मनुष्यों का क्या कर्तव्य है इसका बोध भागवत सुनकर ही होता है- पण्डित अनुपानन्दजी
भागवत कथा के तीसरे दिन भागवत कथा में रही श्रद्धालुओं की अपार भीड
झाबुआ । श्री पद्मवंशी; मेवाडा राठौर तेली समाज द्वारा स्थानीय; श्री विश्व शांति नवग्रह शनि मंदिर परिसर में 23 से 29 सितंबर तक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथा के तीसरे दिन व्यास पीठ पर विराजमान श्रीमद् भागवत कथा के सरस प्रवक्ता कानपुर उत्तरप्रदेश से पधारे पं- अनुपानंदजी महाराज ने कहा कि मनुष्यों का क्या कर्तव्य है इसका बोध भागवत सुनकर ही होता है। विडंबना ये है कि मृत्यु निश्चित होने के बाद भी हम उसे स्वीकार नहीं करते हैं। निष्काम भाव से प्रभु का स्मरण करने वाले लोग अपना जन्म और मरण दोनों सुधार लेते हैं। उन्होने कहा कि प्रभु जब अवतार लेते हैं तो माया के साथ आते हैं। साधारण मनुष्य माया को शाश्वत मान लेता है और अपने शरीर को प्रधान मान लेता है। जबकि शरीर नश्वर है।
पण्डित जी ने व्यास पीठ से कहा कि भागवत बताता है कि कर्म ऐसा करो जो निष्काम हो वहीं सच्ची भक्ति है। मनुष्य जीवन में जाने अनजाने प्रतिदिन कई पाप होते है। उनका ईश्वर के समक्ष प्रायश्चित करना ही एक मात्र मुक्ति पाने का उपाय है। उन्होंने ईश्वर आराधना के साथ अच्छे कर्म करने का आह्वान किया। उन्होंने जीवन में सत्संग व शास्त्रों में बताए आदर्शों का श्रवण करने का आह्वान करते हुए कहा कि सत्संग में वह शक्ति है, जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है। उन्होंने कहा कि व्यक्तियों को अपने जीवन में क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, संग्रह आदि का त्यागकर विवेक के साथ श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए। पण्डित जी ने कथा के दौरान कपिल चरित्र, सती चरित्र, धु्रव चरित्र, जड़ भरत चरित्र, नृसिंह अवतार आदि प्रसंगों पर प्रवचन करते हुए कहा कि भगवान के नाम मात्र से ही व्यक्ति भवसागर से पार उतर जाता है। लाभार्थी परिवार का किया स्वागत
श्रीमद् भागवत कथा के तीसरे दिन के लाभार्थी परिवार का कथा के अंत में स्वागत किया गया। लाभार्थी रणछोडलाल गुलाबचंद सोनावा का साफा एवं गोपाल गुलाबचंदजी सोनावा का समाज के कोषाध्यक्ष अजय रणछोडलाल मावर द्वारा गले में गमछा और श्रीफल भेट कर तथा समाज के वरिष्ठ सदस्य मदनलाल रामाजी आसरमा द्वारा प्रतिक चिन्ह देकर लाभार्थी परिवार का स्वागत किया गया। स्वागत समारोह के पश्चात लाभार्थी परिवार द्वारा भागवतजी की आरती कर प्रसादी का वितरण किया।