थांदला (वत्सल आचार्य) श्रीमद् भागवत साक्षात भगवान का स्वरूप है इसीलिए श्रद्धापूर्वक इसकी पूजा-अर्चना की जाती है। इसके पठन एवं श्रवण से भोग और मोक्ष दोनों सुलभ हो जाते हैं। मन की शुद्धि के लिए इससे बड़ा कोई साधन नहीं है। सिंह की गर्जना सुनकर जैसे भेड़िए भाग जाते हैं, वैसे ही भागवत के पाठ से कलियुग के समस्त दोष नष्ट हो जाते हैं। इसके श्रवण मात्र से हरि हृदय में आ विराजते हैं।
थांदला नगरी छोटी काशी के नाम से भी विख्यात है साथ हि छोटी काशी की परंपरा बहुत पुरानी है कहते है यहा श्रीमद भागवत कथा #50वर्षों से #अधिक समय से चली आ रही है ये वो परंपरा है जो छोटे माध्यम से थांदला के इतिहास की अमिट छाप है एवं आज भी सतत् चली आ रही है।
लोग करोड़ों खर्च कर भागवत कथा करवाते है पर थांदला एसा स्थान है जहां परंपरा के माध्यम से निःशुल्क कथा रसपान विभिन्न मंदिरो मे प्रतिवर्ष करवाया जाता है ।भागवत में 18 हजार श्लोक, 335 अध्याय तथा 12 स्कन्ध हैं।
इसी कड़ी मे थांदला के श्री बांकेबिहारी मंदिर मे व्यासपीठ से पंडित बालमुकुंद आचार्य,शांति आश्रम मे पंडित किशोर आचार्य,लक्ष्मीनारायण मंदिर मे पंडित उमेश शर्मा,सावरिया सेठ मंदिर मे पंडित नरेश शर्मा तथा हनुमान अस्ट मंदिर पर पंडित विनोद शर्मा द्वारा भक्तो को पूरे सप्ताह श्रीमदभागवत कथा का रस पान करवाया गया जो आज चल समारोह रूप मे होकर संपन्न हुआ,बड़ी संख्या मे विभिन्न समाज जनों ने कथरसपान कर धर्म लाभ लिया।