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लोक पर्व,लोक संस्कृति ,लोक कलाओं का जन्म सहज ही सरलतम मीठी बोली ,अपनों का स्नेह ,बचपन की यादें व कई शुभ प्रसंगों को समेटता जीवन है,रंग है ,खुशियां है,और सबसे खूबसूरत  #मायके की #यादें है 

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लोक पर्व,लोक संस्कृति ,लोक कलाओं का जन्म सहज ही सरलतम मीठी बोली ,अपनों का स्नेह ,बचपन की यादें व कई शुभ प्रसंगों को समेटता जीवन है,रंग है ,खुशियां है,और सबसे खूबसूरत 
#मायके की #यादें है 
स्नेही मित्रों
आज में अपना मध्य प्रदेश का लोक पर्व *संजा*के बारे में बता रही हु जो मालवा और निमाड़ में वर्षों पूर्व कन्याओं सखीयों द्वारा मनाया जाता रहा हे ।
गणपति विसर्जन के दूसरे दिन पूर्णिमा से प्रारम्भ होकर सर्वपितृ अमावस तक 16 दिवसीय पर्व में कन्याएं दीवार पर गाय के गोबर की हर दिन नई आकृति बनाती हे उसे फूल पत्तियों पन्नी से सजाकर संध्या काल में एकत्रित होकर पूजन करती हुई हंसी ठिठौली के गीत गाती हे ।
आनंदमय भरे ईस माहौल में घर में संयुक्तत्ता का अहसास कभी रीता नही रहा ।
सर्वपितृ अमावस के दिन संजा माता की विदाई दी जाती हे की अब तुम पीहर बहुत रह चुकी ससुराल जाओ
पारम्परिक गीतों और रिवाजों के पीछे धार्मिक मान्यता तो होती ही हे और परिवार एकसूत्र में बंधे रहता हे ।हमारा हिन्दू धर्म हमेशा से ही जोड़ने में विश्वास रखते आया हे ।गाय को पूजा जाता हे जहां व्ही गाय का गोबर अति पवित्र माना गया हे इस संजा पर्व में गोबर का ही महत्व हे ।व्ही फूल पत्तियों से प्राकृतिक सौंदर्य तथा पर्यावरण हितैषी को महत्व दिया गया हे ।बालिकाएँ गीत खेल मस्ती में धर्म और संस्कृति का रक्षण करना सीखती हे।
पहले दिन यानि पूनम का पाटला बिज का बीजणा मतलब पंखा तीज को फूल चतुर्थी को चौपड़ पंचमी को पांच सखियां पंचे खेलती हुई छठ को सूरज सप्तमी को स्वस्तिक अष्टमी को भई चाँद नवमी को आँवला तुलसी दशमी को जाडी जसोदा और पातळी पेमा सखी एकादशी को 11 भाई बारस को गौ ग्वाल तेरस को धान अनाज खेत चतुर्दशी को सूरज चाँद रथ जीमन किलकोट जिसमे सम्पूर्ण लोक कलाओं की छटा दिखाई देती हे ।
मान्यता हे शिव पार्वती और 16 सखीयों की जो अलग अलग जाति की थी ।उन्ही पर आधारित लोक पर्व संजा ।। कुछ गीत
1.
पहली आरती राई जमझोल
दूसरी आरती राई रमझोल
राई ने जीरो
पियारो संजा बई जी को विरो
विरो लायो काकडी
बई संजा की रखड़ी
रखड़ी में हीरा पन्ना जड़िया
विरो संजा को घणो बढ़िया ।।
( इसी तरह 16 सहेलीयों के बोलते हैं)
2 छोटी सी गाड़ी रुडक्टि जाये
जिम्मे बेठ्या संजा बाई
घाघरो घमकति जाये
चुड़लो खनकाती जाये
म्हारी बाईजी की नथडि झोला खाये
बाईसा को लुगड़ो झोलमझोल
संजा बई हुया रोलम पोल ।।
3
चल म्हारी संजा खेलन चाल
संजा तो मांगे हरो हरो गौबर
कहाँ से लाऊँ भई हरो हरो गौबर
ग्वालन दीजे हरियो गोबर
संजा मांगे लाल लाल फुलडा
कहाँ से लुँ भई लाल लाल फुलडा
मालन दीजे लाल लाल फुलडा
4
संजा बई का लाडा जी
लुगड़ो लाया जाडा जी
ऐसो कई लाया दारी का
जरा लाता गोटा किनारी का
संजा बई के पेरता नी आये ओढ़ता नी आये
कोण बताये भई कोण बताये कोण बताये
वीरा की लाडी ओढ़ बताये
भई ओडी ने बताय ।।
5
संजा तू थारा घर जा
थारी बई मारेगी
कुटेगी
डेली में डचोकेगी
हिरणी का बड़ा बड़ा दांत
कुतरा कुतरी भुकेगा
छोरा छोरी दरपेगा
6.
संजा माता जीम ले चुट ले
चिरेला चिरई ले
जीम ले सारी रात
तारों भरी रे रात
लाल फूलां भरी रे परात
एक फूला झरी गयो
बाईजी संजा रूसी गया ।।
7.
