झाबुआ

महा नवमी पर मां नागणेचा के दरबार में महायज्ञ का हुआ आयोजन, भंडारी प्रसादी का हुआ आयोजन, गादी के माध्यम से श्रद्धालुओं की समस्याओं का किया निराकरण । देश के कोने कोने से यहां श्रद्धालुजन आते है अपनी मन्नत पूरी करनें ।

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महा नवमी पर मां नागणेचा के दरबार में महायज्ञ का हुआ आयोजन,
भंडारी प्रसादी का हुआ आयोजन, गादी के माध्यम से श्रद्धालुओं की समस्याओं का किया निराकरण ।
देश के कोने कोने से यहां श्रद्धालुजन आते है अपनी मन्नत पूरी करनें ।

झाबुआ
 । जिले के पेटलावद अंचल में स्थित करवड के निकट गांगाखेडी में  स्थित मां नागणेचा जी का 350 वर्ष पुराना मंदिर पूरे अचंल ही नही वरन मध्यप्रदेश, राजस्थान, मालवा, दिल्ली, महाराष्ट्र, सहित दूर दूर तक अपनी चमत्कारिक ख्याति के लिये प्रसिद्ध है । यहां मां नागणेचाजी साक्षात स्वरूप में बिराजित है ।वही यहां प्राचिन कल्लाजी महाराज का चमत्कारिक स्थान भी है । नवरात्रोवधि में तो इस मंदिर में पूरे नौ दिनों तक मां के दर्शन वंदन के लिये हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता हैै। मान्यता है कि मां नागणेचाजी के दरबार में एक बार आकर जिसने भी अर्जी लगाई उसकी मनोकामनायें शत प्रतिशत पूरी हुई है । 350 वर्षो से अधिक समय से यह स्थान गा्रमीणों की श्रद्धा का मुख्य केन्द्र रहा है । मां नागणेचा जी के इस प्राचिन मंदिर के निर्माण बिडा स्वर्गीय नारायणसिंह जी राठौर  ने उठाया था और देखते ही देखते जन सहयोग से यह स्थान आज एक शक्तिपीठ के रूप में स्थापित हो चुका है ।  इसी मंदिर में श्री कल्लाजी महाराज की भी विशालकाय प्रतिमा स्थापित है जहां नवरात्री के 9 दिनों में प्रतिदिन तथा प्रति रविवार को दोपहर में गादी दर्शन के माध्यम से श्रद्धालुओं की समस्याओं का निस्वार्थ भाव से निराकरण होता है। पूर्व में स्वर्गीय नारायणसिंह जी यही पर इस गादी के माध्यम से श्रद्धालुओं को कल्लाजी एवं माताजी के आशीर्वाद प्रदान करते रहे है । उनके निधन के बाद ठा. प्रतापसिंहजी राठौर उन्ही के पदचिन्हो पर चलते हुए गादी का संचालन कर रहे है ।

ठा. कृष्णपालसिंह जी घुघरी ने जानकारी देते हुए बताया कि शेषावतार श्री कल्लाजी महाराज का यह चमत्कारिक स्थान होकर गादीपति ठा. प्रतापसिंहजी के माध्यम से दुखीयारों के दुख एवं समस्याओंका निदान करते हैे । नवरात्रोवधि में यहां नौ दिनों तक सतत आध्यात्मिक गतिविधियों सतत चलती है । ठा. प्रतापसिंह राठौर के अनुसार हिन्दुत्व एवं सनातन धर्म के प्रति यह स्थान पूरी तरह समर्पित है, तथा यहां पर हर दुखी,पीडित लोगों का गादी के माध्यम से दुखों एवं समस्याओं का निवारण होता है  । मंदिर  में बिराजित मां नागणेचा की चमत्कारिक प्रतिमा दिन में तीन स्वरूपों बाल,युवा एवं वृद्ध स्वरूप में दर्शन देती है । आडम्बर एवं आर्थिक प्रलोभन से दूर हर किसी को यहां मनोवांछित आशीर्वाद प्राप्त प्राप्त होते है ।
नवरात्री के महानवमी के दिन गांगाखेडी शक्तिपीठ पर मां नागणेचा के दरबार मे धुमधाम से महानवी का उत्सव मनाया गया । प्रातःकाल ठा. प्रतापंिसंहजी द्वारा विधि विधान से मां नागणेचाजी का अभिषेक किया गया । इसके बाद महाकालिका महायज्ञ का आयोजन हुआ जिसमें श्रद्धालुओं ने आहूतियां समर्पित की । दोपहर 1 बजे से गादी दर्शन का अभिनव आयोजन किया गया, जिसमें बडी संख्या में श्रद्धालुजनों ने भाग लिया तथा कल्लाजी के माध्यम से अपनी समस्याओं, दुखों के निवारण के लिये प्रार्थना की । इस अवसर पर मंदिर परिसर में भंडारे का आयोजन भी किया गया। जिसमें 3000 से अधिक गा्रमीण एवं दूर दूर से आये श्रद्धालुओं ने भोजन  प्रसादी का लाभ लिया । मां नागणेचा के दरबार मे ंआयोजित हुए इस कार्यक्रम मे ठा. मांधातासिंह डाबडी, कृष्णपालसिंह घुघरी, भगतसिंह इडर, राजेशसिंह गौड, इन्दौर, विश्वराजसिंह रूणिजा, कैलाश भूरिया रानापुर, सहित समस्त कल्याण भक्तों का सराहनीय सहयोग रहा ~
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