नौ रात्री में कन्या पूजन का बड़ा महत्व है। देवी पुराण के अनुसार जब देवराज इंद्र ने भगवान ब्रह्ना जी से माँ भगवती को प्रसन्न करने की विधि पुछी तब ब्रह्ना जी ने सर्वोत्तम विधि के रूप में कन्या पूजन बताया। कन्या पूजन में नौ कुमारी कन्याओं और एक कुमार को पांव धोकर कुमकुम का तिलक लगाकर उनकी पूजा अर्चना की जाती है। इसी परिप्रेक्ष्य में केशव विद्यापीठ में नवरात्री के पावन पर्व के उपलक्ष्य पर कन्या पूजन का आयोजन किया गया। आयोजन में संस्था के संचालक श्री ओमप्रकाश एवं श्रीमती किरण शर्मा तथा प्राचार्या श्रीमती वन्दना नायर और शिक्षक/शिक्षिकाओं तथा बालकों के द्वारा कन्याओं के पैर पक्षालन कर हल्दी, कुमकुम लगाकर पूजन किया गया।
संस्था संचालक श्री शर्मा ने बताया कि कन्या पूजन नारी सम्मान का प्रतिक है। आधुनिक समय में दुष्कर्म और छेड़छाड़ के खिलाफ एक मनोवैज्ञानिक शिक्षण पद्धति के रूप में कन्या पूजन की विद्यालयों में स्वीकार्यता लगातार बढ़ रही है। कन्या पूजन स्त्री सम्मान का प्रायोगिक प्रशिक्षण है। सामान्य से लगने वाले इस प्रयोग के अद्भुत परिणाम प्राप्त होंगे। बालमन में इसका सकारात्मक प्रभाव होना ही है आधुनिक समय में स्मार्ट फोन व अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स के माध्यम से बच्चों के मन मस्तिष्क मेें आ रहे विकारों को विद्यालय स्तर पर कन्या पूजन के माध्यम से दूर करने तथा युवा पीढ़ी को संस्कारित करने का प्रयास है।