झाबुआ – पुलिस विभाग में कुछ पुलिसकर्मी कुछ इस तरह से कार्य कर रहे हैं जैसे वे मानो जिले के पुलिस कप्तान हो । और इनकी मनमानी कार्यशैली और रवैया आमजनों के लिए अब परेशानी का सबब बनता जा रहा है कुछ इसी स्टाइल मे पुलिसकर्मी एस.आई. बिजेंद्रसिंह छाबरिया की कार्यशैली से झाबुआ शहर में भय का माहौल बनता जा रहा है और इसकी कार्यप्रणाली से ऐसा भी लगने लगा है कि कहीं यह मानसिक रूप से बीमार तो नहीं ।
एस.आई .विजेंद्र सिंह के विगत दिनो हुए कई किस्से इस बात पर सोचने को मजबूर कर रहे हैं की क्या यह पुलिसकर्मी अपनी कार्यशैली से लोगों को डराना चाहता है या पुलिस का रुबाब दिखाना चाहता है । झाबुआ शहर के राजवाड़े पर नवरात्रि पर्व के दौरान रात्रि में गरबा प्रांगण पर विद्यार्थियों के दो पक्षों में आपसी विवाद हुआ था और इस आपसी विवाद में दोनों ही पक्ष में हाथापाई भी हुई । पुलिस विभाग के कर्मचारियों ने भी दोनों पक्षों को विवाद को सुलझाने का प्रयास भी किया । लेकिन वही इस विभाग के एस.आई. विजेंद्रसिंह छाबरिया ने उन विद्यार्थियों को समझने के बजाय लठ से वार किया । जिससे उन विद्यार्थियों को चोट आई । जबकि वह विद्यार्थी आदतन अपराधी नहीं थे मात्र किसी बात को लेकर विवाद हुआ था । जिसे समझाईश के द्वारा पूर्ण किया जा सकता था लेकिन बिजेंद्रसिंह ने मारना उचित समझा, जबकि अन्य पुलिसकर्मियों ने सभी को समझाईश दी । एस.आई. बिजेंद्रसिंह का एक और किस्सा पुलिस कोतवाली झाबुआ पर भी हुआ । जहां पर एक पत्रकार द्वारा किसी भी घटना को लेकर कोतवाली पर मोबाइल से फोटो खींचने का प्रयास किया गया । तो इस पुलिसकर्मी बिजेंद्रसिंह ने उसे पत्रकार के साथ भी अमानवीय व्यवहार करते हुए , उसका कैमरा छीन और बदसलूकी की । जबकि पुलिस थाने पर शांतिपूर्ण ढंग से भी बात की जा सकती थी । इस घटना के बाद संभवत पुलिस कप्तान ने लाइन अटैच भी किया था । इसके बाद हाल ही में झाबुआ के कलेक्ट्रेट कार्यालय में प्रत्याशी के रैली के दौरान एक पत्रकार द्बारा फोटो और वीडियो बनाई जा रहे थे जिस भीड़ के द्वारा धक्का लगने पर वह पत्रकार गेट की ओर गया । तब इस पुलिसकर्मी ने आओ देखा न ताव और वह गेट पर पत्रकार के मुंह पर मारा । जिससे उसकी आंख के नीचे चोट आई है । और इस कारण कई भाजपा कार्यकर्ताओं को भी गेट की लगी । इस बात को लेकर काफी हंगामा भी हुआ और संभवत चुनाव आयोग को इसकी शिकायत भी की गई । वर्तमान में हुई तीन घटनाओं से ऐसा लगता है कि मानो बिजेंद्रसिंह छाबरिया अपने आप को इस जिले का पुलिस कप्तान समझ रहे हैं । लगातार हुई इन तीन घटनाओं से ऐसा प्रतीत होता है कही बिजेंद्रसिंह छाबरिया मानसिक रूप से बीमार तो नहीं । वही इन लगातार घटनाओं से शहर के आमजनो मे भय भी है । वर्तमान में चुनाव का दौर जारी है और लगातार चुनावी सभा होने की भी संभावना है तथा इसमें आमजनों के आने की भी संभावना बनी हुई है प्रश्न यह है कि आने वाले समय में चुनावी सभा में यदि इस तरह के पुलिसकर्मी की ड्यूटी लगाई जाती है तो जनता के साथ भी एस.आई. कोई हरकत न कर दे, इस बात का संभावना बनी हुई है । शासन प्रशासन को चाहिए कि इस तरह के पुलिसकर्मी पर सख्त से सख्त कार्रवाई करें , ताकि निकट भविष्य में बिजेंद्र सिंह जैसे पुलिसकर्मी आमजनो और पत्रकारों पर हमला न कर सके ।