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रतलाम से पकड़े गए राहुल का आतंकी कनेक्शन:ISIS के जिस मॉड्यूल से जुड़ा, उसके पास बड़े नेताओं को बम से उड़ाने का प्लान

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भास्कर एक्सक्लूसिव

लेखक: मिथिलेश मिश्र

रतलाम से पकड़े गए राहुल का आतंकी कनेक्शन:ISIS के जिस मॉड्यूल से जुड़ा, उसके पास बड़े नेताओं को बम से उड़ाने का प्लान

रतलाम~~आतंकी संगठन आईएसआईएस से कनेक्शन के आरोप में पकड़े गए रतलाम के राहुल सेन के इरादे बेहद खतरनाक हैं। मजदूरी के लिए फावड़ा चलाने वाले राहुल का संबंध उस मॉड्यूल से है जो देश के कई नेताओं को बम से उड़ाने का प्लान बना रहा है। देश में इस आतंकी संगठन से जुड़े नए खुलासे हुए हैं। इन मॉड्यूल से जुड़े लोगों ने राजनेताओं को मारने के लिए महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत के कुछ राज्यों में रेकी की थी।

इसके लिए उन्होंने इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) की व्यवस्था की थी। यह वही तरीका है, जिससे वे झारखंड, छत्तीसगढ़, आंध्रप्रदेश और महाराष्ट्र में नक्सली विस्फोट कर सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हैं। दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने 2 अक्टूबर को आईएसआईएस से जुड़े तीन लोगों को गिरफ्तार किया है।

इसमें मोहम्मद शाहनवाज को दिल्ली के जैतपुर ठिकाने से गिरफ्तार किया है। इसके पास से पिस्तौल, IED बनाने का सामान, कई तरह के केमिकल, लोहे की कीलें, बम बनाने का तरीका बताने वाला साहित्य और दूसरी चीजें बरामद हुई हैं। यह शाहनवाज भी झारखंड के हजारीबाग का रहने वाला है। उसने माइनिंग इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है।

इस मामले में पकड़ा गया दूसरा आतंकी अरशद वारसी भी झारखंड का रहने वाला है। उसने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया है। वह अभी दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहा है।

नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने इस साल जुलाई में आईएसआईएस के जिस मॉडल का भंडाफोड़ किया था, वह भी झारखंड से संचालित हो रहा था। इसका मुखिया फैजान अंसारी झारखंड के लोहरदगा का है। वह भी अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स की पढ़ाई कर रहा था। पूछताछ में उसने बताया था कि अलीगढ़ में रहने के दौरान ही वह आईएसआईएस के संपर्क में आया। तीसरा आरोपी राहुल सेन है।

फैजान के सीधे संपर्क में था राहुल सेन

मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में आलोट के पास खजुरी देवड़ा गांव से पकड़ा गया राहुल सेन इसी फैजान अंसारी के सीधे संपर्क में था। एजेंसियों के मुताबिक आईएसआईएस के साथ संबंधों में यह किसी हिंदू युवक की पहली गिरफ्तारी है। फैजान की निशानदेही पर एनआईए ने राहुल सेन के अलावा बिहार के सिवान निवासी तल्हा जनरैल और कर्नाटक के खालिद अहमद को भी पकड़ा है। दूसरे लोगों की तलाश की जा रही है। एनआईए ने इनकी तलाश में 14 सितंबर को छह राज्यों के 9 ठिकानों पर एक साथ दबिश दी थी।

राहुल को रतलाम से रांची ले गई एनआईए

एनआईए ने एक महीने की निगरानी और जांच के बाद 19-20 जुलाई को लोहरदगा से फैजान अंसारी को पकड़ा था। उसकी निशानदेही पर एनआईए ने 14 सितंबर को रतलाम से राहुल सेन को पकड़ा। उसे ट्रांजिट रिमांड पर रांची ले जाया गया। एनआईए ने उसे कोर्ट में पेश किया, जहां से न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। एक सप्ताह बाद एनआईए ने राहुल को रिमांड पर लेकर पूछताछ की है। एनआईए की रिमांड पिछले महीने खत्म हुई। उसके बाद राहुल को फिर से जेल भेज दिया गया है। राहुल से पूछताछ में जो बातें सामने आई हैं उसकी जांच की जा रही है। एनआईए इस मामले में कड़ी से कड़ी जोड़ने की कोशिश में है।

राहुल की पेन ड्राइव में प्रोपेगैंडा वीडियो मिला था

राहुल सेन की गिरफ्तारी के बाद एनआईए ने जो जानकारी दी थी उसके मुताबिक उसके पास से ISIS की गतिविधियों से जुड़े कई महत्वपूर्ण आंकड़े और प्रोपेगैंडा वीडियो मिला है। एनआईए ने उसका मोबाइल फोन, पेन ड्राइव, एक चाकू और एक काला कपड़ा (इसे ISIS का झंडा कहा जा रहा है) भी जब्त किया है। राहुल सेन सोशल मीडिया ऐप टेलीग्राम पर बने कई चैनलों के जरिए चरमपंथी प्रचार सामग्री प्राप्त करता था। वह झारखंड मॉड्यूल के हेड बताए जा रहे फैजान अंसारी से लगातार संपर्क में था। उसके साथ उसकी पर्सनल चैटिंग और मोबाइल कॉल के जरिए बातचीत का रिकॉर्ड भी सामने आया था। उसी के आधार पर एनआईए ने उसकी पहचान की थी।

