण माह में इन आयोजनों में भागीदारी की तथा 8 लाख 6 हजार 956 शिवजाप एवं अनुष्ठान में भागीदारी कर एक कीर्तिमान बनाया है यह मातृशक्ति की भागीदारी की सबसे बडी उपलब्धि मानी जावेगी । उन्होने सभी मातृशक्ति जिन्होने समयदान देकर अधिक मास के श्रावण माह  में धर्मलाभ प्राप्त किया उन्हे धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि विश्व मांगल्य सभा आगामी समय में इसी प्रकार के रचनात्मक एवं धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करके समृद्व राष्ट्र, संस्कारवान संतान, एवं सशक्त मातृशक्ति के निर्माण के लिये अपनी सार्थक भूमिका का निर्वाह करती रहेगी ।

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