काजल टिकी लो बई
काजल टिकी लो
काजल टिकी ली ने
म्हारी संजा बई ने दो
संजा बई को सासरो,सांगानेर
पधम पधारया जी अजमेर
गुलाम थाकि चाकरी
गुलाम थाको देस
छोड़ी थाकि चाकरी
पधारो थका देस ।।
8.
 आणि कुडा को केसों पाणि
जाडी जसोदा बता वो राणी
पी ने वता जे ,पीने वता जे
मिठो रे के खारो रे
धम्मरिया झमकारो रे
आणि कुडा को केसो पानी
पतली पेमा वता वो राणी
चाखि ने वता जरा पी ने वता
मीठो रे के खारो रे
संजा बई ऊबे कुडा पे
पीवे पानी,हँसती हाला झाला जी
जाडी जसोदा साथे लाला जी ।
   9.
संजा के पीछे मेंदी को झाड़,मेंदी को झाड़
एक एक पत्ती चुठी जाय, चुठी जाय
उधर से आयो मामो मामो
मामो लायो जरी की साड़ी
मामी लाइ मेथी
मेथी से तो माथो दुखे घी का घेवर भावे
10.
अणि क़ुड़ा( कुआ) पे कुण कुण पोथी बाचेरे भम्मरिया
अणि क़ुड़ा पे चाँद सूरज वीरों पोथी बांचे रे भम्मरिया
चाँद सूरज भायो तो यूँ के
की म्हाने झमक सी लाडी लइदो रे भम्मरिया
झमक सी लाडी ने ओढ्ता नई आवे ,पेरता नी आवे
संजा ननद ने बुलई दो रे भम्मरिया
संजा ननद को ऊंचो नाक,नीचो नाक
अटलक टिकी,वटलक टिकी
मोत्यां से मांग भरई दो रे भम्मरिया।।
  11.
;संजा तो मांगे हरो हरो गोबर
कहाँ से लाउ भई हरो हरो गोबर
किसान घरे जऊं
व्हां से लाउं
ले भई संजा हरो हरो गोबर,
संजा तो मांगे
लाल पीला फुलड़ा
कहाँ से लाऊं भई
हरा पीला फुलड़ा
माली घरे जऊ
व्हां से लऊं
ले भई संजा हरा पीला फुलड़ा।
संजा तो मांगे
दूध पतासा
कहाँ से लउं भई
हलवाई घरे जाऊ
व्हां से लाउं
के भई संजा
दूध पतासा
 12.
;गाड़ी नीचे जीरो बोयो
सात सहेल्यां जी,
अणि जीरा की साग बनाई
सात सहेल्यां जी
साग बनाई ने वीरा जी ने मेलि
सात साहेल्या जी
विराजी के म्हणे खाटी खाटी लागे
सात सहेल्यां जी
वाई खीर मैं भैस ने दे दी
सात सहेल्यां जी
भैस ऐ लई म्हने दुधडो दी दो
सात सहेल्यां जी
अणि दूध की खीर बनाई
सात सहेल्यां जी
खीर बनाई ने वीरा जी ने मेली
सात सहेल्यां जी
वीरा जी के म्हणे मीठी मीठी लागे
सात सहेल्यां जी ,
वीरा जी ले म्हने चुनर ओढाई
सात सहेल्यां जी
चुन्नड़ ओडी पाणी चाल्या
सात सहेल्यां जी
पाणी चाल्या काटों भाग्यो
सात सहेल्यां जी
काटो भाग्यो खून निकल्यो
सात सहेल्यां जी
खून निकल्यो चुनर से पूछ्यो
सात सहेल्यां जी
चुनर के तो धब्बा पड़ग्या
सात सहेल्यां जी
वाई चुनर में धोबी ने दी दी
सात सहेल्यां जी
धोबी इ लई म्हने धोई धोई दे दी
सात सहेल्यां जी
वाई चुनर में रंगरेज ने दे दी
सात सहेल्यां जी
रंगरेज लाइ म्हने रंगी रंगी देदी
सैट सहेल्यां जी।
    13.
मैं गोबर ले के सड़क पे खड़ी
मुझे बतलादो संजा की गली
अजी वई हे गली
अजी वई हे गली
जहाँ पीपल का पेड़ अनार की; कली।
मैं फुलवा ले के सड़क पे खड़ी.
मुझे बतला दो संजा बई की गली
अजी वई है गली
मुझे बतलादो संजा की गली
मैं प्रसाद ले के सड़क पे खड़ी
——….
       14.
 संजा तू बड़ा बाप की बेटी
तू खाय खाजा रोटी
तू पेरे माणक मोती
रजवाड़ी चाल चाले
मालवा री बोली बोले
संजा  सेवरो  ले….
माथे बेवडो रे…
15.
संजा का सासरे जावंगा
खाटू रोटो खवाङ्गा
संजा की सासु भूकडली
घर में घट्टी ठुकडली
ऐसी दउन्न दारी के कणका की
काम करेगा मनका की
में बैठूंग गादी पे
तने बिठाउँगा खूंटी पे
खूंटी पे खिल्ली हिली रई
संजा बई घणी हँसी रई ।।
ऐसो म्हारो मालवो
माधुरी सोनी *मधुकुंज*
24.9.21

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