30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले शासकीय कर्मचारियों को भी एक वेतनवृद्धि के लाभ देने की मांग जिला पेंशनर्स एसोसिएशन ने मुख्य सचिव से की । मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के निर्णय के बाद भी नही दिया जारहा सेवानिवृत्तों को उक्त वेतनवृद्धि का लाभ ।
30 जून को सेवानिवृत्त होने वाले शासकीय कर्मचारियों को भी एक वेतनवृद्धि के लाभ देने की मांग जिला पेंशनर्स एसोसिएशन ने मुख्य सचिव से की ।
मध्यप्रदेश हाई कोर्ट के निर्णय के बाद भी नही दिया जारहा सेवानिवृत्तों को उक्त वेतनवृद्धि का लाभ ।
झाबुआ । जिला पेशनर्स एसोसिएशन झाबुआ के कार्यवाहक अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष सुभाषचन्द्र दुबे ने मध्यप्रदेश शासन के मुख्य सचिव से मांग की है कि 30 जून को सेवा निवृत्त होने वाले शासकीय कर्मियों को एक अतिरिक्त वेतनवृद्धि का लाभ दिये के आदेश जारी करने का अनुरोध किया जायेगा । उन्होने बताया कि छत्तीसगढ सरकार ने छत्तीसगढ उच्च न्यायालय के आदेश के सन्दर्भ में 30 जून को सेवा निवृत होने वाले शासकीय कर्मचारियों को एक अतिरिक्त वेतनवृद्धि दिये जाने के आदेश जारी कर दिये है तो मध्यप्रदेश सरकार को भी इसका अनुसरण करके सेवानिवृत्तों को होने वाले आर्थिक नुकसान से बचाना चाहिये ।
उन्होने बताया कि मध्य प्रदेश में जून माह में जन्मे शासकीय अधिकारियों और कर्मचारियों को रिटायरमेंट में एक वार्षिक वेतन वृद्धि नहीं दी जा रही है, क्योंकि शासन के आदेश अनुसार प्रत्येक वर्ष एक जुलाई को कर्मचारियों को वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ दिया जाता है, जून में जन्मे कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति 30 जून को हो जाती है। जिस कारण उन्हें वेतन वृद्धि का लाभ नहीं मिल पाता और आर्थिक हानि उठानी पड़ती है।
जिला पेंशनर्स एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष ने बताया है कि एक दिन कम होने के कारण जून माह में जन्मे शासकीय कर्मी को वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ नहीं दिया जाता है। एक वेतन वृद्धि न लगने से सेवानिवृत्त हो रहे कर्मचारियों को उपादान में 33 माह की एक वेतन वृद्धि का करीबन एक लाख रुपया कम मिलता है एवं पेंशन में करीबन 2 से 5 हजार रुपए माह की आर्थिक हानि हो रही है। जिससेे पूरी पेंशन अवधि में लाखों का आर्थिक नुकसान पेंशनरों को होगा ।
उन्ंहोने कहा कि यदि प्रथम नियुक्ति दिनांक के माह के आधार पर पूर्व की भांति वेतन वृद्धि लगाने की व्यवस्था की जाती है तो इन्हें एक वेतन वृद्धि का लाभ प्राप्त होगा। 30 जून को रिटायर कर्मी की एक दिन कम एक जुलाई न होने के कारण आर्थिक हानि होना दुखद है। शासन को इस पर विचार कर 30 जून को रिटायर कर्मी को भी एक जुलाई मानकर लाभ देना चाहिए। श्री दुबे ने सेवानिवृत्त होने वाले समस्त अधिकारियों और कर्मचारियों के समान जून माह में रिटायर होने अधिकारियों और कर्मचारियों को भी वार्षिक वृद्धि का लाभ दिए जाने की मांग की है, जिससे अधिकारियों और कर्मचारियों को उपादान एवं पेंशन में आर्थिक हानि न उठानी पड़े। श्री दुबे ने प्रोगेसिव्ह पेंशनर्स एसोसिएशन मध्यप्रदेश के अध्यक्ष श्री ओपी बुधोलिया ने भी अनुरोध किया है कि इस संबंध में प्रदेश के मुख्य सचिव से समय लेकर उनसे भेंट कर ऐसे 30 जून को सेवा निवृत्त होने वाले शासकीय कर्मियों को एक वेतनवृद्धि का लाभ दिये जाने के लिये अनुरोध करें ।
30 जून को रिटायर होने पर भी पेंशन में मिलेगा एक वेतनवृद्धि का लाभ हाई कोर्ट का निर्णय
श्री दुबे के अनुसार मध्यप्रदेश हाई कोर्ट ने एक अहम आदेश में साफ किया कि कि कोई सरकारी कर्मचारी 30 जून को रिटायर होता है, तो भी उसे महज एक दिन के लिए प्रतिवर्ष दी जाने वाली एक वेतनवृद्धि के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि वैसे भी वेतनवृद्धि जुलाई से 30 जून तक के अरसे के लिए की जाती है, अगली 1 जुलाई तक नहीं। इस मत के साथ प्रशासनिक न्यायाधीश संजय यादव व जस्टिस अतुल श्रीधरन की युगलपीठ ने हाईकोर्ट की एकलपीठ द्वारा इस मामले में दिए गए निर्णय को उचित ठहराया।
ज्ञातव्य है कि जबलपुर में विजय नगर निवासी रिटायर्ड पुलिस इंस्पेक्टर राजेंद्र प्रसाद तिवारी ने मप्र हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि शासकीय कर्मी को प्रतिवर्ष मिलने वाली वेतनवृद्धि का लाभ 1 जुलाई से दिया जाता है। वे 30 जून 2015 को रिटायर हुए। इस वजह से उन्हें वर्ष 2015 के लिए वेतनवृद्धि का लाभ नहीं दिया गया। इसके चलते याचिकाकर्ता को जितनी पेंशन मिलनी चाहिए, नहीं मिल रही है। 3 दिसंबर 2019 को हाई कोर्ट के जस्टिस संजय यादव की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता ने सेवाकाल पूरा करते हुए विवादित वर्ष भर कार्य किया है, इसलिए वह वेतनवृद्धि पाने का अधिकारी है। इस फैसले को राज्य सरकार की ओर से अपील के जरिए चुनौती दी गई। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत सिंह, अधिवक्ता अंशुल तिवारी ने दलील दी कि पूरे साल काम करने के बाद महज एक दिन के लिए याचिकाकर्ता का वेतनवृद्धि पाने का अधिकार नहीं छीना जा सकता। इस विषय में सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों का हवाला भी दिया गया। राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता विवेक रंजन पांडे ने एकलपीठ के पूर्व आदेश को गलत बताया। अंतिम सुनवाई के बाद कोर्ट ने सिंगल बेंच के उक्त आदेश को सही ठहराते हुए सरकार की अपील खारिज कर दी थी। इस तरह माननीय न्यायालय के स्पष्ट निर्णय के बावजूद भी मध्यप्रदेश में 30 जून को सेवा निवृत्त होने वाले कर्मियों को अभी तक उक्तानुसार लाभ नही मिल पाया है । श्री दुबे ने प्रातांध्यक्ष श्री बुधोलिया से आग्रह करते हुए मुख्य सचिव को वस्तुस्थिति बताते हुए छत्तीसगढ की तरह मध्यप्रदेश के सेवा निवृत्तों को भी उक्त लाभ दिये जाने की अनुरोध करने की बात कही है ।
फोटो-ैSubhash Dubey