झाबुआ

साधु और गुरू वैसा होना चाहिए जिसके दर्शन मात्र से जीवन की सारी समस्याएं समाप्त हो जाए, भागवत कथा कल्पतरू की तरह है – पं. अनुपानंदजी महाराज । विश्व शांति नवग्रह शनि मंदिर परिसर में श्रीमद् भागवत कथा में प्रथम दिन रही श्रद्धालुओं की भीड । लाभार्थी परिवार का किया स्वागत

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साधु और गुरू वैसा होना चाहिए जिसके दर्शन मात्र से जीवन की सारी समस्याएं समाप्त हो जाए, भागवत कथा कल्पतरू की तरह है – पं. अनुपानंदजी महाराज ।

विश्व शांति नवग्रह शनि मंदिर परिसर में श्रीमद् भागवत कथा में प्रथम दिन रही श्रद्धालुओं की भीड ।

लाभार्थी परिवार का किया स्वागत

झाबुआ। श्री पद्मवंशीय मेवाडा राठौर तेली समाज द्वारा स्थानीय श्री विश्व शांति नवग्रह शनि मंदिर परिसर में 23 से 29 सितंबर तक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के प्रथम दिन व्यास पीठ पर विराजमान श्रीमद् भागवत कथा के सरस प्रवक्ता कानपुर उत्तरप्रदेश से पधारे पं. अनुपानंदजी महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा ही एकमात्र ऐसी कथा है इसके अंदर जीवित व्यक्ति के साथ साथ मरे हुए व्यक्ति को भी मुक्त करने का सामर्थ है। कोई भी व्यक्ति कितना भी पाप किया हो, जीवन भर कितनी भी गलत कार्यों में लिप्त रहा हो, ऐसे व्यक्ति के मृत्यु के पश्चात यदि उसके नाम से श्रीमद भागवत कथा कर दी जाए तो वह भी मुक्त हो जाता है।
पं. अनुपानंदजी महाराज ने कहा की भागवत कथा के अंदर गोकर्ण धुंधकारी संवाद में हमें यही बताया गया कि जीवन भर धुंधकारी ने पाप किया और बाद में गोकर्ण ऋषि ने उनके नाम से श्रीमद् भागवत कथा का गान किया और वह मुक्त हुए। पं. अनुपानंदजी महाराज ने कहा कि जहां पर भागवत कथा होती है वहां पर उस समय में सारे तीर्थ सारी नदियां सारे देवता विचरण करते हैं।
श्रीमद् भागवत कथा कल्पतरू की तरह है जिसकी शरण में बैठने पर हमारी सारी मनोकामनाएं भागवत कथा पूर्ण करती है। उन्होने कहा कि भागवत कथा में जो व्यक्ति जिस मनसा के साथ बैठता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। लेकिन व्यक्ति की भावना पवित्र हो और संसार के मंगल की कामना उसके मन में हो ऐसे व्यक्ति की मनोकामना भागवत कथा से पूर्ण होती है।
पण्डित जी ने खचाखच भरे पाण्डाल में श्रद्धालुजनों को कहा कि कहा कि करोड़ों जन्मों के पुण्य उदय होते है तब भागवत कथा श्रवण करने को मिलती है। वेदों में भगवान का मिलना दुर्लभ नहीं बताया बल्कि संतो का मिलना भगवान की कथा, मानव तन मिलना दुर्लभ बताया है। उन्होनेे भक्ति ज्ञान वैराग्य की कथा सुनाई तथा गोकर्ण उपाख्यान का श्रवण कराया। महाराज ने बोलते हुए कहा की भागवत 3 चीजें देती है वे है भुक्ति, मुक्ति और भक्ति देती है जिनमें सबसे कीमती चीज है भक्ति। कथा में  आगे उन्होंने कहा कि भगवान के तीन रूप हैं. पहला रूप सत्य है और भगवान सत्य रूप में हैं। सत्य वही है जो सर्वदा एक समान रहता है। भगवान का दूसरा रूप चैतन्य है और तीसरा रूप आनंद स्वरूप है। भगवान का भजन हमेशा आनंद मय रहता है। संसार के हर आनंद का कभी ना कभी अंत होता है। भगवान का काम संसार की सृष्टि की रचना करना और दूसरा जिसका जन्म हुआ, का पालन करना और तीसरा कार्य सृष्टि का विनाश करना है। उन्होंने कहा कि जिसने जैसा कर्म किया है, उसे उसका फल जरूर मिलता है। जीवन को भक्ति के मार्ग में लगाएं तो जीवन आनंदमय होगा। कलयुग में लोगों के पास समय की कमी है। सतयुग में सभी भगवान की प्राप्ति के लिए यज्ञ करते थे, परंतु अब समय की कमी के कारण लोग यज्ञ नहीं कर रहे हैं।
पण्डित अनुपानंदजी के अनुसार कलयुग में भगवान की प्राप्ति का एक मात्र साधन श्रीमद् भागवत कथा है। भागवत कथा के प्रभाव से काल भी भाग जाता हैं भगवान की कथा अमृत से भी ज्यादा लाभप्रद हैं भगवान की कथा से जीवन को मुक्ति मिलती है और अमृत से जीवन को अमरत्व प्राप्त होता हैं । संसार में हर जीव के पास कष्ट हैं संसार में सुख का होना जीवन का सफल होना नहीं हैं । जीवन सफल तभी होगा जब जीवन को मुक्ति मिलेगी । उन्होंने कहा कि साधु और गुरू वैसा होना चाहिए जिसके दर्शन मात्र से जीवन की सारी समस्याएं समाप्त हो जाए। जीवन में जब भी समय मिले भक्ति भाव से भगवान नाम का संकीर्तन करें। जीवन को मोक्ष की प्राप्ति होगी।
लाभार्थी परिवार का किया स्वागत
श्रीमद् भागवत कथा के प्रथम दिन के लाभार्थी परिवार का दोपहर पश्चात कथा के अंत में स्वागत किया गया। लाभार्थी राठौर समाज के अध्यक्ष रामचंद्र चांदमलजी गोलानिया, किशोर गोलानिया, अंकित गोलानिया का समाज के उपाध्यक्ष महेश राठौर शिवम् द्वारा गले में गमछा और श्रीफल भेट कर तथा समाज के वरिष्ठ शंकरलाल राठौर एवं नंदलाल राठौर द्वारा प्रतिक चिन्ह देकर लाभार्थी परिवार का स्वागत किया गया। स्वागत समारोह के पश्चात लाभार्थी परिवार द्वारा भागवतजी की आरती कर प्रसादी का वितरण किया।

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