अब दिल्ली में नई गिरफ्तारी से जुड़ रहा है तार

इस बीच दिल्ली पुलिस ने जिन तीन लोगों को पकड़ा है, उसमें से दो का संबंध झारखंड और अलीगढ़ से है। एक आतंकी एनआईए की हिरासत से भागा हुआ है। ऐसे में एनआईए भी इसमें सक्रिय हो गई है। बताया जा रहा है कि एनआईए ने इस मामले में भी पूछताछ की तैयारी की है। एक अफसर का कहना है कि झारखंड मॉड्यूल में गिरफ्तार किए गए संदिग्धों से कोई हथियार अथवा विस्फोटक नहीं मिला है, लेकिन दिल्ली पुलिस की पकड़ में आए लोगों से पिस्तौल और बम बनाने का सामान भी मिल गया है।

दिल्ली से पकड़े गए आतंकी धमाकों के एक्सपर्ट

आईएसआईएस के नए संदिग्धों की गिरफ्तारी के बाद दिल्ली पुलिस के विशेष आयुक्त एचजीएस धालीवाल ने जो बताया है वह इस मॉड्यूल से बड़े आतंकी खतरे का संकेत देता है। धालीवाल के मुताबिक “इन लोगों ने कई जगह पर ट्रेनिंग कैंप बना रखे थे। उन्होंने पश्चिम भारत, दक्षिण भारत और उत्तर भारत के कई स्थानों की रेकी की थी।

पश्चिमी घाट के जंगलों में इन्होंने कई दिन बिताए थे, जहां उन्होंने बमों की क्षमता का परीक्षण किया था। इनका चित्तौड़गढ़ बम ब्लास्ट में भी हाथ था। अभी इनका इरादा ऐसा धमाका करने का था, जिसमें बहुत से लोगों की जान जाए। इसमें बड़े नेताओं को टारगेट करना था।’ एजेंसियों के मुताबिक इस मॉड्यूल में देश भर के कई लोग शामिल हो सकते हैं। यह साजिश कितनी गहरी थी उसकी जांच की जा रही है।

शाहनवाज की पत्नी हिंदू से मुसलमान बनीं, अब फरार

पता चला है कि दिल्ली से पकड़े गए झारखंड के मोहम्मद शाहनवाज की पत्नी हिंदू रही है। उसने गुजरात की बसंती पटेल से शादी की थी, बाद में उसका धर्म बदलकर मरियम नाम दिया गया। मरियम और उसकी बहन अभी फरार है। दिल्ली पुलिस उनकी भी तलाश कर रही है। यह मामला भी भोपाल से पकड़े गए हिज्ब उल तहरीर से जुड़े संदिग्धों की तरह है। यहां चरमपंथियों ने हिंदू-जैन युवाओं को धर्म परिवर्तन कराया। वे चरमपंथी बने और अपनी पत्नियों का भी धर्म बदलवाकर नेटवर्क में शामिल कर लिया।

 

आईएसआईएस कितना खतरनाक है यह भी जानिए

इस्लामिक स्टेट ऑफ ईराक एंड सीरिया (ISIS) मध्य पूर्व के देशों में सक्रिय सुन्नी आतंकवादी संगठन है। इसका गठन 2013-2014 के दौरान हुआ। उसी दौरान उसने अपने मुखिया अबू बक्र अल-बगदादी को दुनिया के सभी मुसलमानों का खलीफा घोषित कर दिया। इसका मकसद दुनिया भर में इस्लामी राज्य की स्थापना है।

शुरुआत में अलकायदा भी इससे जुड़ा हुआ था, बाद में उसने खुद को इस संगठन से अलग कर लिया। अब ISIS अल कायदा से भी अधिक मजबूत और क्रूर संगठन है। यह दुनिया का सबसे धनी आतंकी संगठन है, जिसका बजट दो अरब डॉलर का है। यह रकम फिरौती, डकैती, कच्चे तेल की बिक्री, ऊर्जा संयंत्रों और विदेशी चंदे से जुटाई जाती है।

इस संगठन को हर महीने करोड़ों रुपए का चंदा जाता है। खाड़ी देशों से ही 2013 में इस संगठन को 10 करोड़ का चंदा मिला था। एक समय ऐसा आया कि इस संगठन ने ईराक और सीरिया के बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था। उसके बाद से अमेरिका के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय सैन्य बलों, ईराक और सीरिया की सरकारी फौजों, रूस आदि ने लगातार हमलों और ISIS के दुश्मन कबीलाई सैन्य टुकड़ियों को मदद कर इन्हें वापस खदेड़ा।

2019 में इसका मुखिया अबू बक्र अल-बगदादी मारा गया। अब अबू इब्राहिम अल-हाशमी अल-कुरैशी है। यह संगठन अभी मध्य पूर्व के देशों में अशांति का सबसे बड़ा कारण है। ईराक और सीरिया में जमीन खोने के बाद यह दूसरे देशों में अपनी जमीन तलाश रहा है।(साभार दैनिक भास्कर से-)

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